सच ही कहा गया है, क्रिकेट अनिश्चिताओं के साथ साथ आंकड़ो और रिकॉर्ड का खेल है. कब किस टीम, किस खिलाड़ी के नाम कौन सा रिकॉर्ड हो जाए कहा नहीं जा सकता. कुछ ऐसा ही अजीबोगरीब मैच 2006 में नेपाल और म्यांमार के बीच देखने को मिला.
साल 2006 में नेपाल की टीम ने ‘एसीसी कप’ के एक आधिकारिक मैच में सबसे तेज गति से लक्ष्य प्राप्त करके इतिहास रच दिया. उन्होंने विपक्षी टीम के द्वारा दिए गए लक्ष्य को मात्र दो गेंदों में प्राप्त कर लिया. नेपाल ने इस कारनामें को किस तरह अंजाम तक पहुंचाया. आइए जानते हैं.
दरअसल नेपाल का मुकाबला म्यांमार की टीम से हो रहा था. मैच में नेपाल ने टॉस जीता और म्यांमार को बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया. नेपाल की गेंदबाजी की कमान उनके मास्टर तेज गेंदबाज मेहबूब आलम को दी गई और इसके बाद शुरू हुआ एक अनोखा खेल.
आलम ने म्यांमार की बल्लेबाजी की जड़े हिलाकर रख दीं. म्यांमार के विकेटकीपर बल्लेबाज पारी की पहली गेंद में चलते बने और इसके बाद आलम ने दो और बल्लेबाजों शारजील और रहमान को पवेलियन का रास्ता दिखाया. जिस समय तक कप्तान दास ने अपना दूसरा ओवर खत्म किया. म्यांमार चार रन पर चार विकेट गंवाकर संघर्ष कर रहा था.
इसके कुछ देर बाद फिर से मेहबूब म्यांमार के बल्लेबाजों पर कहर बनकर बरसे. इस बीच सबसे लंबी 21 गेंदों की पार्टरनशिप मो तुन और कप्तान टिन ए के बीच हुई जिसे दास ने तोड़ा और अगले कुछ ओवरों में ही म्यांमार की पारी तांस के पत्तों की तरह बिखर गई. म्यांमार की आधी से ज्यादा टीम खाता भी नहीं खोल सकी. म्यांमार 12.1 ओवरों में 10 रनों पर सिमट गया. म्यांमार की ओर से जकारिया ने 20 गेंदों में एक रन बनाया और वह इस तरह से म्यांमार की ओर से सबसे देर तक क्रीज पर रहने वाले बल्लेबाज रहे.
नेपाल टीम के मेहबूब आलम ने 6.1 ओवरों की गेंदबाजी की और 3 रन देकर 7 विकेट लिए. वहीं दूसरे छोर से उनका साथ निभाते हुए बिनोद दास ने 6 ओवरों में 4 रन देकर 3 विकेट लिए. इसके अलावा 3 रन म्यांमार के बल्लेबाजों ने अतिरिक्त के रूप में बनाए.
11 रनों के स्कोर का पीछा करने उतरी नेपाल की टीम के बल्लेबाज महेश छेत्री ने पहली गेंद को धीरे से खेलकर 3 रन दौड़े. अगली गेंद पर धीरज चंद ने हल्के हाथों से गेंद को खेलकर 3 रन दौड़े. जैसा कि अब ओवर में चार गेंदें बची थी. गेंदबाज ने अगली दो गेंदें वाइड फेंकी. इसके बाद उसने जो गेंद फेंकी वह और भी वाइड थी जिसे कीपर रोक ही नहीं पाया और इस तरह नेपाल ने दो गेंदों में ही अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लिया. नेपाल ने इस जीत के साथ इतिहास स्वर्णअक्षरों से लिख दिया.