नेपाली सिनेमा के सुपर स्टार प्रदीप खड़का बचपन से ही हिंदी फिल्में और हिंदी टीवी सीरियल देखने के शौकीन रहे हैं.पर अभिनेता बनेंगें ,ऐसा नहीं सोचा था.बचपन में वह अक्सर अपनी मां से सवाल किया करते थे कि टीवी के अंदर लोग कैसे जाते हैं. बहरहाल,उन्होने मार्केटिंग में एमबीए की डिग्री हासिल की.इसके बाद उन्हें नेपाल टीवी पर नौकरी मिल गयी.कुछ समय बाद वह नेपाल टीवी पर नौकरी करते हुए रियालिटी शो निर्माण करने लगे.कुछ लोगों ने उनके दिमाग में भर दिया कि उन्हें अभिनेता बनना चाहिए.तब 2015 में महज 21 साल की उम्र में प्रदीप खड़का ने अपनी प्रोडक्शन कंपनी ‘प्रदीप मीडिया प्रा.लिमिटेड’ का रजिस्ट्रेशन करवाकर नेपाली भाषा की दो कम बजट वाली फिल्में ‘‘ठुल्ले मंझे’’ तथा ‘‘एस्केप’’ फिल्मों का निर्माण किया.इनमें से ‘एस्केप’ में उन्होने अभिनय भी किया.‘एस्केप’ को सफलता नहीं मिली,लेकिन एक निर्माता ने उन्हें नेपाली फिल्म ‘‘प्रेम गीत’’ में हीरो बना दिया. इस फिल्म ने सफलता के सारे रिकार्ड तोड़ते हुए प्रदीप खड़का को सुपर स्टार बना दिया. इसके बाद वह ‘प्रेम गीत 2’ मे नजर आए. इस फिल्म ने भी सफलता का परचम लहराया. फिर ‘प्रेम गीत 3’ बनी, जिसे हिंदी में भी डब करके 23 सितंबर को नेपाल,भारत व अन्य देशों में प्रदर्शित किया गया.
प्रस्तुत है प्रदीप खड़का से हुई बातचीत के अंश…
आपकी फिल्म ‘‘प्र्रेम गीत 3’’ पहली नेपाली फिल्म है,जिसे हिंदी में भी डब करके भारत के छह सौ सिनेमाघरों में प्रदर्शित किया गया.यह ख्याल किसके दिमाग में आया था?
पहली बात तो मैं स्पष्ट कर दॅूं कि मेरा मकसद नेपाली फिल्म इंडस्ट्री को विकास के पथपर ले जाना है.इसलिए मैं एक समय में एक ही फिल्म में अभिनय करता हूं, उस फिल्म के साथ शुरू से हर विभाग में जुड़ा रहता हूं. तो निर्माता के साथ बैठकर हम सभी ने इसे हिंदी में डब करने का निर्णय लिया था. नेपाली फिल्म इंडस्ट्री छोटी है. नेपाली फिल्मों का बाजार भी छोटा है. तो हम सभी बैठकर अक्सर सोचते रहते थे कि नेपाली फिल्मों के बाजार को किस तरह से बढ़ाकर इस इंडस्ट्री को मजबूत किया जाए. जब हमने देखा कि दक्षिण भारतीय भाषाओं की फिल्में हिंदी में डब होकर रिलीज हो रही हैं, तो हमने सोचा कि हम नेपाली फिल्म को भी हिंदी में डब करके भारत में प्रदर्शित कर 140 करोड़ दर्शकों तक पहुॅच सकते हैं.वैसे भी नेपाल व भारत में काफी समानताएं भी हैं. हमने सोचा कि नेपाल में वर्ष में सौ फिल्में बनती हैं.अगर इनमें से दस फिल्में भी हिंदी में डब करके भारतीय दर्शकों तक पहुॅचे,तो काफी उचित होगा. हमारी कुछ फिल्में मास इंटरटेनर भी बनसकती हैं. पहले हम ‘प्रेम गीत 3’ को हिंदी में डब करके ‘ओटीटी प्लेटफार्म’ पर ले जाना चाहते थे. हमने डबिंग का काम मुंबई में आकर शुरू किया, तभी ‘कोविड ’ महामारी फैल गयी,तो कुछ समय के लिए हमारा काम रूक गया.पर डबिंग का काम पूरा होने के बाद बौलीवुड के कुछ लोगों ने फिल्म देखी,तो उन्होने इसे सिनेमाघरों में प्रदर्शित करने की सलाह दी. फिर हमने ट्रेलर लाॅच किया.जिसका इतना अच्छा रिस्पांस मिला कि हमने इसे सिनेमाघरों में ही प्रदर्शित करने की योजना बनायी.उसके बाद हमने दिल्ली, शिलांग,देहरादून,गौहाटी व मुंबई सहित कई शहरों में गए और लोगों से व मीडिया से अपनी फिल्म पर चर्चा की. हर शहर में लोगों ने हमें खुले दिल से स्वीकार किया.इससे हमारा विश्वास बढ़ गया था कि लोग हमारी फिल्म ‘प्रेम गीत 3’ को भी स्वीकार करेंगे.हमारी फिल्म पूरे विश्व में 1200 सिनेमाघरों में 23 सितंबर को प्रदर्शित हुई,उनमें से सिर्फ भारत में छह सौ सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई.पहले दो दिन तो दर्शकों का जबरदस्त उत्साह रहा. हम खुश हैं. हमने ‘प्रेम गीत 3’ के माध्यम से हमारी नेपाली फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को संदेश दे दिया है कि अगर वह अच्छा काम करेंगे, अच्छी फिल्में बनाएंगे,तो यहां तक पहुॅच सकते हैं. तो हमने एक राह बना दी है. अब बाकी के लोग इस राह को कितना चैड़ा कर पाते हैं,यह तो वक्त बताएगा. भारत के साथ हमारे अच्छे संबंध हैं.किसी को भी भारत से नेपाल या नेपाल से भारत आने जाने के लिए पासपोर्ट या वीजा की जरुरत नही है. हिमालय की चोटी से लेकर समुद्र के किनारे तक हम खुला रिश्ता रखते हैं. बौलीवुड सिनेमा का खूबसूरत बगीचा है. इसमें नेपाली फिल्म का एक दो फूल लगेगें तो और बेहतर ही होगा.
फिल्म ‘‘प्रेम गीत 3’’ को लेकर क्या कहना चाहेंगें?
इसमें इमोशन की भरमार है.वहीं यह एक पीरियड वाली प्रेम कहानी है.यह प्रेम नामक लड़के व गीत नामक लड़की की प्रेम कहानी है.अब तक हमने फिल्मों में प्यार को पाने के लिए प्रयास करते,हर अवरोध को दूर करते हुए ही देखा है.पर यहां प्रेम में त्याग की बात है.प्रेम एक राज्य का प्रिंस यानी कि राज कुमार है.जबकि गीत एक गांव की साधारण लड़की है.
प्रेम में त्याग की भावना वाली कहानी तो माॅडर्न युग की भी हो सकती थी.ऐसे में इसे 1880 सदी के पीरियड में क्यों रखा गया?
वास्तव में हमने जिस कहानी से प्रेरित होकर ‘प्रेम गीत 3’ की कहानी का ताना बाना बुना है,वह 1800 सदी की ही कहानी है.हमारे देश नेपाल में भी कभी राजा का शासन हुआ करता था,पर अब नही है.हमारे यहां सात राज्य है,जिन्हें मिलाकर पूरा गणराज्य बना है.हमारे नेपाल के जो अंतिम राजा /मोनार्की थे,उनके दो बेटे थे.इसी तरह हमारी फिल्म की कहानी एक हिमालय के राज्य की है. और इस राजा के भी दो बेटे हैं.हमने नेपाल में घटित कई घटनाक्रमों को अपनी इस फिल्म की कहानी का हिस्सा बनाया है.यदि हम इसे माॅडर्न जमाने में ले जाते,तो फिर राजशी लुक नही दिखा सकते थे और कहानी में जो कंफलिक्ट है,वह उस तरह से उभरकर न आ पाता.इसलिए हमने पीरियड फिल्म बनाने की सोची.नेपाल में इस तरह की एक दो फिल्में ही बनी है.पर ‘प्रेम गीत 3’ का स्तर काफी उंचा है.वैसे भी हिमालय किंगडम के नाम से कभी नेपाल जाना जाता था.
नेपाल में भी राजा रहे हैं.तो क्या वहां पर इस तरह का कुछ था?
जी हाॅ!एक वक्त में नेपाल में माओवादी आंदोलन था.जो कि विरोध किया करते थे.तो हमारी फिल्म में भी ऐसे तत्व हैं,जिन्हे विद्रोही नाम दिया गया है.जिन्हें लगता है कि उनकी मांगे पूरी नही हो रही है.ऐसे माओवादी अपनी मांग को लेकर नेपाल में झगड़ रहे थे.इस तरह के तत्व भारत में भी है.तो जो लोग नेपाल के राजनैतिक हालात से थोड़ा बहुत परिचित हैं,वह हमारी फिल्म के साथ रिलेट कर रहे हैं.
फिल्म के अपने किरदार को लेकर क्या कहेंगें?
-मैंने इसमें प्रेम का किरदार निभाया है,जो हिमालय राज्य का प्रिंस /राज कुमार है और उसे गांव की लड़की गीत से प्यार है.प्रिंस का एक भाई भी है.मगर ज्योतिषियों के अनुसार प्रिंस का ही राजा बनना हर किसी के हित में होगा.अब दो युवाओं के प्रेम के बीच कोई आएगा,तो कंफलिक्ट होना स्वाभाविक है.कहावत है कि प्रेम व युद्ध में सब कुछ जायज है.इसी के चलते प्रेम भी अपने प्यार के लिए सब कुछ करता है.हमारे यहां नेपाल में गीत को मीठा गाना हालेते हैं.उसी तरह से गांव की लड़की गीत एक ऐसी मिठास है,जिसके प्यार को हर वक्त महसूस कर सकते हैं.यह फिल्म प्यार,मोहब्बत और त्याग की कहानी है.
फिल्म को हिमालय पर जाकर फिल्माने की कोई खास वजह रही?
-अमूमन काल्पनिक दृश्यों को सभी फिल्मकार अपनी फिल्मों में तमाम दृश्यों को वीएफएक्स के जरिए दिखाते हैं. लेकिन हमारे यहां इतनी अधिक खूबसूरत लोकेशन है कि हमें कल्पना का सहारा लेकर उसे वीएफएक्स से गढ़ने पर पैसा नही खर्च करना चाहिए.हमारे देश में तो ऐसी खूबसूरत जगहें हैं,जिनके बारे में मैं सपने में भी नहीं सोच पाता.मैं तो चाहता हॅूं कि हर फिल्मकार वीएफएक्स का सहारा लेने से पहले इन लोकेशनों पर जाकर देखें.तो वह यूरोप या स्विटजरलैंड सब कुछ भूल जाएंगे.हमाने अपनी फिल्म ‘प्रेम गीत 3 ’को ऐसी ही लोकेशन यानी कि हिमालय पर फिल्माया है,इस तरह की लोकेशन की तो लोग कल्पना भी नही कर सकते.जबकि इस तरह की लोकेशन पर दिल्ली से फ्लाइट पकड़कर दो तीन घ्ंाटे व काठमांडू से एक घंटे में पहुंच सकते हैं.हमने हमारी फिल्म को हिमालय की पहाड़ियों पर मनंग क्षेत्र में फिल्माया है.
हिमालय के मनंग इलाके में शूटिंग के अनुभव क्या रहे?
-हमने माइनस 29 डिग्री के तापमान में शूटिंग की है. ठंड के चलते हमें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा.वहां पर अधिक से अधिक तापमान माइनस दस सिर्फ एक सप्ताह तक रहा.इतनी ठंड में रोजमर्रा की जिंदगी की हर गतिविधि पर भी असर पड़ता है. मसलन-मुंह धोना या हाथ पैर धोना हो या बिस्तर से नीचे उतरना भी संघर्ष में बदल जाता है.इतनी ठंड के चलते हमारी युनिट के किसी सदस्य का ‘ब्लड क्लाॅटिंग’ यानी कि ‘खून जम’ रहा था.मेरे पैर का एक्सीडेंट हो गया था,जिससे काफी सूजन आ गयी थी.तो हमने काफी दिक्कतों का सामना किया.हमारी पूरी युनिट बहादुरी के साथ डटी रही और हम सभी ने अपने काम को खूबसूरती से अंजाम दिया. लेकिन जब हम सभी ने शूटिंग के बाद जो फिल्म में देखा,वह देख सारे दर्द खुशी में बदल गए.
आपकी राय में हर फिल्म निर्माता को वीएफएक्स पर पैसा खर्च करने की बजाय वास्तविक लोकेशनों पर जाकर अपनी फिल्म को फिल्माना चाहिए?
-वीएफएक्स का उपयोग सिर्फ एक्सटेंशन या रिमूवल वाले हिस्से के लिए ही करना ठीक रहता है.कम बजट वाली फिल्म के लिए तो वीएफएक्स बिलकुल नहीं करना चाहिए.नेपाली फिल्म इंडस्ट्री के लिए तो वीएफएक्स गैर वाजिब है.वीएफएक्स मे काफी मैन पाॅवर और पैसा लगता है,जो कि मेरी नजर में गलत है.बौलीवुड के फिल्मकार इतना अधिक पैसा खर्च करने में सक्षम है. लेकिन इमानदारी से कहॅूं तो मुझे बड़े बजट की वीएफएक्स वाली हिंदी फिल्मों में ढेर सारी कमियां नजर आती हैं. देखिए,वीएफएक्स से आप सब कुछ उत्तम दर्जे का नहीं पेष कर सकते. मेरी फिल्म में जो हिमालय की वास्तविक संुदरता है,उसे आप करोड़ों रूपए वीएफएक्स पर खर्च करके भी नहीं ला सकते? मैं तो यही कहॅूंगा कि इस तरह के वीएफएक्स पर पैसा बर्बाद करने की बजाय हम फिल्म के वास्तविक लोकेषन पर फिल्माकर बेहतरीन फिल्म बना सकते हैं. दर्शक को भी फिल्म देखते समय नकलीपन नजर नहीं आएगा. और हम इमोशन को डिस्टै्क्ट करने से बचा सकते हैं.
क्या आपको लगता है कि भारत व नेपाल के कल्चर में समानताएं हैं.इमोशनंस एक जैसे हैं,इसका फायदा अपकी फिल्म को मिल रहा है?
-जी हाॅ!यह कटु सत्य है.आप कल्चर व इमोशंस की बात कर रहे हैं.आप गौर करेंगे,तो पाएंगे कि भारत व नेपाल के त्यौहार और लोगों के ‘सरनेम’ वगैरह भी एक जैसे ही हैं.सिंह,सेन,थापा,शर्मा दोनो जगह हैं.हमारे यहां दसई होता है और भारत में दशहरा होता है.इसी तरह से कई त्यौहार दोनो देशों में होते है, सिर्फ नाम में थोड़ा सा अंतर है.देवनागरी लिपि एक जैसी है.
नेपाल फिल्म इंडस्ट्री में किस तरह के बदलाव आप देख रहे हैं?
सबसे बड़़ा बदलाव तकनीक का है.पहले हम रील्स पर काम करते थे. अब हम डिजिटल पर काम कर रहे हैं.हम द्रोण से शूटिंग करते हैं. अभी हमने पोस्ट प्रोडक्शन पर ज्यादा इंवेस्टमेंट नही किया है.
बौलीवुड के किस कलाकार से प्रभावित हैं?
मैं तो अमिताभ बच्चन, गोविंदा, शाहरुख खान, सलमान खान, इरफान खान, नवाजुद्दीन सिद्दिकी व मनोज बाजपेयी आदि से प्रभावित होकर आया हॅूं. जैसे समुद्र से पानी की भाप बनकर हिमालय पर जाकर ठंडी होकर बर्फ बनता है और वहां से पिघलकर पुनः समुद्र में मिल जाता है.मैं भी इसी तरह हिंदी फिल्में देखकर प्रभावित होता था, अब वहां से पिघलकर पुनः वापस भारत में आ गया हॅूं.तो मैं बौलीवुड जैसे समुद्र में एक बूंद बनकर आया हॅूं.