यूनिवॢसटी ग्रांट कमीशन के चैयरमैन जगदीश कुमार ने कहा है भारतीय जनता पार्टी की भारतीय संस्कृति के पौराणिकवाद की थोपने वाली नई शिक्षा नीति के अंतर्गत अब मानवीय मूल्यों को भी पढ़ाया जाएगा और यह बाकायदा कोर्स होता था. अब तक समाज में मानवीय मूल्यों को सिखाने का काम ङ्क्षचतक करते थे, लेखक करते थे, कवि करते और कभीकभार नेता करते थे. अब इसे कोर्स की तरह पढ़ाया जाएगा.

सवाल बड़ा तो यह है कि मानवीय मूल्यों का पाठ इस पुरानी संस्कृति का राग रातदिन पीटने वाले समाज में जरूरी क्यों है? क्या हमारे लाखों नहीं करोड़ों पंडेपुजारी, साधू, प्रवचक, गुरू उपदेशक रातदिन जो कुछ बोलते रहते हैं वह मानवीय मूल्यों का पाठ नहीं है? हमें रात दिन ङ्क्षहदू संस्कृति का गुणगान कररने को कहा जाता है तो क्या उस में मानवीय भूल नहीं है? अगर नहीं है तो क्यों हम अपने गाल पीटते हैं और क्यों विश्वगुरू बनने का दावा हर सोस में करते हैं? क्यों हर समय कहते है कि विश्व को ज्ञान देने वाली बातें इस भारतभूमि से ही गई थी और दुनिया के हर अविष्कार, हर भवन निर्माण, हर खोज में अपना श्रेय लेते हैं.

जिस दिन प्रोफेसर जगदीश कुमार ने मानवीय मूल्यों की शिक्षा को उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल करने का बयान जारी किया उसी दिन अखबार की और सुॢखयां देखें तो पता चल जाएगा कि इस देश में आज मानवीय मूल्यों की क्या स्थिति.

ये भी पढ़ें- अलग-थलग पड़ता रूस

एक खबर है गुंडगांव के सैक्टर 109 में ङ्क्षचटक पारादीसो की जिस के 18 मंजिले टावर के 6वें फ्लोर से नीचे छत ढह गई और 2 लोगों की मौत हो गई और वजह थी छत की स्लैब में जंग लगा सरिया लगाना. जिस ठेकेदार ने यह काम किया वह क्या नास्तिक था, जो प्रवचन नहीं सुनता था?

दूसरी खबर है दिल्ली के एक होटल के द्वारा जम्मू कश्मीर के युवक को कमरा न देने की. यह मानवीय मूल्य है कि औन लाइन बुक हुआ कमरा भी देना मना कर दिया गया क्योंकि युवक जम्मू कश्मीर का यानी होटल के अनुसार या तो विदेशी है या आतंकवादी है.

एक खबर है एक महिला से फोन छीन कर भागने की. एक मोहित ने एक हिना का फोन उस्मानपुर इलाके में झपट लिया पर महिला राइफल शूङ्क्षटग की कोच थी तो उस ने दौड़ कर भाग रहे बदमाश को पकड़ लिया. यह मानवीय मूल्य है क्या?

ये अवगुण आखिर इस देश में आए कहां से जहां हर समय रामायण व महाभारत की कहानियां सुनाई जाती हैं और ऐसा दर्शाया जाता है कि जो कुछ भी खराब हो रहा है वह किन्हीं विधॢमयों के कारण हो रहा है जिन को वीभत्स बढ़ाचढ़ा कर कश्मीर फाइल्स फिल्म में दिखाया गया है जिसे सरकार जोरशोर से प्रचारित कर रही है और जिस में पंडितों पर हुए जुल्मों की कथाएं.

ये भी पढ़ें- जमीनों की मिल्कीयत का डिजिटल नक्शा

कहीं ऐसा तो नहीं जिसे महान संस्कृति के आधार पर मानवीय मूल्य पढ़ाएं जाएंगे वहीं मानवीय मूल्य नहीं हैं. अंग्रेजी में लिखी अनुजा चंदुमौली की पुस्तक ‘अर्जुन’ ऐसे प्रसंगों से भरी है जिन में मानवीय मूल्यों को औंधे मुंह पटक दिया गया है. लाक्षा गृह में दुर्योधन ने अपने चचेरे भाईयों को जला कर मार डालने का प्रयास किया, यह कौन  सा मानवीय मूल्य था. उस के बाद पांडव गांवगांव भटकते रहे और फिर दुपर्द की राज में पहुंचे जहां द्रौपदी का स्वयंवर होना था और ब्राह्मïण जो दानदक्षिणा के लालच में क्षत्रियों के साथ द्रौपदी स्वयंवर स्थल पर पहुंचे, क्या यह मानवीय मूल्य पढ़ाया जाएगा. इसी स्वयंवर में द्रौपदी कक्ष में स्वयंवर की शर्त को पूरा करने के लिए आगे आए कर्ण को प्रतियोगिता में भाग लेने से मना कर देती है क्योंकि कुंती का ही विवाह पूर्व हुआ पुत्र कर्ण एक सूद्र के यहां पला बढ़ा था और वह कहती है ‘मैं सूद्र से विवाह नहीं करूंगी.’

अगर प्रोफेसर इस समाज को जहां खबरों के अनुसार मानवीय मूल्य बह रहे हैं, महाभारत वाले मानवीय मूल्भ्य पढ़ाएंगे तो देश क्या सुधार होगा, यह आसानी से समझा जा सकता है.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...