पूर्व कप्तान और टीम निदेशक रवि शास्त्री को भारतीय क्रिकेट टीम का मुख्य कोच नियुक्त कर दिया गया. इस तरह नए कोच को लेकर चल रही अटकलों का दौर भी खत्म हो गया. शास्त्री का साथ देने के लिए पूर्व तेज गेंदबाज जहीर खान को टीम इंडिया का गेंदबाजी कोच बनाया गया है, जबकि राहुल द्रविड़ को विशेष विदेशी दौरे के लिए बल्लेबाजी सलाहकार नियुक्त किया गया है.

भारतीय क्रिकेट टीम को रवि शास्त्री के रूप में 2019 वर्ल्ड कप तक के लिए नया कोच मिल गया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि टीम इंडिया के पहले कोच कौन थें. नहीं, तो हम बताते हों आपको. जानें टीम इंडिया के पहले कोच और अब तक के टीम इंडिया के कोच के बारे में.

अजित वाडेकर थें टीम इंडिया के पहले कोच

ऐड-हॉक मैनेजर के स्थान पर कोच की नियुक्ति की शरुआत 90 के दशक में शुरु हुई. इस लिहाज से अजित वाडेकर भारतीय टीम के पहले कोच बनें. हालांकि, उनसे पहले बिशन सिंह बेदी और अब्बास अली बेग ने भी कुछ समय तक अपनी सेवाएं दी थीं, लेकिन उन्हें बतौर मैनेजर ही देखा गया था.

संदीप पाटील भी रहे 1 साल तक कोच

केन्या की टीम के सफलतम कोच रहे संदीप पाटील ने भी कुछ समय तक भारतीय टीम को बतौर कोच अपनी सेवाएं दी. पाटील के कोच रहते ही 2003 के वर्ल्ड कप में केन्या की टीम ने अच्छा प्रदर्शन कर सेमीफाइनल में जगह बनाई थी. हालांकि उनका कार्यकाल 1996 में शुरू होकर उसी साल खत्म भी हो गया.

ऑलराउंडर मदन लाल भी थें टीम इंडिया के कोच

मिडिल ऑर्डर में बेखौफ बल्लेबाजी और जुझारू गेंदबाजी के लिए मशहूर ऑलराउंडर मदन लाल का बतौर कोच कार्यकाल कुछ खास नहीं रहा. टीम इंडिया के कोच के तौर पर उन्होंने 1996 से 1997 तक अपनी सेवाएं दीं.

अंशुमान गायकवाड़ 2 बार बतौर कोच चुने गएं

पेस बोलरों को बढ़िया अंदाज में खेलने के लिए मशहूर 'द ग्रेट वॉल' अंशुमान गायकवाड़ 2 बार बतौर कोच चुने गएं. पहले 1997 से 99 और फिर थोड़े समय के लिए 2000 में उन्होंने बतौर कोच अपनी सेवाएं दीं.

कपिल देव भी बनें कोच

भारत को पहली बार वर्ल्ड कप जिताने वाले दिलेर कप्तान कपिल देव भी टीम इंडिया के कोच रहें. हालांकि, कोच के तौर पर उनका समय काफी कम रहा और वह 1999 से 2000 तक टीम इंडिया से इस रोल में जुड़े रहे. इसके बाद से कपिल देव ने कोचिंग की जिम्मेदारी छोड़कर क्रिकेट कॉमेंटेटर और एक्सपर्ट की भूमिका चुन ली.

जॉन राइट के रूप में मिला पहला विदेशी कोच

साल 2000 में जॉन राइट के रूप में टीम इंडिया को पहला विदेशी कोच मिला. कोच के रूप में उनका कार्यकाल काफी सफल रहा. विदेशी धरती पर भारत की जीत, 2003 वर्ल्ड कप के फाइनल तक भारत का सफर और सौरभ गांगुली की साहसिक कप्तानी का श्रेय कोच राइट को भी जाता है. जॉन राइट ने 2000 से लेकर 2005 तक भारतीय टीम को बतौर कोच अपनी सेवाएं दीं.

विवादित रहा ग्रेग चैपल का कार्यकाल

जॉन राइट के बाद कोच चुने गए ग्रेग चैपल को उनके विवादित कार्यकाल की वजह से जाना जाता है. 2007 वर्ल्डकप में भारत का खराब प्रदर्शन हो या सौरभ गांगुली से उनका विवाद, चैपल के नाम ऐसे विवादों की श्रृंखला है. ग्रेग चैपल 2005 से 2007 तक भारतीय टीम के कोच रहे.

कर्स्टन-धोनी की जोड़ी बनी चैंपियन

दक्षिण अफ्रीका के खिलाड़ी गैरी कर्स्टन ने बिखरी हुई टीम इंडिया को बतौर कोच एकजुट किया. 2007 से 2011 के अपने कार्यकाल में कप्तान धोनी के साथ ऐसी रणनीति बनाई कि भारतीय टीम ने सफलता के कई कीर्तिमान रच दिए. इनमें 2011 में भारत का विश्वकप जीतना भी शामिल है.

उतार-चढ़ाव भरा रहा डंकन फ्लैचर का कार्यकाल

कोच के तौर पर डंकन फ्लैचर का कार्यकाल उतार-चढ़ाव भरा रहा. टीम में कई बदलाव आए तो टीम ने असफलताएं भी देखीं. 2011 से 2015 के कार्यकाल में एक समय भारतीय टीम टेस्ट रैंकिंग में फिसलकर 7वें नंबर पर पहुंच गई थी. हालांकि, फ्लैचर को उनके लाइमलाइट से दूर रहने और खामोशी से अपना काम करने वाले कोच के तौर पर याद किया जाता है.

कुछ ऐसा था अनिल कुंबले का कार्यकाल

विश्व के सर्वश्रेष्ठ लेग स्पिनरों में से एक अनिल कुंबले ने बतौर हेड कोच 2016 में अपना पद संभाला. कोच के तौर पर उनका कार्यकाल सफल और बेदाग रहा. हालांकि, कप्तान विराट कोहली के साथ मनमुटाव के बाद उन्होंने इस्तीफा देकर पीछे हटना ही ठीक समझा.

2015 से 2016 तक वह टीम इंडिया के साथ बतौर टीम डायरेक्टर जुड़े थे. अब उनका कॉन्ट्रैक्ट 2019 तक है, जिसमें कोच के तौर पर उनकी असली परीक्षा होगी.

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