क्रिकेट की दुनिया में गेंद और बल्ले का मुकाबला समान करने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं. इन नियमों में समय समय पर बदलाव किए जाते हैं. एक बार फिर इन नियमों में बदलाव किया जाना है. इन नियमों के लागू होने के बाद मौजूदा क्रिकेट जगत के कुछ बल्लेबाजों की चमक फीकी पड़ सकती है.
एक अक्टूबर के बाद डेविड वॉर्नर, क्रिस गेल, कायरन पोलार्ड और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को गेंदबाजों पर हावी होने से पहले अपनी रणनीति पर कुछ विचार करना होगा. बल्लों की मोटाई, जो खासतौर पर बैट के निचले हिस्से में होती है, 40 मिमी से अधिक नहीं हो सकती. इस साल मार्च में मेर्लबॉन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) ने बल्ले की मोटाई के संदर्भ में फैसला किया था. इसका अर्थ यह है कि इन खिलाड़ियों को अब नए बैट से खेलना होगा.
हालांकि भारतीय कप्तान विराट कोहली इसके अपवाद रहेंगे. कोहली का बैट नए नियमों के अनुसार फिट बैठता है. साउथ अफ्रीका के एबी डि विलियर्स, ऑस्ट्रेलिया के स्टीव स्मिथ और इंग्लैंड के जो रूट भी 40 एमएम से कम मोटाई के बल्ले से खेलते हैं. यानी इस नए नियम से उन्हें अपना बैट नहीं बदलना पड़ेगा.
बात करें ऑस्ट्रेलिया के डेविड वॉर्नर की, वेस्टइंडीज के क्रिस गेल और पोलार्ड की, तो इन सबके बैट की मोटाई 50 एमएम से ज्यादा है. इससे उन्हें गेंदबाजों पह हमला बोलने का मौका मिलता है. खास तौर पर खेल के छोटे प्रारूप में वे ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं.
भारत के चोटी के खिलाड़ियों की बात करें तो सिर्फ महेंद्र सिंह धोनी ही 45 एमएम की मोटाई वाले बैट से खेलते हैं. पोलार्ड ने हालांकि अपना बैट पहले ही बदल लिया है. आईपीएल के दौरान उन्होंने पत्रकारों से कहा था कि अक्टूबर तक रुकने का 'कोई मतलब' नहीं है.
कोहली ही नहीं ज्यादातर भारतीय क्रिकेटर 40 एमएम या उससे कम मोटाई के बैट से खेलते हैं. केएल राहुल, शिखर धवन, चेतेश्वर पुजारा और नए बल्लेबाज ऋषभ पंत का बैट कोहली जैसा ही है.
नए नियमों के अनुसार बल्ले की चौड़ाई 108 एमएम और गहराई 67 एमएम हो सकती है. वहीं एज यानी किनारा 40 एमएम से ज्यादा नहीं हो सकता.