उस ने उस को पत्र में लिखा कि वह उस के मातापिता के आशीर्वाद के बगैर उस का हाथ थाम व शादी कर अपने प्यार को कुछ और नाम नहीं देना चाहता, इसलिए प्यार को, बस, प्यार ही रहने दो...”