तीसरे विश्व योगा डेको सफल बनाने के लिये केन्द्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरी ताकत लगा दी. योगा डेपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लखनऊ के रमा देवी अम्बेडकर पार्क में आने वालों को योग करने के लिए चटाई, टीशर्ट, नाश्ता और पानी से लेकर बहुत सारे इंतजाम प्रदेश सरकार ने किये.

योग करने वालों को कहा गया कि वह सब सुबह 5 बजे से पहले पार्क में पहुंच जायें. सबके लिये रजिस्ट्रेशन किया गया था और सबकी योग करने की जगह को भी फिक्स कर दिया गया था. हर योग करने वाले को पहले से तय चटाई पर ही योग करना था. रात में ही बदले मौसम को देखते हुये सभी योग करने वालों को यह मैसेज भेज दिया गया कि अगर योग करते समय बरसात शुरू हो जाती है तो आपको कहीं भागना नहीं है. तय जगह पर ही बने रहना है. उस समय तक बरसात की संभावना कम थी.

21 जून की सुबह जब योगा शुरू हुआ तो बरसात भी शुरू हो गई. ऐसे में योगा डे रेनी डे बन गया. लोगों ने योग करने वाली चटाई को ही अपने सिर पर डाल कर पानी से अपना बचाव किया. ऐसे में योग करने का न तो सही से समय मिल पाया और न ही योग हो पाया. योग करने की तैयारी पूरे शहर में बड़े पैमाने पर चल रही थी. लोगों को योग करने से अधिक प्रधानमंत्री के साथ योग करने की खुशी थी. अफसोस की बात यह थी कि योग करने से पहले ही लोगों के मोबाइल फोन जमा करा लिये गये थे जिससे वह सेल्फी लेने से वंचित रह गये.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 20 जून को भी लखनऊ में थे. पूरे शहर में वीवीआईपी मूवेंट की वजह से जाम लगा रहा. इसको लेकर राजधानी के लोग परेशान रहे.

योगा में हिस्सा लेने वालों में आम जनता से अधिक स्कूली बच्चे और सरकारी कर्मचारियों की संख्या अधिक थी. पुलिस और सुरक्षा में लगे तमाम जवान भी इस योगा का हिस्सा बने थें. योगा डे में प्रधानमंत्री के शामिल होने से पूरी राजधानी लखनऊ में ट्रैफिक जाम के हलात रही. लालबत्ती हटने से वीआईपी कल्चर से मुक्ति की चाह रखने वालों को तब गहरा झटका लगा जब उनको घंटों गरमी और उमस भरे माहौल का सामना करना पडा. कई लोगों को सड़क पर खड़ी गाडियों में ही समय बिताना पडा. योगा डे पर बरसात ने लोगों की उम्मीदों पर भी पानी फेरने का काम किया.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...