Best Hindi Story : रश्मि आज फिर अपनी बेटी पाहुनी के साथ परेशान सी घर आई थी. रश्मि के विवाह को 12 वर्ष हो गए थे, मगर सत्यकांत के व्यवहार में जरा भी बदलाव नहीं आया था. वह पैसे को पानी की तरह बहाता था. आज फिर रश्मि को कहीं से पता चला कि उस ने अपना पैसा अपने दोस्त विराज की पत्नी, जिस का नाम पूजा है, के साथ औनलाइन बिजनैस में लगा रहा है.
रश्मि ने पूजा को पहले भी देख रखा था. गहरे मेकअप की परतें और भड़कीले कपड़ों में पूजा एक आइटम गर्ल अधिक, पढ़ीलिखी सभ्य महिला कम लगती थी.
रश्मि को अच्छे से पता था कि पूजा वो सारे हथकंडे अपनाती थी, जिस से वह सत्यकांत जैसे बेवकूफ पुरुष को काबू में रख सके. रातदिन ‘सत्यजी, सत्यजी’ कह कर वह सत्य की झूठी तारीफ करती थी. सत्य बेवकूफ की तरह पूजा की थीसिस भी लिख रहा था और अपने निजी फायदे के लिए पूजा का पति विराज मुंह में दही जमा कर बैठा हुआ था.
आज रश्मि के सिर के ऊपर से पानी गुजर गया था. इसलिए वह सलाह लेने अपने घर आ गई थी. छोटी बहन अंशु बोली, “आप पढ़ीलिखी हो, खुद कमाती हो, क्यों उस गलीच इनसान के साथ अपनी और पाहुनी की जिंदगी बरबाद कर रही हो?”
भैया बोले, “अरे, तेरा कमरा अभी भी खाली पड़ा है.”
वहीं भाभी बोलीं, “डाइवोर्स का केस फाइल करना बच्चू पर और जब एलमनी देनी पड़ेगी, दिन में तारे नजर आ जाएंगे.”
रश्मि ने पाहुनी के मुरझाए हुए चेहरे की तरफ देखा. पाहुनी सुबकते हुए कह रही थी, “पापा उतने भी बुरे नहीं हैं, जैसा आप सब बोल रहे हो.”
तभी रश्मि की मम्मी सुधा बोलीं, “बेटा, तेरे पापा ने तो हमारी बेटी की जिंदगी बरबाद कर दी है. 38 साल की उम्र में ही बूढ़ी लगने लगी है. मेरी बेटी महीने में लाख रुपए कमाती है. क्यों वह किसी आवारा के पीछे जिंदगी खराब करे?”
रश्मि ने घर आ कर बहुत देर तक घर छोड़ने के फैसले के बारे में सोचा. उसे लगा कि अगर आज वह पाहुनी के आंसू से पिघल जाएगी, तो कभी भी इस दलदल से बाहर नहीं निकल पाएगी. सत्यकांत रातदिन झूठ बोलता था. वह इतना झूठ बोलता था कि उसे खुद याद नहीं रहता था.
रात को सत्यकांत 11 बजे आया था. रश्मि ने सत्यकांत को अपने फैसले से अवगत करा दिया था. सत्यकांत ने बस इतना ही कहा, “सोचसमझ कर फैसला लेना. ऐसा ना हो कि कुएं से खाई में गिर जाओ. तुम्हारे घर वाले तुम्हारे पैसों के कारण रातदिन मेरे खिलाफ कान भरते हैं, मगर एक बात याद रखना कि ये केवल तुम्हारी गलतफहमी है कि मेरे और पूजा के बीच कुछ है.
रश्मि सत्यकांत के इन झूठे वादों से तंग आ चुकी थी. उस ने अपना और पाहुनी का सामान पैक कर लिया था. उसे लग रहा था कि कम से कम अपने घर वह तनावमुक्त तो रह पाएगी.
जब रश्मि पाहुनी के साथ अपने घर पहुंची, तो सब लोगों ने उस का खुले दिल से स्वागत किया. अपनी छोटी बहन अंशु और भाभी मंशा की मदद से वह अपने कपड़े और छोटेमोटे सामान कमरे में जमाने लगी.
रश्मि ने देखा कि उस के कमरे में एक अलमारी पुरानी चादरों से अटी पड़ी है. ठंडी सांस भरते हुए रश्मि ने सोचा कि अभी भी घर का वो ही हाल है. सब कुछ अस्तव्यस्त. मंशा भाभी भी घर के रंग में ही रंग गई थीं. मंशा भाभी बोलीं, “अरे दीदी, आप इस के ऊपर अपने महंगे कभीकभार पहनने वाले कपड़े रख दो. जल्द ही मैं ये सामान हटवा दूंगी.” तभी अंशु बोली, “अरे, मेरे कमरे में एक अलमारी पूरी खाली है. आप के कपड़े वहां रख देते हैं.”
रश्मि के सारे महंगे सूट और साड़ी अंशु अपने कमरे में ले गई थी. रश्मि पाहुनी के साथ उस कमरे को अपना घर बनाने की कोशिश कर रही थी कि तभी रश्मि को बाहर शोर सुनाई दिया. जब रश्मि बाहर निकली तो देखा कि अंशु उस की कांजीवरम सिल्क की साड़ी पहन कर मौडलिंग कर रही है.
रश्मि को देख कर अंशु बोली, “दीदी, इस बार औफिस में ट्रेडिशनल डे पर ये ही पहनूंगी.” तभी भैया के छोटे बेटे भव्य से उस साड़ी के ऊपर पानी गिर गया. रश्मि को ऐसा लगा मानो साड़ी पर उकेरे हुए मोर को किसी ने जबरदस्ती नहला दिया हो.
अंशु बोली, “सौरी दीदी, मैं इसे ड्राईक्लीन करवा दूंगी.” तभी रश्मि की मम्मी बोलीं, “अरे, मैं घर पर ही धो दूंगी.”
रश्मि को अंदर ही अंदर झुंझलाहट तो हुई, मगर वह चुप लगा गई थी. रात में जब रश्मि और पाहुनी डिनर के लिए बाहर आए, तो डायनिंग टेबल पर सजी क्रौकरी देख कर रश्मि की भूख ही मर गई थी. क्रौकरी का रंग पीला पड़ गया था और खाना भी बेहद बदमाजा बना हुआ था.
रश्मि ने देखा कि पाहुनी बस खाने से खेल रही थी. रात में रश्मि पाहुनी से बहुत देर तक बात करती रही थी. फिर तकरीबन 10 बजे रश्मि उठ कर रसोई में गई. वह पाहुनी को दूध देना चाहती थी. फ्रिज खोल कर देखा, तो बस एक गिलास ही दूध था. मम्मी रश्मि से बोलीं, “अरे रश्मि, तेरा भाई तो अकेला कमाने वाला है. अब तू आ गई है, तो थोड़ा उसे भी चैन मिल जाएगा.”
रश्मि मम्मी की बात सुन कर थोड़ी अचकचा गई थी, ‘क्या सत्यवान वास्तव में उस के परिवार के बारे में सही बोल रहा था?”
अगले दिन रश्मि सवेरे 5 बजे उठ कर नहा ली थी और अपने कपड़े भी धो कर डाल दिए थे. अब समस्या थी पाहुनी की, वह बिना दूध के आंख नहीं खोलती है.
रश्मि ने फिर खुद अपने पैसों से 4 लिटर दूध खरीद लिया. पाहुनी को दूध देने के बाद जब वह तैयार होने लगी, तो मम्मी बोलीं, “रश्मि आज बहुत बरसों बाद गाढ़ी दूध की चाय नसीब होगी.”
रश्मि जब नाश्ता ले कर अंदर आई तो पाहुनी अभी भी रात के कपड़ों में ही बैठी थी. रश्मि ने गुस्से में कहा, “तुम अब तक नहाई क्यों नहीं हो?”
पाहुनी रोआंसी सी बोली, “कोई बाथरूम खाली नहीं है.”
रश्मि ने प्यार से पाहुनी के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, “चलो, फिर छुट्टी कर लेते हैं.”
पाहुनी बिदकते हुए बोली, “नहीं, बिलकुल नहीं.” फिर पाहुनी बस मुंहहाथ धो कर ही स्कूल के लिए तैयार हो गई थी. टिफिन में भी रश्मि बस ब्रेडजेम ही रख पाई थी.
दफ्तर में रश्मि दिनभर सोचती रही थी कि वह क्या करे? पाहुनी को वह ऐसे नहीं देख सकती थी.
वापसी में रश्मि ने पाहुनी की पसंद के स्नैक्स, ड्राईफ्रूट्स और भी ना जाने कितना सामान ले लिया था. मगर जब रश्मि घर पहुंची, तो शर्म के कारण उस ने पूरा सामान मम्मी के हाथों में पकड़ा दिया था. मम्मी गर्व से बोलीं, “ऐसी बेटी क्या कभी मायके पर बोझ होती है?”
भैया और भाभी के लिए रश्मि अब एक कमाई का जरीया थी. मम्मी संकेत में बहुत बार रश्मि को ये समझा चुकी थी कि छोटी बहन अंशु की शादी उस की और भैया की संयुक्त जिम्मेदारी है.
आज जैसे ही रश्मि औफिस से आई, तो उस ने देखा कि अंशु उस का सिल्क का सूट लथेड़ते हुए आ रही है.
रश्मि एकाएक चिल्ला कर बोली, “अंशु किस से पूछ कर तुम ये सूट पहन कर गई थी?”
अंशु खिसियाते हुए बोली, “दीदी आज औफिस में पार्टी थी. मैं ड्राईक्लीन करवा दूंगी.” तभी मम्मी तपाक से बोलीं, “अरे, जब 38 साल की उम्र में तुम्हें ही इतना शौक है तो वह तो बस अभी 24 साल की है. इस घर में मेरा और तेरा नहीं होता. ये हमारा घर है रश्मि. अब इस घर की जिम्मेदारी भी तेरी है.”
इसी तरह मन को समझाते हुए, समझौते करते हुए और घर की जिम्मेदारी उठाते हुए एक माह बीत गया था.
रश्मि ने एकाध बार सत्यकांत से बात करने की कोशिश भी की, मगर सत्यकांत को शायद ये अरेंजमेंट पसंद आ गया था.
जब रश्मि अपने बड़े भाई सुशांत के साथ वकील के यहां गई, तो वकील ने कहा कि तुम्हारे पति के खिलाफ डोमेस्टिक वायलेंस का केस कर सकते हैं, क्योंकि पैसे न कमाना, बाहर गर्लफ्रेंड होना, ऐसी बातों से कुछ नहीं होगा.
रश्मि बोली, “वकील साहब, शादी को 12 साल हो गए हैं. अब भी डोमेस्टिक वायलेंस का केस बन सकता है.”
वकील बोला, “क्यों नहीं. एक ऐसा रामबाण है मेरे पास, जो कभी खाली नहीं जाता है. बस तुम्हें थोड़ी हिम्मत रखनी पड़ेगी.”
फिर वकील ने जो बताया, उसे सुन कर रश्मि की रूह सिहर गई. वकील के अनुसार, रश्मि, पाहुनी के साथ वापस अपने घर जाए और जब सत्यकांत घर आए, उस की उपस्थिति में ही खुद को नुकसान पहुंचाए. तभी डोमेस्टिक वायलेंस का पक्का केस बनेगा. पूरा एक हफ्ता एलिमोनी की रकम तय करने में निकल गया था. मम्मी को एक करोड़ की रकम भी कम लग रही थी, तो अंशु और मंशा भाभी 60 लाख रुपए में समझौता करना चाहते थे.
रश्मि थोड़ा झिझकते हुए बोली, “भैया, क्या सत्यकांत से ऐसे पैसे लेना ठीक रहेगा?”
मम्मी तपाक से बोलीं, “हमें उस बात से कोई मतलब नहीं है. तेरी जिंदगी बरबाद कर दी है उस ने. उन पैसों को तेरे भैया के बिजनैस में लगा देंगे, अंशु की शादी भी थोड़ी ठीक से हो जाएगी.
रश्मि रोज इसी उधेड़बुन में लगी रहती थी. क्या हिंदू शादी में सिंदूर की कीमत वाकई इतनी महंगी है? क्या अपने घर आ कर उसे कोई चैन मिला था? यहां पर भी सब को उस के बस पैसों से मतलब था. एक हफ्ता इसी कशमकश में बीत गया.
पाहुनी रोज अपने मामा, मामी और बाकी घर वालों के मुंह से सत्यकांत को फंसाने के नएनए आइडिया सुनती थी और अपने ही आप में सिमट जाती थी. रात में कभी भी उठ कर पाहुनी डर के कारण चिल्लाने लगी थी.
पाहुनी अब रश्मि से खिंचीखिंची सी रहती थी. एक रात जब रश्मि ने पूछा, तो पाहुनी गुस्से में बोली, “मम्मी, तुम गंदी हो.”
रश्मि फिर उस रात के बाद से पाहुनी से नजर नहीं मिला पाई. फिर 15 दिन बाद सुशांत ही बोला, “रश्मि, पाहुनी को ले कर कब अपने घर जा रही हो. वकील साहब कह रहे हैं, जितना देर करोगी उतनी ही दिक्कत होगी.”
रश्मि ने कहा, “भैया कोई और उपाय नहीं है. पाहुनी बहुत डरी हुई है.”
मंशा भाभी आंखें तरेरते हुए बोलीं, “और कोई उपाय होता तो आप के भैया थोड़े ही ना आप से कहते और फिर ये पैसे हम सब के, आप के और पाहुनी के ही काम आएंगे.”
रश्मि धीमे स्वर में बोली, “भाभी आप ठीक कह रही हैं, मगर फिर भी मेरा मन नहीं मान रहा है.”
मम्मी रुखाई से बोलीं, “तुम्हारे मन के कारण ही तुम आज यहां खड़ी हो.”
उस रात बहुत देर तक रश्मि अपने कमरे में बिना लाइट जलाए बैठी रही, तभी मम्मी के मोबाइल की घंटी से रश्मि की तंद्रा टूटी. मम्मी किसी को अपने घुटने के औपरेशन का खर्चा बता रही थीं, “अरे, पूरे 6 लाख का खर्च है. अगर सत्यकांत ने 15 लाख भी दिए तो भी मैं करा लूंगी.
“रश्मि को धीरेधीरे सुशांत लौटा देगा, फिर कौन अपनी शादीशुदा बेटी को ऐसे सपोर्ट करता है जैसे हम कर रहे हैं. अंशु के लिए रिश्ता भी देख रहे हैं. अब तो रश्मि और सुशांत मिल कर सब देख लेंगे.
“अब देखो, रश्मि के पास पाहुनी है. उस की दूसरी शादी तो कैसे हो सकती है, हम लोगों के साथ रहेगी तो उस की जिंदगी भी कट जाएगी.”
रश्मि को लगा जैसे पहले सत्यकांत उस के साथ छल कर रहा था और अब उस के खुद के घर वाले, उस के टूटे रिश्ते पर अपनी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं.
रात में जब रश्मि ने अपनी मम्मी को खिचड़ी दी तो संयत स्वर में कहा, “मम्मी, अगले हफ्ते तक मैं और पाहुनी अपने घर चले जाएंगे.”
मम्मी ने खिले स्वर में कहा, “ये हुई ना मेरी बेटी वाली बात.”
शनिवार की शाम को रश्मि ने अपना सामान फिर पैक कर लिया था. सुशांत बोला कि चल, मैं तुझे छोड़ आता हूं.”
रश्मि बोली, “भैया, ये सफर मेरा है. तो रास्ता भी मुझे तय करने दीजिए.”
रश्मि का आटो जब एक छोटे से मकान के आगे रुका, तो पाहुनी बोली, “मम्मी, ये किस का घर है?”
रश्मि बोली, “ये हमारा घर है. जहां की हर ईंट में बस प्यार और अपनापन होगा. घर क्या था एक छोटी सी बरसाती थी, साथ में अटैच्ड टायलेट और रसोई भी थी. नीचे रश्मि की दोस्त निधि भी रहती थी और उस की बेटी ऊर्जा, पाहुनी की हमउम्र थी.
निधि ने रश्मि की समस्या सुन कर उसे बहुत कम किराए पर ये बरसाती दिलवा दी थी. सुरक्षा की दृष्टि से, हवा धूप के हिसाब से ये काफी अच्छा औप्शन था.
रश्मि ने वकील को फोन लगाया और कहा, “वकील साहब, मुझे बिना किसी झूठ के अपना केस लड़ना है. क्या आप लड़ पाएंगे?”
वकील बोला, “क्यों नहीं, मगर समय लगेगा. और बस वाजिब रकम ही मिल पाएगी.”
रश्मि हंसते हुए बोली, “बस वाजिब ही चाहिए.”
नीचे से पाहुनी की खुल कर हंसने की आवाज आ रही थी. रश्मि को ऐसा लगा, जैसे बहुत दिन बाद उस ने खुल कर हवा में सांस लिया हो, जहां पर थोड़ी सी जमीं उस की है और थोड़ा सा आसमां भी उस का ही है. वह अपनी जमीं पर पांव रख कर अपने सपनों को अपने ही आसमां में बुनने के लिए तैयार है. नई जिंदगी के लिए अब शायद रश्मि तैयार थी.