रोजगार देने में नाकाम साबित हो रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संस्कारों की बात करने लगे हैं क्योंकि उन के पास देने को कुछ और है भी नहीं. देश के नौजवान रोजगार से नहीं बल्कि संस्कारों से ही महान बन सकते हैं. उन का महान बनना जरूरी है क्योंकि देश को महान बनना है और वह देश कभी विश्वगुरु बन ही नहीं सकता जिस के युवा पकौड़े की दुकान खोलने का मशवरा अनसुना कर मुंह लटकाए हाथ में कटोरा और कटोरे में डिग्री लिए रोजगार की भीख मांगें.
बडोदरा के स्वामीनारायण मंदिर में वीडियो कौन्फ्रैंस के जरिए युवा शिविर को उपदेशों की वैक्सीन देते हुए नरेंद्र मोदी ने संस्कार के 6 मतलब भी गिना डाले जो जाहिर है धर्मग्रंथों से उड़ाए गए थे. उन्होंने साबित कर दिया कि संस्कार हैं तो सबकुछ है, इसलिए रोजगार के मसले पर युवाओं को निराश होने की कोई जरूरत नहीं है. शुक्र तो इस बात का है कि अभी रोजगार मांगना राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में नहीं रखा गया है.
एक थप्पड़ दो टारगेट
सत्ता से बाहर होते हुए भी राजद बिहार का सब से बड़ा दल है जिस के जनक वृद्ध लालू यादव आएदिन जेल के अंदरबाहर होते रहते हैं. सीबीआई उन के दर पर बिन बुलाए मेहमान की तरह हर कभी सुबहसुबह आ धमकती हैं. ताजा आरोप लालू का रेलमंत्री रहते जमीन ले कर नौकरी देने के आइडिए का है. भारी अफरातफरी और तनाव के बीच उन की पत्नी व पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी कार्यकर्ताओं को मुखिया की कमी नहीं अखरने देतीं.
इस कमी को मनोवैज्ञानिक तरीके से दूर करने के लिए उन्होंने अपने ही एक कार्यकर्ता को जोरदार प्रायोजित थप्पड़ जड़ दिया क्योंकि कई कार्यकर्ता उस वक्त उन के समर्थन में नारे लगा रहे थे जब सीबीआई वाले दिल्ली से आ कर उन का पहले से खंगालाखंगलाया घर और खंगाल रहे थे. कार्यकर्ता तो इस प्रसाद से प्रसन्न हो गया लेकिन सीबीआई वाले सहम गए और यही राबड़ी की मंशा भी थी.
जिल्दबंद चाटुकारिता
भाजपा के शीर्ष नेता कुछ और करें न करें, पौराणिक पात्रों की तर्ज पर एकदूसरे की तारीफ जरूर किया करते हैं. बड़े नेता छोटे की करें तो इसे आशीर्वाद और छोटा बड़े की करे, तो इसे खुशामद कहा जाता है. मंचों से मुंहजबानी की गई तारीफ व्हाट्सऐप के मैसेज की तरह डिलीट हो जाती है. इसलिए इन नेताओं ने चापलूसी को स्थायी बनाने को किताबें लिखना और लिखाना शुरू कर दिया है. हाल ही में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने उन के गुरु नंबर 2 पर लिखी किताब ‘अमित शाह और भाजपा की यात्रा’ के मराठी संस्करण का विमोचन किया.
विमोचन के मौके पर स्मृति वही बोलीं जो भक्तिकाल में मीरा बाई ने कृष्ण के बारे में पद्य रूप में कहा है. इस भक्ति की अतिशयोक्ति इस कथन के साथ समाप्त होती है कि अमित शाह ने महज 13 साल की उम्र में शास्त्रों और उपनिषदों का पूर्ण ज्ञान हासिल कर लिया था.
बुढ़ापे को बनाया हथियार
भगवा गैंग में शामिल हो कर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने वक्त से पहले उस के तौरतरीके सम?ा लिए हैं. अब वे हर कभी आरएसएस के दफ्तर में साष्टांग हो जाते हैं, छोटेमोटे कार्यकर्ताओं से हाथ मिला लेते हैं. और तो और, कभी कालीन से नीचे पांव न रखने वाले श्रीमंत अपनी नाजुक हथेलियों से सफाईकर्मियों के खुरदुरे पैर भी धुला देते हैं जिस से
उन का कांग्रेस को धोखा देने का पाप
20-25 फीसदी ही धुल जाए. यह गिल्ट उन का पीछा आसानी से नहीं छोड़ रहा है. अशोकनगर के एक सरकारी आयोजन में उन्होंने अपना ताजा दर्द बयां करते हुए कहा, ‘अब मैं बूढ़ा हो गया हूं’ तो मौजूद लोग उन के चिकनेचुपड़े गैर?ार्रीदार गुलाबी चेहरे में बुढ़ापे की निशानियां ढूंढ़ने लगे जो कि, चूंकि हैं नहीं इसलिए, दिखीं नहीं. बात असल में कुछ और थी जिस का सीधा ताल्लुक उन्हें मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने की आएदिन की अटकलों से है. सिंधिया जो इशारों में कह गए वह यह था कि मैं तो अभी 51 का ही हूं और कुरसी पर 63 के शिवराज सिंह चौहान बैठे हैं.