भारतीय क्रिकेट में लंबे समय से चला आ रहा कुंबले-कोहली विवाद कुंबले के इस्तीफे के साथ समाप्त हो गया. यह रिश्ता उस मुकाम पर पहुंच गया जहां से वापसी की अब कोई राह नहीं बची.
कुंबले को वेस्टइंडीज दौरे तक कोच सिलेक्शन कमेटी ने हेड कोच की पोस्ट जारी रखने के लिए कहा था, पर उन्होंने उस से पहले ही इस्तीफा दे दिया. साल भर पहले ही कुंबले जून में कोच बने थें. इस दरमियान टीम इंडिया ने अच्छा प्रदर्शन किया.
कुंबले ने बाद में ट्वीट कर अपनी बात भी रखी. उन्होंने कहा कि बीसीसीआई ने मेरे और कप्तान के बीच गलतफहमियां दूर करने का प्रयास किया लेकिन यह साझेदारी अस्थायी थी और मुझे लगता है कि आगे बढ़ने का यह सही समय है.
विराट से कुंबले के रिश्ते इतने खराब हो गए कि उन्हें कोच पद तक छोड़ देना पड़ा? ट्विटर पर उन्होंने बयान जारी करते हुए अपना 'दर्द' लिखा. उन्होंने अपनी ड्यूटी आईना दिखाने वाली बताई? आखिर कुंबले किसे आईना दिखाने की बात कर रहे हैं?
कुंबले ने कहा, 'सीएसी (कोच अप्वाइंटमेंट कमेटी) का मैं शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मेरे पर विश्वास जताया और मुझे बतौर हेड कोच काम जारी रखने को कहा. मैं पिछले एक वर्ष की उपलब्धियों का श्रेय कैप्टन, पूरी टीम, कोचिंग और स्पोर्टिंग स्टाफ को दूंगा.'
ट्विटर पर जारी बयान में उन्होंने कहा, मुझे कल बीसीसीआई ने पहली बार बताया कि कैप्टन (विराट कोहली) को मेरी 'स्टाइल' और मेरे कोच पद पर बरकार रहने से परेशानी है. इस बात से मैं आश्चर्यचकित था, क्योंकि मैंने हमेशा ही कप्तान और कोच के बीच सीमाओं की भूमिका का सम्मान किया है. हालांकि बीसीसीआई ने कैप्टन और मेरे बीच गलतफहमी को सुलझाने की कोशिश की. पर मैं सोचता हूं कि मेरे लिए यहां से मूव कर जाना ही अच्छा है.
पेशेवर, अनुशासन, प्रतिबद्धता, ईमानदारी, कौशल और विभिन्न विचार महत्वपूर्ण है. मैंने इन्हें सामने रखा. साझेदारी का प्रभाव दिखे, इसलिए इनका मूल्यांकन जरूरी है. मैं सोचता हूं कि कोच की भूमिका है, टीम के हित में आत्म सुधार करने के लिए आईना लेकर खड़ा रहना.
कुंबले ने आगे लिखा, ‘इन्हीं ‘ऐतराज’ के चलते मुझे लगता है इस जिम्मेदारी को क्रिकेट सलाहकार समिति और बीसीसीआई को सौंप देना चाहिए, वे जिसे योग्य समझें उसे ये जिम्मेदारी सौंप दें.’
उन्होंने कहा, 'पिछले एक साल से मुख्य कोच के रूप में सेवा करना एक पूर्ण विशेषाधिकार मिला, इसके लिए मैं शुक्रगुजार हूं. मैं सीएसी, बीसीसीआई, सीओए सभी का धन्यवाद करता हूं. मैं अनुयायों और क्रिकेट फैन्स को भारतीय क्रिकेट टीम के लिए उनके समर्थन के लिए के शुक्रिया अदा करना चाहता हूं साथ ही मैं क्रिकेट की इस परंपरा का शुभचिंतक रहूंगा.'
कुंबले के इस्तीफे के बाद यह बात तो साफ हो गई है कि सीएसी द्वारा कप्तान और कोच में सुलह कराने की कोशिश नाकाम रही है. कोहली पीछे हटने को तैयार नहीं और न ही वह किसी तरह का समझौता ही करना चाहते हैं. ऐसे में कुंबले के पास इस्तीफा देने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा था.
विराट से रिश्ते खराब होने के संभावित कारण
सख्त कोच से दिक्कत
कहा जाता है कि कोच कुंबले टीम इंडिया में अनुशासन को लेकर काफी सख्त थें. कई मौकों पर वह प्रैक्टिस के दौरान खिलाड़ियों को लताड़ भी लगा चुके थें. साथ ही कई दौरों पर वे टीम के खिलाड़ियों की गर्लफ्रेंड, पत्नियों के जाने के भी खिलाफ थे. हालांकि, इस बारे में कभी उन्होंने खुलकर कोई बयान नहीं दिया.
विराट का शास्त्री प्रेम
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो कोच के तौर पर विराट कोहली की पहली पसंद रवि शास्त्री हैं. वह कुंबले से पहले बतौर डायरेक्टर और कोच टीम इंडिया से जुड़े थें.
विराट ने किया खुलकर विरोध
चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान के हाथों हार के बाद कोच कुंबले और कप्तान विराट के बीच सुलझता हुआ मामला फिर उलझ गया था. विराट ने फाइनल से एक दिन पहले क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) के समक्ष कुंबले को लेकर खुलकर आपत्ति जताई थी. जिससे सलाहकार समिति पसोपेश में थी.
इन सबके बावजूद कोच के तौर पर कुंबले की काबिलियत किसी से छिपी नहीं है. अमेरिका में वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे सीरीज और पाकिस्तान के विरुद्ध चैंपियंस ट्रॉफी में भारत की हार के अलावा और कोई असफलता कुंबले को खाते में नहीं है.
टेस्ट में 70, वनडे में 61 और टी-20 में 40 प्रतिशत जीत का प्रतिशत कुंबले के नाम पर रहा. साथ ही इस दौरान विराट कोहली ने भी बेहतर प्रदर्शन किया.
तीनों फॉर्मेंट में टीम इंडिया का प्रदर्शन
टेस्ट: 17 मैच, जीते 12, हारे 1, ड्रॉ 4, 70.59% जीत
वनडे: 13 मैच, जीते 8, हारे 5, 61.54% जीत
टी-20: 5 मैच, जीते 2, हारे 2, बेनतीजा 1, 40.00% जीत