पड़ोसी देश पाकिस्तान में उथल-पुथल शुरू होते ही मानो भारत की छाती चौड़ी होने लगती है. देश के बहुतेरे चर्चित चेहरे बलियां उछलने लगते हैं और आम जनमानस में भी प्रतिक्रिया नकारात्मक साफ साफ देखने को मिलती है.
दरअसल,इस मनोविज्ञान के पीछे यही भावना है- जैसी आम आदमी की, किसी पास पड़ोसी, जिससे रिश्ते अच्छे नहीं है संकट में पड़ते ही बांछें खिल जाती है.
इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव क्या आया है भारतीय मीडिया विशेषकर न्यूज चैनलों में यही दिखाया जा रहा है कि इमरान खान किस तरह संकट में फंस गए हैं और अब उनकी सरकार का बच पाना मुश्किल है.
अक्सर जब भी पाकिस्तान में लोकतंत्र पर संकट के बादल मंडराते हैं भारत में एक तरह से खुशनुमा प्रतिक्रिया आने लगती है जो सीधे-सीधे इस दृष्टिकोण से गलत ठहरती है.
ये भी पढ़ें- दलबदल तो पौराणिक है
हम यह भूल जाते हैं कि पाकिस्तान हमारा पड़ोसी है और रहेगा. हमें अमन और चैन के साथ अस्तित्व भावना के साथ रहना है. उनके दुख में उनके सुख में हमें साथ साथ ही रहने में समझदारी होगी.
जहां तक बात पाकिस्तान में राजनीतिक संकट की है वह तो आया है चला जाएगा.
मगर भारत में जिस तरीके की प्रतिक्रिया आती है वह यह सच बता जाती है कि हम चाहे कितने ही प्रगतिशील हो, धैर्यवान हो, मगर हम में वह ऊंचाई नहीं है जो प्राकृतिक रूप से हममें होनी चाहिए.
हम यह भूल जाते हैं कि पाकिस्तान में अगर लोकतंत्र रहेगा तो भारत का उसमें हित है क्योंकि कोई भी लोकतांत्रिक सरकार संवैधानिक नियम कायदे से ही चलेगी. मगर किसी भी तानाशाही अथवा सैनिक शासन में भारत को ज्यादा खतरे और तनाव का सामना करना पड़ेगा.
इमरान खान की बड़ी रेली
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अविश्वास प्रस्ताव से एक दिन पूर्व 27 मार्च, रविवार को इस्लामाबाद में एक बड़ी रैली को संबोधित किया. इमरान खान ने विपक्षी दलों पर निशाने साधा. इमरान खान ने कहा वे पांच साल पूरे करेंगे और इस्तीफा नहीं देंगे.उनके शब्द थे- मैं लोगों के विकास के लिए राजनीति में आया था.
इमरान ने दावा किया कि उनकी गठबंधन सरकार गिराने की ‘साजिश’ में विदेशी ताकतों का हाथ है. अपने दावों की पुष्टि करने वाला एक पत्र सबूत के तौर पर उनके पास बताया है. उन्होंने कहा कि जिस संकट के समय आप लोग मेरे एक बुलावे पर आए, पाक के हर कोने से आए, उसके लिए शुक्रिया.
इमरान खान ने कहा कि जब हम पांच साल पूरे करेंगे, तो सारा देश देखेगा कि कभी इतिहास में दूसरी किसी सरकार ने उतनी गरीबी कम नहीं की, जितनी हमने की. उन्होंने कहा कि मै राजनीति में एक ही चीज के लिए आया था और वो ये थी कि पाकिस्तान जिस नजरिए के साथ बनाया गया था, उसे आगे बढ़ा सकूं. उन्होंने कहा कि जो काम हमने तीन साल में किए हैं, वैसे काम हमसे पहले किसी ने नहीं किए थे।
प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि मैंने डीजल की कीमतें 10 रुपए कम कीं. 100 साल में सबसे ज्यादा बुरा समय कोरोना महामारी लेकर आई.पूरी दुनिया रुक गई उस समय इन लोगों ने कहा कि ये पाकिस्तान को बर्बाद कर रहा है.जो हमने कदम उठाए उनकी पूरी दुनिया तारीफ करती है. मैंने अपने देश के गरीबों को बचाया, देश को बचाया. हमने पाकिस्तान के इतिहास में सबसे ज्यादा टैक्स जमा किया. उन्होंने कहा कि ये सब ड्रामा इसलिए हो रहा है कि जनरल मुशर्रफ की तरह मेरी सरकार भी गिरा दी जाए. ये मुझे शुरू से ही ब्लैकमेल कर रहे हैं. इमरान की सरकार के खिलाफ विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है, जिस पर आज 28 मार्च सोमवार को मतदान होना है. विपक्षी दलों के नेशनल असेंबली सचिवालय में आठ मार्च को एक अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था.
ये भी पढ़ें- भारत भूमि युगे युगे: मोदी महिषासुर
इसमें इमरान खान पर आरोप लगाया गया है कि प्रधानमंत्री इमरान खान नीत पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) देश में आर्थिक संकट और बेतहाशा बढ़ती महंगाई के लिए जिम्मेदार है .
हाल ही में इमरान खान ने एक राजनीतिक संदेश भेजा था- शायद आपको याद हो, रूस यूक्रेन युद्ध की तारतम्य में इमरान खान ने कहा था कि भारत की विदेश नीति देशहित की है और वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुल कर प्रशंसा की थी और कहा था कि इस नीति के कारण पाकिस्तान को भी लाभ हो रहा है.
एक तरह से यह इमरान खान का भारत सरकार को सद्भावना का मित्रता का संदेश था. मगर इमरान खान के दोस्ती के बढ़े हुए इस हाथ को थामने के लिए भारत की कोई पहल दिखाई नहीं दी. आज इमरान खान की सरकार और पाकिस्तान में लोकतंत्र अगर संकट में है तो भारत सरकार की एक प्रतिक्रिया से पाकिस्तान के लोकतंत्र को ताकत मिल सकती है. और दोनों की दोस्ती से दोनों देश की आवाम को सुख, शांति समृद्धि.
ये भी पढ़ें- राहुल-प्रियंका: राहें अभी और भी हैं…