खराब पाचनतंत्र इंसान में होने वाली कई बीमारियों का कारण बनता है. इस के खराब होने के अधिक कारणों में वे गलतियां होती हैं, इंसान जिन्हें जानेअनजाने करता है. ऐसे में इन गलतियों से बचें. एक अच्छी पाचन प्रणाली के 3 गुण होते हैं- पाचन, अवशोषण, निसन. यानी स्वस्थ पाचन प्रणाली वही है जो भोजन को पचाए, सेहतमंद पदार्थों को स्वस्थ शरीर के लिए इस्तेमाल करे और बेकार व विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर कर दे. इन्हीं चीजों से हमारा शरीर स्वस्थ होता है और रोगों को रोकने की क्षमता मजबूत होती है. हमारे पेट में मौजूद पाचक एंजाइम और एसिड खाए गए भोजन को तोड़ते हैं. जिस से कि पोषक पदार्थ शरीर में अवशोषित हो जाते हैं.

जो भी भोजन हमारे पेट में पूरी तरह नहीं पच पाता, वह शरीर के लिए बेकार होता है. डाक्टरों की सलाह है कि भोजन के अच्छी तरह पचने की शुरुआत हमारे मुंह से होती है. जी हां, जब हम भोजन को अच्छे से चबाते हैं तो वह उतनी ही अच्छी तरह से पचता भी है, क्योंकि इस से भोजन छोटेछोटे टुकड़ों में बंट कर लार में मिल जाता है. लार से सने हुए ये छोटेछोटे टुकड़े पेट में अच्छी तरह से टूट जाते हैं और शरीर को पोषण देने के लिए छोटी आंत में पहुंचते हैं. अगर आप अपने पाचनतंत्र को मजबूत रखना चाहते हैं तो इस के लिए न केवल सही भोजन का चुनाव जरूरी है बल्कि भोजन को अच्छे से चबा कर खाना भी जरूरी है.

अगर ऐसा नहीं होता तो भोजन पेट में ठीक से टूट नहीं पाएगा जिस से उस के पचने की प्रक्रिया बिगड़ जाएगी तो बेहतर यही कि खाना खाने से कम से कम 30 मिनट पहले व 30 मिनट बाद में ही पानी पिएं. मौसमों में पाचन प्रक्रिया प्रभावित होती है पेट के अंदर का शारीरिक ताप जो भोजन पचाने का काम करता है उसे गैस्ट्राइटिस कहते हैं. बरसात के मौसम में पानी और कीचड़ से बचने के लिए लोग अपनेअपने घरों से बाहर निकलने से कतराते हैं, जिस से शारीरिक सक्रियता कम हो जाती है.

इस तरह हमारा पाचनतंत्र नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है. इस से बचने के लिए हलके, संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करें. शारीरिक रूप से सक्रिय रहें, बारिश के कारण अगर आप टहलने नहीं जा पा रहे हैं या जिम जाने में परेशान हो रहे हैं तो घर पर ही वर्कआउट करें. कई बार पाचक एंजाइमों की कार्य प्रणाली भी प्रभावित होती है, इस से भी खाना ठीक प्रकार से नहीं पच पाता है. तैलीय मसालेदार भोजन और कैफीन का सेवन जरूरत से ज्यादा होने से अपच की समस्या हो जाती है. नम मौसम में कीड़े और सूक्ष्म जीव अधिक मात्रा में पनपते हैं, इन से होने वाले संक्रमण से भी अपच की समस्या बढ़ जाती है. डायरिया एक खाद्य और जलजनित रोग है.

यह दूषित खाद्य पदार्थों और जल के सेवन से होता है. यह किसी को कभी भी हो सकता है. दस्त लगना इस का सब से प्रमुख लक्षण है. पेट में दर्द और मरोड़ होना, बुखार, मल में खून आना, पेट फूलना जैसे लक्षण भी दिखाईर् देते हैं. फूड पौइजनिंग के कारण भी डायरिया हो जाता है. जब हम ऐसे भोजन का सेवन करते हैं जो बैक्टीरिया, वायरस, दूसरे रोगाणुओं या विषैले तत्त्वों से संक्रमित होता है तो फूड पौइजनिंग होती है. अगर आसपास कीचड़, कचरा और गंदगी फैली है तो इस से यह बढ़ सकता है. पाचनतंत्र को दुरुस्त रखने और बीमारियों से बचने के लिए इन बातों का खास खयाल रखें- द्य संतुलित, पोषक और आसानी से पचने वाले भोजन का सेवन करें. द्य कच्चे खाद्य पदार्थ को नमी बहुत जल्दी पकड़ लेती है, इसलिए वहां बैक्टीरिया आसानी से पनप पाते हैं. यही बेहतर रहेगा कि कच्ची सब्जियां वगैरह न खाएं, सलाद के रूप में भी नहीं.

– ब्रैडपाव आदि खाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उस में कहीं फफूंद तो नहीं लगी है. साथ ही, ब्रैडपाव के एक ही पैकेट को ज्यादा दिनों तक न इस्तेमाल करें.

– सड़क किनारे लगे ठेले और ढाबों पर खाना न खाएं क्योंकि इस तरह के भोजन से संक्रमण का खतरा अधिक होता है.

-ऐसा खाना खाएं जिस से एसिडिटी कम से कम हो.

-मांस, मछली और मीट अगर ढंग से रखा न गया हो तो उन को खाने से फूड पौइजनिंग की आशंका बढ़ जाती है. अंडा और मशरूम पका कर ही खाएं.

-पेट खराब हो तो तले हुए भोजन को खाने से दूर रखना ही बेहतर है क्योंकि इस से पाचन क्षमता कम होती है. कम मसाले और कम तेल वाला भोजन पाचन समस्याओं से बचाता है. –

-अधिक नमक वाले खाद्य पदार्थ, जैसे अचार, सौस आदि न खाएं या कम खाएं क्योंकि ये शरीर में पानी को रोकते हैं और इस से पेट फूलता है. द्य फलों और सब्जियों के जूस का भी कम मात्रा में सेवन करें, फल खाएं.

-ओवरईटिंग से हमेशा बचें और तभी खाएं जब आप को तेज भूख महसूस हो.

– ठंडे और कच्चे भोजन के बजाय गरम भोजन, जैसे सूप, अच्छी तरह से पका हुआ खाना खाएं.

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