डा. राजाराम त्रिपाठी राष्ट्रीय संयोजक, अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा)

हाल ही में सरकार द्वारा एमएसपी पर कमेटी गठित की गई है. इस बारे में डा. राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि 29 सदस्यीय इस कमेटी में लगभग सभी सदस्य या तो सरकार में शामिल लोग हैं या सरकार से वेतनभोगी अधिकारी हैं, या फिर सत्तारूढ़ पार्टी से जेबी संगठनों के लोग हैं. इतना ही नहीं सरकार के कृपा पात्र और लाभार्थी कंपनियों के लोग इस में शामिल हैं. इन लोगों का इतिहास हम सब को भलीभांति पता है. इन से किसान हितों के बारे में सोचने की कोई उम्मीद नहीं की जा सकती.

डा. राजाराम त्रिपाठी ने आगे कहा कि इस कमेटी के अध्यक्ष संजय अग्रवाल को बनाया गया है, जिन की अगुआई में उन तीनों काले कानूनों का ड्राफ्ट तैयार किया गया था, जिस का देश के किसानों ने जम कर विरोध किया और उस के बाद उन्हें सरकार को वापस लेना पड़ा.

सही तथ्य यह है कि यह सरकार वास्तव में हमें एमएसपी देना ही नहीं चाहती, क्योंकि हम ने तो सरकार से साफसाफ कहा था कि आप तो वैसे भी दिनप्रतिदिन नएनए कानून ला ही रहे  हैं, तो किसानों पर कृपा कर एक कानून आप एमएसपी पर भी ले कर आ जाइए कि किसानों के उत्पाद को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत पर यदि कहीं भी कोई भी खरीदता है, तो वह कानूनन जुर्म होगा.

लेकिन यह सरकार तो पूरी तरह से बड़े व्यापारियों के लिए समर्पित प्रतीत होती है. और शायद इसीलिए यह सरकार नहीं चाहती कि सरकार के चहेते व्यापारियों की जेब ढीली हो.

अब रहा सवाल इस कमेटी के नाम पर खड़ी की गई नौटंकी का तो इस में कोई भी गैरतमंद किसान संगठन कभी शामिल नहीं होगा, क्योंकि सरकारी और सत्तारूढ़ दल के हितैषी संगठनों के लोगों से भरी हुई यह कमेटी केवल सरकार के चहेते व्यापारियों के हितों के बारे में ही सोच सकती है, किसानों के हित के बारे में कभी नहीं सोच सकती.

वैसे भी हमारे देश में यह कहा जाता है कि जिस समस्या को हल न करना हो, उस के लिए आप एक कमेटी बना दो, फिर उस कमेटी ने क्या किया, इस की जांच के लिए एक कमेटी बना दो, फिर उन दोनों कमेटियों के कार्यों के मूल्यांकन के लिए एक कमेटी बना दो. यह कमेटी केवल आगामी चुनावों में लाभ प्राप्त करने के लिए बनाई गई दिखावा सरकारी नौटंकी कमेटी है. इस नौटंकी कमेटी से किसानों को अंतत: दुख ही मिलेगा, इसलिए हम ने इसे ‘दुखांतिका नौटंकी’ कहा है.

गौरतलब है कि सरकार द्वारा वापस लिए गए तीनों कृषि कानूनों का शुरुआत में जब कुछेक भ्रमित किसान संगठन स्वागत कर रहे थे, तब सर्वप्रथम अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा) ने ही तीनों कृषि कानूनों के खतरनाक प्रावधानों के बारे में देश के किसानों को सचेत करते हुए इन के व्यापक विरोध का सूत्रपात किया था और आईफा की ओर से डा. राजाराम त्रिपाठी ने ही कृषि कानूनों की एकएक परतें खोल दी थीं.

अभी विगत दिनों ही एमएसपी को ले कर आईफा के राष्ट्रीय संयोजक डा. राजाराम त्रिपाठी, देश के जानेमाने वरिष्ठ किसान नेता वीएम सिंह, महाराष्ट्र से राजू शेट्टी, राजस्थान से रामपाल जाट, पंजाब के संयोजक जसकरण सिंह, हिमाचल प्रदेश से संजय कुमार, जम्मूकश्मीर से यवर मीर, झारखंड से संजय ठाकुर, बिहार से छोटे लाल श्रीवास्तव, आंध्र प्रदेश से जगदीश रेड्डी, तमिलनाडु से पलनी अप्पन, गुजरात से सरदूल सिंह, पंजाब से जसविंदर सिंह विर्क, हरियाणा से जगबीर घसौला, दिल्ली से संदीप कुमार शास्त्री, उत्तराखंड से अवनीत पंवार, पूर्वोत्तर से कमांडर शांगपलिंग, अल्फोंड बर्थ, एथीना चोहाई समेत देश के 200 किसान नेताओं की दिल्ली में लगातार बैठकें हुईं और ‘एक सूत्रीय कार्यक्रम’  के तहत देश के सभी कृषि उत्पादों के लिए  एमएसपी कानून लाने के लिए ‘राष्ट्रीय एमएसपी गारंटी मोरचा’ का गठन किया गया.

इसी संदर्भ में आगामी 6 से 8 अक्तूबर को देश के सारे किसान नेता और किसान समूह दिल्ली में जमा होंगे. 3 दिवसीय महासम्मेलन में देश के हर राज्यों की खेती की दिशा, दशा और एमएसपी गारंटी मोरचा की राष्ट्रीय रूपरेखा तय कर दी जाएगी.

– विवेक कुमार, अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा)    

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