मुसीबतें किसी को बताकर नहीं आती. इसके लिए जरूरी है कि आप पहले से तैयार रहें. भविष्य की जरूरतों के लिए बहुत सारे लोग एक बड़ी राशि इंश्योरेंस, यूलिप, फिक्स डिपॉजिट और म्यूचुअल फंड जैसे इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते रहते हैं. लेकिन इन सब के बाद भी अक्सर आप कई बार ऐसी मुसीबत से निपटने में असमर्थ हो जाते हैं. पैसों की अचानक जरूरत के लिए हम अपनी एफडी और यूलिप का प्रीमैच्योर विड्रॉल कर लेते हैं, नतीजन पूरी रकम भी नहीं मिल पाती.

ऐसी गलतियां लोग इमर्जेंसी फंड न बनाकर करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक इमर्जेंसी फंड बनाना आपके लिए कितना मददगार होता है.

तुरंत जरूरतों के लिए इमर्जेंसी फंड बनाएं-

आजकल बढ़ती महंगाई के साथ हमारी अन्य जरूरतें भी उसी तेजी से बढ़ रही हैं. ऐसे में बीमारी, नौकरी छूटने या अन्य वजह से अचानक सामने आने वाले बड़े खर्चों से हमारा सारा बजट खराब हो जाता है. ऐसी ही समस्याओं से निपटने के लिए इमरजेंसी फंड बहुत जरूरी होता है. यह फंड ऐसी सेविंग होती है, जिसे अचानक आने वाली जरूरत के समय में आप खर्च कर सकते हैं. साथ ही आपको बता दें कि बैंक स्वैप एफडी की भी सुविधा उपलब्ध कराते हैं. इससे आप अपनी राशि पर फिक्स्ड डिपॉजिट जितना ही ब्याज पाते हैं और इसे आप कभी भी विड्रॉल कर सकते हैं.

कितना होना चाहिए इमर्जेंसी फंड-

विशेषज्ञ मानते हैं कि इमर्जेंसी फंड की राशि उतनी होनी चाहिए जो आपके 6 महीनों के खर्चों को पूरा कर सके. यदि आपके पास हैल्थ इंश्योरेंस पहले से है तो तीन से चार महीने का इमर्जेंसी फंड भी पर्याप्त है. इसके लिए हर महीने अपनी सेविंग का 10 फीसदी हिस्सा इमर्जेंसी फंड के लिए तैयार करें. एक तय सीमा से अधिक बचत होने पर अपनी शेष राशि को अन्य विकल्प में निवेश कर सकते हैं.

लिक्विड फंड में निवेश करें-

इमरजेंसी फंड के लिए बैंक बचत खाता और लिक्विड म्युचुअल फंड में भी निवेश किया जा सकता है. इन फंड्स में लॉक-इन पीरिएड नहीं होता और विड्रॉल में भी ज्यादा समय नहीं लगता. बचत खाते में इमर्जेंसी फंड के तौर पर जमा राशि किसी भी समय एटीएम की मदद से निकाल सकते हैं. इमर्जेंसी के लिए कोशिश करें कि बैंक एफडी या म्यूचुअल फंड में निवेश न करना पड़े. ऐसा इसलिए क्योंकि इनमें लॉकइन पीरिएड होता है, जिसके कारण प्रीमैच्योर फाइन भी भरना पड़ता है. वहीं दूसरी ओर म्युचुअल फंड या बीमा की रकम प्राप्त होने में चार दिन से लेकर कम से कम एक हफ्ते या 15 दिन का वक्त लगता है.

इमरजेंसी में क्रेडिट कार्ड का करें इस्तेमाल-

इमर्जेंसी के लिए आपका क्रेडिट कार्ड भी सहायक बन सकता है. क्रेडिट कार्ड के साथ 50 से 60 दिनों तक का क्रेडिट पीरिएड मिलता है. ऐसे में अस्पताल के खर्चों का भुगतान और दूसरे खर्चों के लिए क्रेडिट कार्ड से भुगतान कर सकते हैं. लेकिन आपको बता दें कि क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल विड्रॉल के लिए न करें. क्योंकि इससे ब्याज काफी बढ़ जाएगा.

हेल्थ इंश्योसरेंस है जरूरी-

बीमारी या दुर्घटना के दौरान इमर्जेंसी फंड की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है. ऐसे में किसी भी अनिश्चितता से सुरक्षा के लिए अपने और परिवार के लिए एक हेल्थि इंश्योरेंस पॉलिसी होना बहुत जरूरी है. हेल्थ पॉलिसी की मदद से अस्पताल और इलाज के खर्च से बच जाते हैं. कैशलैस प्लान की स्थिति में इलाज के दौरान कोई भी धन राशि देने की जरूरत नहीं होती. लेकिन यदि कैशलैस नहीं है तो कुछ समय के लिए पैसों की जरूरत अवश्य पड़ सकती है.

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