सौजन्य- सत्यकथा
नाम की तरह चंचला का दिल भी चंचल था. तभी तो 6 महीने तक प्रेमी मिथुन से प्यार करने के बाद उस ने दूसरे प्रेमी आकाश को चुन लिया. आकाश और चंचला को जब भी मौका मिलता, जमाने की नजरों से बचते हुए वे आम के बगीचे में निकल जाते थे और जी भर कर बातें करते थे. एक दिन काले घने लंबे केशों को अंगुलियों में लपेट कर खेल रहा आकाश चंचला की झील सी गहरी आंखों में डूबते हुए बोला, ‘‘तुम बेहद खूबसूरत हो, चंचला.’’
‘‘अच्छा,’’ अपनी खूबसूरती की तारीफ सुन कर इठलाती हुई चंचला आगे बोली, ‘‘क्या मैं वाकई बेहद खूबसूरत हूं या यूं ही…’’
‘‘चाहे तुम जिस की भी सौगंध ले लो, मैं झूठी कसमें नहीं खाता हूं. जब से तुम मेरी जिंदगी में आई हो, मेरी जिंदगी ही बदल गई है.’’ चंचला को अपने आगोश में लेते हुए आकाश ने लंबी गहरी सांसें लीं तो चंचला के बदन में आकाश के गरम बदन के स्पर्श के बाद एक झुरझुरी सी दौड़ पड़ी और उसे कस कर अपनी बांहों में भर लिया.
फिर उस की आंखों में झांकती हुई वह धीरे से बोली, ‘‘क्या तुम सचमुच मुझे बेहद प्यार करते हो?’’
‘‘अपने आप से भी ज्यादा,’’ सटीक जवाब दिया आकाश ने.
‘‘कभी तुम मुझे धोखा तो नहीं दोगे?’’
‘‘चाहे तो कोरे कागज पर लिखवा लो. मेरा नाम यूं ही आकाश नहीं है, दिल भी मेरा आकाश की तरह बड़ा है. रही धोखा देने वाली बात तो आज तो ऐसी बात कह दी तुम ने, ऐसी बात फिर से मत कहना. मैं क्या तुम्हें धोखेबाज नजर आता हूं या मेरा प्यार ही धोखा है?’’ खुद की बांहों से चंचला को दूर करते हुए आकाश बोला.
‘‘तुम तो बुरा मान गए. मेरा वो कहने का मतलब नहीं था जो तुम समझ रहे हो,’’ तड़प कर चंचला बोली.
‘‘मैं क्या समझ रहा हूं,’’ झुंझला कर आकाश बोला, ‘‘यार, मैं ही पागल था जो तुम जैसी लड़कियों से दिल लगा बैठा.’’
‘‘अरे, बाप रे बाप,’’ चंचला समझ रही थी उस का प्यार उस की बातों से काफी गुस्सा हो गया है. इसलिए उस ने अपनी बातों को दूसरी ओर घुमा दिया, ‘‘मेरा सोना, इतना गुस्सा. मैं ने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरा होने वाला पति इतना गुस्से वाला होगा.’’
‘‘यार, तुम…तुम फिजूल की बातें मत किया करो, वरना…’’
‘‘वरना क्या, तुम मुझे और भी ज्यादा प्यार करोगे?’’
‘‘यार तुम मुझे और ज्यादा परेशान मत करो, वरना मुझे और ज्यादा गुस्सा आ जाएगा.’’
‘‘गुस्सा आ जाएगा तो मेरी बला से,’’ प्रेमी की कमर में गुदगुदाते हुए चंचला ने शरारत भरी आंखों से उस की ओर देखा तो आकाश अपनी हंसी नहीं रोक सका. उसे हंसता हुआ देख चंचला के चेहरे पर भी मुसकान तैरने लगी.
आम के बड़े बगीचे में एक पेड़ की ओट लगाए बैठे प्रेमी युगल ने घंटों कैसे बिता दिए, उन्हें पता ही नहीं चला. उन्हें तो ऐसा लग रहा था जैसे अभीअभी आए हों. अभी मिले हों और प्यार की दोचार बातें की हों.
कल फिर इसी जगह मिलने का वादा कर के आकाश अपने घर की ओर हो लिया तो चंचला भी दूसरे रास्ते से अपने घर की ओर बढ़ चली थी. ये बात 7 जनवरी, 2022 की उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले की झंगहा थानाक्षेत्र के नौवाबारी गांव की है.
वादे के मुताबिक, अगले दिन चंचला प्रेमी आकाश से मिलने उसी जगह पहुंची, जहां बीते कल दोनों मिले थे. घंटों इंतजार के बाद भी न तो आकाश वहां पहुंचा और न ही उस ने चंचला को फोन किया. गुस्से से चंचला लालपीली हुई जा रही थी.
उसे विश्वास था उस का प्यार और लड़कों जैसा धोखेबाज नहीं है. वादा किया है तो उस से मिलने जरूर आएगा, लेकिन आकाश नहीं आया और दिन ढलने को भी आ गया.
हारे जुआरी की तरह चंचला लड़खड़ाते कदमों से घर पहुंची और बिस्तर पर जा कर पसर गई. आकाश के न आने से चंचला अंतर्मन तक दुखी थी. किसी काम में उस का मन नहीं लग रहा था. फिर मन ही मन वह यह सोच रही थी कि हर लड़कों से आकाश जुदा था फिर उस से वादा कर के मिलने क्यों नहीं आया.
कई दिन बीत गए थे. न तो आकाश गांव में कहीं दिखा और न ही उस का फोन आया. ऊपर से उस का मोबाइल फोन स्विच्ड औफ आ रहा था. चंचला आकाश की विरह में तड़प रही थी.
खैर, 25 जनवरी, 2022 की बात है. समय यही कोई सुबह का था. कुत्तों का झुंड गांव के बाहर गुलाब जायसवाल के खेत में गड्ढे में मंडरा रहे थे. कुत्तों को देख गांव वाले मौके पर पहुंचे तो वहां सड़ांध महसूस हुई, जहां अपने पैरों से कुत्ते उसे जगह को खोद रहे थे.
उसी समय गांव वालों ने इस की जानकारी मुखिया को दी और मुखिया ने यह खबर झंगहा थाने तक पहुंचा दी.
घटना की जानकारी मिलते ही थानाप्रभारी संतोष कुमार अवस्थी एसआई धीरेंद्र राय, देवीशंकर पांडेय, कांस्टेबल कमलापति तिवारी, प्रभात मिश्र और अशोक कुमार के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. मौके पर पहुंची पुलिस ने फावड़े से उस जगह की खुदाई करानी शुरू की, जहां कुत्ते अपने पैरों से खोद रहे थे. थोड़ी सी मिट्टी हटते ही सब की आंखें आश्चर्य से फटी रह गईं. 2 अलगअलग गड्ढों में एकएक कर 2 लाशें मिलीं.
दोनों लाशें गड्ढे से निकाली गईं. दोनों के हाथ नायलोन की रस्सी से पीछे की ओर बंधे थे और किसी भारी धारदार हथियार से दोनों के सिर पर वार किया गया था. यही नहीं, खोजबीन करते वक्त मौके से पुलिस को एक मोबाइल फोन भी मिला, जिसे पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया.
लाश मिलते ही मौके पर मौजूद गांव वालों की अचरज से आंखें फटी रह गईं और उन के पैरों की जमीन भी जैसे खिसक गई. दोनों लाशें गांव से 19 दिनों पहले रहस्यमय तरीके से गायब साहब जायसवाल के बेटे आकाश और जितेंद्र जायसवाल के बेटे गणेश जायसवाल की थीं.
आकाश और गणेश की लाशें बरामद होते ही गांव में दहशत फैल गई थी. साहब और जितेंद्र जायसवाल के घर में तो कोहराम मच गया था. दोनों घरों में रोनापीटना शुरू हो गया था. दोनों परिवारों को यह यकीन नहीं हो रहा था कि उन के बच्चे अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन उन की हत्या किस ने और क्यों की होगी. यह एक बड़ा सवाल बन कर सामने आ खड़ा था.
दरअसल, 7 जनवरी, 2022 को दिन में आकाश चंचला से मिल कर घर लौटा. देर रात तक वह और उस का अजीज दोस्त गणेश दोनों ही गांव में घूमते देखे गए थे. उस के बाद से दोनों अचानक गायब
हो गए.
दोनों के अचानक से लापता होने से घर वाले परेशान हो गए थे. वे समझ नहीं पा रहे थे कि उन्हें धरती निगल गई या आसमान खा गया? अभी दोनों यहीं देखे गए थे फिर अचानक से गायब कहां हो गए.
खैर, रात जैसेतैसे बीती. साहब जायसवाल और जितेंद्र जायसवाल दोनों ही अपनेअपने बेटों को 4 दिनों तक उन के हर संभावित ठिकानों पर ढूंढते रहे. जब दोनों का कहीं पता नहीं चला तो हार मान कर 11 जनवरी, 2022 को झंगहा थाने की नई बाजार, पुलिस चौकी में दोनों के लापता होने की संयुक्त तहरीर दे दी थी.
तहरीर लेने के बाद पुलिस चुपचाप बैठ गई. इधर आकाश और गणेश के रहस्य से परदा उठ चुका था. पुलिस ने दोनों लाशों का पंचनामा भर कर पोस्टमार्टम के लिए बाबा राघवदास मैडिकल कालेज, गुलरिहा भिजवा दिया.
उधर लाशें बरामद होने के बाद मौके पर पहुंचे थानाप्रभारी संतोष कुमार अवस्थी ने घटना की सूचना एसपी (उत्तरी) मनोज अवस्थी, एसपी (सिटी) सोनम कुमार, सीओ (चौरीचौरा), एसएसपी डा. विपिन ताडा और डीआईजी जे. रविंद्र को दे दी.
घटना की सूचना जैसे ही पुलिस अधिकारियों को मिली, वे तुरंत हरकत में आए और मौके पर पहुंच कर घटनास्थल का जायजा लिया. वे जानते थे कि उन्होंने अगर ऐसा नहीं किया तो मुख्यमंत्री उन्हें बख्शेंगे नहीं. क्योंकि दिल दहला देने वाली यह घटना मुख्यमंत्री योगी के शहर में घटी थी.
डीआईजी जे. रविंद्र ने एसएसपी डा. विपिन ताडा को दोहरे हत्याकांड का जल्द से जल्द परदाफाश करते हुए असल कातिल को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने के आवश्यक निर्देश दिए.
डीआईजी के आदेश के बाद जिला पुलिस तेजी से हरकत में आई और आगे की काररवाई शुरू की. जांच की काररवाई थानाप्रभारी संतोष कुमार अवस्थी को सौंप दी गई थी. प्रथमदृष्टया प्रेम प्रसंग में हत्याकांड को अंजाम देना लग रहा था और पुलिस ने अपनी काररवाई का रुख भी इसी ओर मोड़ दिया था.
यही नहीं, शवों के पास से बरामद मोबाइल फोन भी जांच के लिए फोरैंसिक प्रयोगशाला, लखनऊ भेज दिया गया. कातिलों तक पहुंचने के लिए पुलिस के पास यही एक सहारा बचा था.
घटनास्थल चीखचीख कर कह रहा था कि हत्या कहीं और की गई थी और लाशों को यहां ला कर दफनाया गया था. इस से यही साबित हो रहा था कि हत्यारा गांव की भौगोलिक स्थिति से परिचित था. इस का मतलब हत्यारा कोई गांव का ही हो सकता था. पुलिस की जांच गांव के इर्दगिर्द जा कर सिमट गई थी.
2 दिनों बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस को मिल गई थी. रिपोर्ट में चौंकाने वाली बातें लिखी हुई थीं. दोनों युवकों की हत्या करीब 17-18 दिन पहले की गई थी, वह भी किसी धारदार हथियार से.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से एक बात साफ हो गई थी कि आकाश और गणेश जिस दिन गायब हुए थे, उसी दिन उन की हत्या कर दी गई थी. पुलिस हत्यारों तक पहुंच न सके, इसलिए मोबाइल फोन लाश के साथ गड्ढे में दफना दिया था. फोन आकाश की लाश के पास बरामद हुआ था, इसलिए पुलिस उस फोन को आकाश का मान कर चल रही थी.
29 जनवरी को मोबाइल की काल डिटेल्स आ चुकी थी. रिपोर्ट के मुताबिक फोन आकाश का ही था. 7 जनवरी की रात करीब साढ़े 7 बजे उस के मोबाइल पर एक नंबर से काल आई थी. उस के तुरंत बाद उस ने दूसरे नंबर पर किसी को काल की थी.
जिस नंबर पर आकाश ने काल की थी, जांच में वह नंबर उस के दोस्त गणेश का निकला, जिस की उस के साथ ही हत्या हो चुकी थी.
पुलिस ने उस पहले वाले नंबर की जांच की तो वह नंबर किसी सत्यम पुत्र ओमप्रकाश निवासी नौवाबारी, झंगहा का निकला. पुलिस पूछताछ के लिए सत्यम को हिरासत में थाने ले आई. थाने में उस के साथ कड़ाई से पूछताछ की गई तो उस ने सारा सच उगल दिया.
उस ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि आकाश और गणेश दोनों उस के अजी॒ज दोस्त थे. दोनों की हत्या उस ने नहीं की. यह सच है कि हत्या जैसे जघन्य अपराध में उस ने अपनी भागीदारी निभाई थी.
प्यार में रंजिश रखे उन की हत्या मिथुन ने की थी. फिर उस ने पूरी कहानी विस्तार से कह सुनाई, जो त्रिकोण प्रेम पर आधारित थी.
सत्यम की निशानदेही पर उसी दिन नौवाबारी का रहने वाला मिथुन भी पुलिस की पकड़ में तब आ गया जब वह कहीं भागने की फिराक में गाड़ी के इंतजार में सड़क किनारे परेशानहाल खड़ा था.
पूछताछ में मिथुन ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया और वही बयान दिया जो पहले सत्यम दे चुका था. आखिर में उस ने कहा, ‘‘मेरे और चंचला के प्यार के बीच में जो भी आएगा, वह मारा जाएगा.’’ उसे अपने किए पर तनिक भी अफसोस नहीं है.
19 दिनों से आकाश और गणेश के दोहरे हत्याकांड से परदा पूरी तरह उठ चुका था. एसपी (उत्तरी) मनोज कुमार अवस्थी ने अगले दिन 30 जनवरी, 2022 को पुलिस लाइन में प्रैसवार्ता आयोजित की और दोहरे हत्याकांड का खुलासा किया जो त्रिकोण प्रेम के दुष्परिणाम के रूप में सामने आया.
फिर पुलिस ने दोनों आरोपियों मिथुन और सत्यम को कोर्ट के सामने पेश कर गोरखपुर मंडलीय कारागार भेज दिया. पुलिस पूछताछ के आधार पर इस दोहरे हत्याकांड की कहानी ऐसे सामने आई—
17 वर्षीय आकाश मूलरूप से गोरखपुर जिले के झंगहा थाने के नौवाबारी का रहने वाला था. साहब जायसवाल के 3 बच्चों में वह सब से बड़ा था. आकाश इंटरमीडिएट का छात्र भी था और गोरखपुर औद्योगिक क्षेत्र में मजदूरी भी करता था. उसी गांव में गणेश भी रहता था. गणेश आकाश का दोस्त था और उस से करीब एक साल छोटा था.
16 वर्षीय गणेश अपने भाईबहनों में बीच का था. वह 3 भाईबहन थे. बहन सब से छोटी थी. पिता जितेंद्र जायसवाल 5 सदस्यीय परिवार का टैंपो चला कर भरपोषण करते थे.
गणेश जैसा काबिल और लायक बेटा पा कर वह बेहद खुश थे क्योंकि इस छोटी उम्र में वह पढ़ाई के साथसाथ घर संभालने में पिता का हाथ बंटा रहा था. आकाश के साथ वह भी गीडा में नौकरी करता था.
आकाश और गणेश का एक और जानी यार था सत्यम. तीनों की यारी के चर्चे गांव में होते थे. एकदूसरे के वे हमराज भी थे जो एकदूजे के एकएक अच्छेबुरे राज को अपने सीने में दफन किए थे.
सत्यम आकाश का गहरा और विश्वासपात्र दोस्त था, यह बात उसी गांव में रहने वाला मिथुन प्रसाद जानता था. मिथुन के सीने में आकाश के प्रति नफरत की आग धधक रही थी. उसे जब भी देखता, नफरत भरी हुंकार मारता था. ऐसा लगता था जैसे उसे अभी जिंदा खा जाएगा.
मिथुन के सीने में आकाश के प्रति जो नफरत की आग धधक रही थी, इस के पीछे नादान इश्क ने जन्म लिया था. वह इश्क कोई और नहीं, आकाश के पड़ोस में रहने वाली सुंदर लड़की चंचला थी, जिसे मिथुन दिलोजान से चाहता था और चंचला भी उसे प्यार करती थी.
दोनों के सीने में मोहब्बत की आग बराबर लगी थी. आखिर ऐसा क्या हुआ था जो मिथुन को अपने प्यार की कुरबानी देनी पड़ी थी. जब तक इस प्रकरण पर रोशनी नहीं डाली जाएगी, कहानी तिलिस्म ही बनी रहेगी.
करीब 22 वर्षीय मिथुन प्रसाद देवरिया जिले के रामपुर कारखाना थाने के एक छोटे से गांव बनकटा का मूल निवासी था. मिथुन के पिता रामदयाल प्रसाद की शादी गोरखपुर जिले के झंगहा के नौवाबारी में नेवासा में हुई थी.
रामदयाल शादी के बाद घरजमाई बन कर ससुराल में पत्नी के साथ रहता था और सासससुर की सेवा करता था.
मिथुन का जन्म नौवाबारी में हुआ था. उसी गांव में बचपन बीता और पलाबढ़ा भी. आशिकमिजाज मिथुन का मन पढ़ाई में नहीं लगता था. 12वीं तक पढ़ने के बाद उस ने अपनी आगे की पढ़ाई पर विराम लगा दिया था और शादीपार्टियों में डीजे बजाने लगा.
मिथुन जिस डीजे को बजाता था, उस पार्टी में 3 नाचने वाली युवतियां भी थीं. बारातियों का मन अपनी अदाओं से जब भी वो लुभाती थीं, मिथुन के सीने पर सांप लोट जाता था. उन तीनों में से मिथुन का दिल नाजनीन पर आ गया.
स्टेज पर नाजनीन जब भी ठुमके लगाती, मिथुन भी वहां पहुंच कर उस के साथ नाचने लगता था. नाजनीन के स्पर्श से मिथुन के बदन में वासना की आग लगने लगती थी.
मिथुन नाजनीन के हुस्न की गिरफ्त में आ चुका था. उस के गदराए बदन को पाने के लिए मौके की फिराक में पड़ा रहता था.
एक दिन मिथुन ने नाजनीन के साथ तब अपना मुंह काला कर दिया, जब वह पार्टी प्लेस के एक कमरे में रात में प्रोग्राम कर अकेली सो रही थी. इस जुर्म में मिथुन को जेल भी जाना पड़ा. यह बात 2020 की है.
जेल की सलाखों के पीछे के दौरान उसी जेल में कैदी दीनानाथ से उस की मुलाकात हुई. दीनानाथ गोरखपुर के झंगहा के नौवाबारी का ही रहने वाला था. बातोंबातों में दोनों ने अपना परिचय एकदूसरे को दिया तो दोनों ही यह जान कर खुश हो गए कि वे एक ही इलाके के रहने वाले थे.
परिचय के दौरान मिथुन को यह भी पता चल चुकी थी कि दीनानाथ की एक सयानी बेटी चंचला भी है, जो मां के साथ घर पर रहती है. उस दिन से चंचला की तसवीर मिथुन की आंखों के सामने उभरने लगी थी.
9 महीने बाद जमानत पर मिथुन बाहर आया. बाहर आ कर सब से पहले वह दीनानाथ के घर पहुंच कर उस की पत्नी और बेटी से मिला और दीनानाथ की कुशलता का समाचार दिया. उस द्नि के बाद से दीनानाथ के घर का दरवाजा मिथुन के लिए खुल गया था.
मिथुन ने चंचला के बारे में जैसी कल्पना की थी, वह वैसी ही निकली. कच्ची उम्र के जिस पड़ाव में दोनों थे. इश्क के चक्कर में वहां अकसर लड़केलड़कियों के पांव फिसल जाते हैं. यहां भी वही हुआ. मिथुन और चंचला एकदूसरे से प्यार करते थे. एकदूसरे के प्यार में दोनों इस कदर डूबे हुए थे कि भविष्य की योजना तक बना डाली.
चंचला मिथुन के इश्क में इस कदर अंधी हो गई थी कि मिथुन के सिवाय उसे कुछ नहीं दिखता था. हर घड़ी उस की आंखों के सामने मिथुन का चेहरा दिखता था. इस बीच दीनानाथ भी जमानत पर जेल से बाहर आ गया था.
पिता के घर आ जाने से मिथुन का उस के घर पर ज्यादा देर तक टिकना बनता नहीं था. पहले की तरह दोनों खुल कर प्यार भी नहीं कर पा रहे थे. चंचला मिथुन को अपने आगोश में भरने के लिए तड़प रही थी.
बात करने के लिए चंचला को उस ने एक नया मोबाइल फोन दिया था. चंचला मोबाइल फोन को घर में छिपा कर रखती थी. उसे जब भी मौका मिलता तो चुपके से मिथुन से बात कर लेती थी. इसी बीच एक दिन मौका देख कर चंचला मिथुन के साथ घर से पैसे चुरा कर भाग गई.
सयानी बेटी के घर से भाग जाने पर दीनानाथ की गांव में बहुत बेइज्जती हुई. मिथुन उस की इज्जत पर जीवन भर के लिए धब्बा लगा देगा, यह उस ने सपने में भी नहीं सोचा था. लेकिन यह बदनुमा दाग ले कर दीनानाथ जीना नहीं चाहता था, इसलिए अपनी जानपहचान वालों से उस ने बेटी के बारे में पता लगाना शुरू कर दिया. आखिरकार, बेटी को 6 महीने में ढूंढ निकाला.
चंचला मिथुन के साथ 6 महीने तक रही थी. मांबाप ने बेटी को समझाया और ऊंचनीच समझाया. उस के मांबाप ने उसे यह भी समझाया कि मिथुन उस की जातिबिरादरी का नहीं है, इसलिए उस के साथ जीवन बिताने का सपना देखना छोड़ दे. वक्त आने पर वह खुद ही अच्छा घरवर देख कर शादी कर देंगे.
मांबाप ने बेटी को जो समझाया, उस के सामने चंचला नतमस्तक थी. उस ने कसम खाई कि आज के बाद वह मिथुन को हमेशा के लिए भूल जाएगी. कभी जुबान पर उस का नाम नहीं आने देगी.
उस दिन के बाद से चंचला ने मांबाप को दिए वचन की लाज रखी और मिथुन को अपने दिल से निकाल दिया.
भले ही चंचला ने मिथुन के लिए अपने दिल का दरवाजा बंद कर लिया था. लेकिन उस के दिल में अभी भी कुछकुछ होता था. सैक्स की अनुभूति कर चुकी चंचला पुरुष के बिना नहीं जी सकती थी. आखिरकार उस के जीवन में आकाश नाम का दूसरा प्रेमी आ गया, जो उस का पड़ोसी था और स्मार्ट भी.
जैसेजैसे मिथुन उस के जीवन से दूर होता जा रहा था, वैसेवैसे आकाश उस के दिल में उतरता जा रहा था. चंचला और आकाश दोनों एकदूसरे के दिल के बहुत करीब आ चुके थे. दोनों एकदूसरे से प्यार करते थे. आकाश को पा कर चंचला की दुनिया ही बदल गई थी. मिथुन को वह बिलकुल भूल चुकी थी.
चंचला मिथुन को भले ही भूल चुकी थी लेकिन मिथुन के दिल में चंचला की प्रेम की आग अभी भी धधक रही थी. उस से अलग हो कर जीने के बारे में तो उस ने कभी सोचा भी नहीं था.
चंचला के दूरियां बनाने से मिथुन विरह की आग में जल रहा था. कई बार उस ने उस से मिलने की कोशिश की थी लेकिन चंचला उसे देखते ही अपना मुंह दूसरी ओर फेर लेती थी जैसे उस से कभी मिली ही न हो.
चंचला के इस बर्ताव से मिथुन परेशान था कि आखिर अचानक से उस ने उस से मुंह क्यों मोड़ लिया? मिथुन ने उसी समय तय कर लिया कि अगर वह उस की नहीं हो सकी तो वह उसे किसी और की भी नहीं होने देगा. उस के और चंचला के प्यार के बीच में जो भी आएगा, उसे वह जड़ से उखाड़ कर फेंक देगा.
आखिरकार मिथुन को चंचला के अचानक से मुंह मोड़ने का कारण पता चल ही गया कि चंचला अपने पड़ोस के लड़के आकाश जायसवाल के साथ आशिकी कर रही है.
जब से मिथुन को चंचला के दूसरे प्रेमी के बारे में पता चला था, वह जलभुन उठा था कि उस ने उसे छोड़ कर दूसरा प्रेमी कैसे रख लिया, वह उस के जिंदा रहते. दूसरे प्रेमी का सुख चंचला को किसी कीमत पर नहीं लेने देगा. चंचला मेरी थी, मेरी है और मेरी ही रहेगी. मेरे और उस के प्यार के बीच में जो भी आएगा, मरेगा. और उसी समय उस ने आकाश को जान से मारने की कसम खाई.
आकाश तक पहुंचने का मिथुन के पास सीधा कोई रास्ता नहीं था और न ही जानपहचान ही. अलबत्ता इतना जानता था कि आकाश 3 दोस्त हैं, उन में से कोई एक उस का साथी बन जाए तो उस के जरिए सीढ़ी बना कर वह आकाश तक पहुंच सकता है. एक बार वह उस तक पहुंच गया तो आकाश को ठिकाने लगा सकता है.
उस के रास्ते से हटते ही फिर से चंचला उस की हो जाएगी. उस दिन के बाद से मिथुन ने आकाश के 2 दोस्तों गणेश और सत्यम में से उस के एक दोस्त सत्यम को तोड़ कर अपनी ओर कर लिया.
सत्यम को उस ने यह कहते हुए धमकाया कि अगर तुम ने यह राज आकाश को बताया तो वह उसे जान से मार देगा. सत्यम मिथुन के आपराधिक स्वभाव को अच्छी तरह जानता था. मिथुन की धमकी से वह बुरी तरह डर गया था और डर की वजह से उस का साथ देने को तैयार हो गया.
जब मिथुन ने आकाश और चंचला के संबंधों के बारे में सत्यम से पूछा तो उस ने बता दिया कि चंचला और आकाश एकदूसरे से प्यार करते हैं. यह सुन कर मिथुन जलभुन गया. उस से चंचला की दूरियां और बरदाश्त नहीं हो रही थीं. वह उसे अपनी बांहों में देखना चाहता था.
सत्यम आकाश की पलपल की गतिविधियों की रिपोर्ट मिथुन तक पहुंचा रहा था. उस दिन 7 जनवरी, 2022 की तारीख थी. सत्यम ने फोन कर के मिथुन को सूचना दी कि कल सुबह आकाश गणेश के साथ गीडा अपनी नौकरी पर वापस लौट जाएगा. आगे जो तुम्हें करना है, आज ही कर डालो वरना दोबारा ऐसा मौका नहीं मिलेगा.
सत्यम की सूचना के बाद मिथुन ने फैसला कर लिया कि आज रात आकाश का काम तमाम कर देगा. योजना के मुताबिक रात 7 बजे के करीब नौवाबारी गांव के बाहर इंटर कालेज परिसर पहुंच कर मिथुन ने सत्यम को फोन कर बुला लिया. वह आकाश की हत्या करने के लिए अपने साथ कुल्हाड़ी भी लाया था. मिथुन के हाथ में कुल्हाड़ी देख सत्यम डर गया था. वह चुपचाप मिथुन के बगल में नीचे बैठ गया, जहां वह पालथी मार कर बैठा था.
मिथुन ने सत्यम से कहा कि वह अपने मोबाइल फोन से आकाश को फोन कर के यहां आने को कहे. सत्यम ने वैसा ही किया, जैसा मिथुन उसे करने के लिए कहा था. सत्यम ने आकाश को फोन कर के धोखे से गांव के बाहर इंटर कालेज के पास बुलाया तो आकाश को पता नहीं क्यों अजीब लगा कि इतनी रात गए वह वहां क्यों बुला रहा है. मिलना है तो यहीं मिल ले लेकिन सत्यम अपनी जिद पर अड़ा रहा कि उसे एक बहुत जरूरी बात बतानी है, जो यहीं बता सकता है.
सत्यम आकाश का प्रिय दोस्त था. आकाश उस की बात कभी नहीं टालता था. उस ने अपने दूसरे मित्र गणेश को फोन कर के बता दिया कि वह गांव के बाहर इंटर कालेज के पास सत्यम से मिलने जा रहा है, कोई जरूरी काम है उस का फोन आया था.
उस वक्त शाम के करीब साढ़े 7 बज रहे थे. गणेश को फोन कर के आकाश सत्यम से मिलने पैदल ही चल दिया. इस बारे में उस ने घर वालों को कुछ भी नहीं बताया था. इधर सत्यम ने मिथुन को अलर्ट कर दिया था कि आकाश आ रहा है.
करीब 20 मिनट बाद आकाश इंटर कालेज के प्रांगण में था. प्रांगण के चारों ओर घना अंधेरा फैला हुआ था. उस अंधेरे में सत्यम के साथ मिथुन को खड़ा देख आकाश चौंक गया. उसी वक्त उस के दिमाग में खतरे की घंटी बज उठी.
उधर आकाश को देखते ही नफरत और गुस्से से मिथुन की आंखों में गुस्सा उतर आया, ‘‘साले, कुत्ते, मादर… मेरी प्रेमिका पर नजर डालने की तेरी हिम्मत कैसे हुई?’’
मिथुन के मुंह से भद्दीभद्दी गालियां सुन कर आकाश सकपका गया. मिथुन आगे बोलता गया, ‘‘तू जानता नहीं था कमीने कि चंचला मेरी जान है. उस से इश्क लड़ा बैठा साले हरामी. अब तुझे मरने से कोई नहीं बचा सकता. जब तक तू रहेगा, चंचला मेरी नहीं हो सकती, इसलिए तू तो गया.’’ कहते हुए मिथुन ने कुल्हाड़ी आकाश के सिर पर चला दी.
वार इतना जोरदार था कि एक ही वार में आकाश नीचे जमीन पर जा गिरा और तड़पने लगा. उसी वक्त गणेश आकाश को ढूंढता हुआ वहां आ पहुंचा. मिथुन और सत्यम गणेश को देख कर डर गए कि गणेश आकाश की लाश देख चुका है, वह जिंदा रहा तो उन के राज खोल सकता है.
फिर उसी कुल्हाड़ी से मिथुन ने गणेश के सिर पर वार कर के उस की भी हत्या कर दी. फिर दोनों ने मिल कर बारीबारी गुलाब जायसवाल के खेत में गड्ढा खोद कर दोनों लाशें उसी गड्ढे में दफना दीं.
लाशें दफनाते समय मिथुन ने आकाश के मोबाइल का स्विच्ड औफ कर के उस की लाश के साथ दफना दिया और कुल्हाड़ी झाड़ी में छिपा दी. फिर दोनों अपनेअपने घर जा कर सो गए.
चंचला के सामने जब मिथुन की घिनौनी करतूतें खुलीं तो उस के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई. वह जिस प्रेमी को बेवफा समझ रही थी, वह तो इस दुनिया में था ही नहीं.
आज भी आकाश के प्यार को याद कर के चंचला विरह की आग में जल रही है. इस त्रिकोण प्रेम में गणेश का क्या कसूर था. वह तो बेचारा मुफ्त में मारा गया. कहानी लिखने तक पुलिस दोनों आरोपियों मिथुन प्रसाद और सत्यम के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर चुकी थी और दोनों अपने गुनाहों की सजा काट रहे थे.
—कथा में चंचला परिवर्तित नाम है. कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित.