सवाल

मेरी उम्र 16 साल है. मैं बहुत ही दुबलापतला हूं. मेरा हाजमा भी ठीक नहीं रहता, मगर मैं अपनी बौडी बनाना चाहता हूं. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

आमतौर पर सेहत कुदरती चीज होती है, फिर भी आप अच्छे खानपान के जरीए सेहत बना सकते हैं. आप किसी माहिर फिटनैस ऐक्सपर्ट से पूछ कर उसी के मुताबिक खानपान अपनाएं और पेट खराब करने वाली चीजें न खाएं. बौडी बनाने के लिए आप जिम भी जा सकते हैं.

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शादियां आखिर अब होंगी कैसे

बाजे और बरात के बिना भारतीय शादियों को हमेशा से अधूरा मानते आए हैं. अब कोरोना में यह शौक तो धरा का धरा रह ही गया है. साथ ही, एक नई समस्या आ खड़ी हुई है. शादी बिना तामझाम तो कर लेंगे लेकिन अब रिश्ता जोड़ना आसान नहीं रह गया.

कोरोनाकाल में रहनसहन और जीवनशैली में बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं. खानपान, घूमनेफिरने, शौपिंग करने, दोस्तों और नातेरिश्तेदारों से मिलने, औफिस जाने व शादीब्याह करने आदि की सामान्य गतिविधियां भी बदल चुकी हैं. अब न लोग एकदूसरे के करीब जा रहे हैं न ऐसी किसी चीज के संपर्क में आना चाहते हैं जिन से उन्हें कोरोना संक्रमण होने की संभावना हो.

लोग घरों में ही रहना चाहते हैं. जब तक कोई जरूरी काम न हो वे बाहर निकलने से परहेज कर रहे हैं. बात यदि शादीब्याह की हो तो लोग अपनी छत, बालकनी, घर के अंदर या बाहर किसी न किसी तरह से शादी कर रहे हैं. लेकिन, ये सभी वे शादियां हैं जो पहले से होनी तय थीं और जिन्हें समयानुसार कर लेने में ही सब ने भलाई समझी.

सवाल यह है कि नई शादियां अब कैसे होंगी? जिन घरों में बिनब्याही बेटी या बेटा है उन के लिए मांबाप अब रिश्ते कहां से लाएंगे? बिना मिले या खुद से जांचपरख किए क्या शादियां कराई जा सकेंगी? लड़केलड़कियों को भी अब न डेट्स पर जाने का मौका मिल रहा है और न ही वर्चुअल दुनिया के बाहर किसी को जाननेसमझने का. ऐसे में अरैंज तो अरैंज, लवमैरिज पर भी काले बादल छा गए हैं.

शादी व्यापार मंदी में

मार्च से जून के बीच होने वाली बड़ी शादियां रोक दी गई हैं या घर में हलकेफुलके सैलिब्रेशन के साथ की जा रही हैं. बैंड, बाजा और बरात की जगह सैनिटाइजर, मास्क और ग्लव्स ने ले ली है. हजारों शादियां कैंसिल कर दी गई हैं जहां कपल्स अपने रिश्तेदार व दोस्तों की गैरमौजूदगी में शादी नहीं करना चाहते. वैडिंग विशलिस्ट की फाउंडर कनिका सबिहा का कहना है, ‘‘औसतन हमारी वैबसाइट पर 75 हजार नए लोग विजिट करते हैं और 4 हजार कपल रजिस्टर करते हैं जिन में साइनअप के साथ गिफ्ट रजिस्टरी, इन्वाइट्स और प्लानिंग आदि हमारे जिम्मे होती है. लेकिन, लौकडाउन और कैंसिलेशन के चलते इस में भारी गिरावट आई है. वैबसाइट पर केवल

45 हजार नए विजिटर्स और केवल 990 कपल्स ने रजिस्टर किया है.’’

कई कंपनियों के मालिकों का कहना है कि यह पहली बार है जब वैडिंग इंडस्ट्री को मंदी की मार झेलनी पड़ रही है. कम से कम 80 प्रतिशत कपल अपनी शादी को साल के आखिरी महीनों या 2021 तक टाल देंगे. इस से चीजें सामान्य होने पर भी इंडस्ट्री को वापस पटरी पर आने के लिए एक साल तक का समय लग सकता है.

शादियों में फोटोग्राफर का अहम काम होता है. सभी अपनी शादी की एकएक गतिविधि को संजोए रखना चाहते हैं और अब तो प्रीवैडिंग शूट्स का जमाना है. हलदी, मेहंदी, संगीत और फिर शादी व विदाई की हर रस्म को कैमरे में कैद किया जाता है. अब जबकि शादियां नहीं हो रही हैं और नाममात्र की हो रही हैं जिन में फोटो और वीडियो बनाने का काम परिवार के सदस्यों ने अपने जिम्मे ले लिया है, तो इन फोटोग्राफरों का काम भी खत्म सा हो गया है.

मेकअप तो शादी की सब से बड़ी जरूरत हुआ करता था. ब्राइडल मेकअप के लिए हजारों रुपए मेकअप आर्टिस्ट या ब्यूटीपार्लर अपनी जेबों में भरा करते थे. न अब बड़ी शादियां हो रही हैं न लोग पार्लरों के चक्कर लगा रहे हैं. कभी दुलहन की बहनें तो कभी वह खुद ही अपना मेकअप लगा मंडप में बैठ रही हैं. पार्लरों जैसा हाल ही गहनों की दुकानों का है. लौकडाउन के बाद से उन के पास भारी गहनों के बजाय अंगूठियों और हलके गहनों के ही और्डर आ रहे हैं.

शादी की जगह की साजसजावट करने वालों के गल्ले भी अब भर नहीं रहे हैं. अप्रैल और मई महीने में वैडिंग डेकोरेशंस की 100 फीसदी बुकिंग कैंसिल कर दी गईं. शादियां कैंसिल होने, यातायात बंद होने, पड़ोसी राज्यों से भी कोई डिमांड न होने के चलते फूलों की खेती बरबाद हो चुकी है. शादियों की सजावट में फूल अत्यधिक इस्तेमाल किए जाते हैं, लेकिन अब न शादियां हैं और न ही इन फूलपत्तियों की जरूरत. जब तक सबकुछ सामान्य होगा, इन फूलों का सीजन खत्म हो जाएगा और ये फूल नष्ट हो जाएंगे. स्पष्ट है कि शादियां न होना एक बड़े संकट जैसा है जिस से सभी त्रस्त हैं, लाखों लोगों की रोजीरोटी समय की भेंट चढ़ गई है.

बंद हो गईं बिचौलियों, पंडितों की दुकानें

आमतौर पर हिंदुओं में शादी के लिए लड़का या लड़की पंडितों या बिचौलियों द्वारा ढूंढ़े जाते हैं. मांबाप सालदोसाल पहले से ही अपनी बेटी के लिए लड़का ढूंढ़ना शुरू कर देते हैं. धर्म, जाति और खानदान सुनिश्चित करने के लिए पंडितों को दक्षिणा के रूप में खासी कीमत दी जाती थी. पंडित अपनी पंडिताई झाड़ते हुए यजमान के घर प्रकट हो जाते थे और जातबिरादरी के हवाले से लड़के या लड़की के खानदान का चिट्ठा खोलने लगते थे. हालांकि, उन के द्वारा उन के क्लाइंट यानी दूसरे यजमान के खोट नहीं गिनाए जाते थे, जेब में पैसा कितना है और जातबिरादरी के हवाले से ही मीटिंग तय होती थी. एकआधी मुलाकात और कुछ महीनों की देखापरखी के बाद शादी का प्रोग्राम बनता था. अब न पंडितों को कोई अपने घर बुलाने को राजी है न ही रिश्ता ले कर जाने या बाहरी लोगों को घर में बुलाने के.

पंडितों की दुकान असल में अब लाला की दुकान हो चली है, जो समझो इस कोरोनाकाल में तो बंद ही रहने वाली है. बिचौलियों द्वारा रिश्ते दिखाए जाने के बाद ही असल पूछापाछी शुरू होती है. जब तक लड़की का पिता या भाई खुद यहांवहां से, नातेरिश्तेदारों से जानकारी जमा नहीं कर लेता तब तक शादी पर मुहर नहीं लगती. कोरोना में जहां जान पर बन आई है वहां इन सारे कारनामों को अंजाम देना न किसी के बस में है न कोई करने में समर्थ है. न किसी पंडित की पंडिताई चलने वाली है और न किसी बिचौलिए की बिचौलियाई.

डेटिंग अब मील का पत्थर

लवमैरिज की पूरी कारस्तानी डेटिंग से ही शुरू होती है. लड़कालड़की मिलते हैं, प्यार में पड़ते हैं, साथ घूमतेफिरते हैं, फिल्में देखते हैं, एकदूसरे को जानतेसमझते हैं, घरवालों को मनाने के लिए अच्छाखासा समय लेते हैं और जब घर वाले नानुकुर कर मान जाते हैं तब कहीं जा कर शादी की बात आगे बढ़ती है. कोरोनाकाल में यह होने से रहा. औनलाइन बातचीत होती जरूर है और लोगों को लगने भी लगता है कि शायद वे प्यार में हैं लेकिन बात शादी तक पहुंचने वाली नहीं होती जब तक कि व्यक्ति असल में कुछ मुलाकातें न कर लें. घर में बैठेबैठे न मुलाकातें हो सकती हैं और न बात आगे बढ़ सकती है.

आमतौर पर डेटिंग के बाद लड़कालड़की लंबा समय लेते हैं एकदूसरे को शादी के लिए प्रपोज करने के लिए. साथ ही, हिंदू मध्यवर्ग या निम्नवर्ग में तो प्रेमविवाह की अनुमति न के बराबर होती है या बिलकुल नहीं होती. ऐसे में लवमैरिज का औप्शन तो कोरोना के चलते सूची से ही बाहर है.

मैिट्रमोनियल साइट्स से भी नहीं होगा कुछ

मैट्रिमोनियल साइट्स पर रिश्ते ढूंढ़ना अब आम हो चुका है लेकिन इन पर होने वाले फ्रौड भी कुछ कम नहीं हैं. अब जब मिलनाजुलना तक ज्यादा नहीं होगा तो ऐसे में इन साइट्स से रिश्ते जोड़ने में जोखिम कई गुना बढ़ चुका है. मैट्रिमोनियल साइट्स अपने कस्टमर्स का केवाईसी यानी ‘नो योर कस्टमर’ प्रोसिजर नहीं करतीं, वे केवल डौक्यूमैंट्स और फोटो लेती हैं जो फेक प्रौफाइल्स के लिए नकली बना कर देना कोई नई बात नहीं है. मैट्रिमोनियल साइट्स आईटी एक्ट 2000 के अंतर्गत आती हैं जिस में ऐसा कोई नियम नहीं है जिस के द्वारा फ्रौड के मामलों में इन साइट्स की कोई जिम्मेदारी हो.

ऐसी ही एक वैबसाइट से स्नेहा को नोएडा का रहने वाला सुभोदिप स्नेहा (बदला हुआ नाम) मिला था जिस के पास अपना फ्लैट, एक बड़ी कंपनी में इंजीनियर की नौकरी, और तो और उस की खुद की गाड़ी भी थी. स्नेहा के परिवार को शक करने जैसा कुछ नहीं लगा. कुछ मुलाकातों के बाद शादी की शौपिंग भी शुरू हो गई. गरफा के झील रोड की रहने वाली स्नेहा अपने होने वाले पति सुभोदिप के घर अपना सामान पहुंचवाने के लिए कहने लगी. जब भी वह उस से कहती तो वह बहाना मार देता. इस बहानेबाजी ने स्नेहा के कान खड़े कर दिए और आखिर उस ने सच जानने की ठान ली. वह सुभोदिप को उस की कंपनी में ले गई जहां वह काम करता था. वहां पहुंचने पर स्नेहा को पता चला कि सुभोदिप वहां नौकरी करता ही नहीं है और झूठ के सहारे वह स्नेहा व उस के परिवार को ठगना चाहता है.

इस तरह के जाने कितने ही मामले आएदिन सुनने में आते हैं जिन से स्पष्ट हो जाता है कि इन मैट्रिमोनियल साइट्स पर आंख बंद कर भरोसा नहीं किया जा सकता.

मैट्रिमोनियल साइट्स से रिश्ता ढूंढ़ लेने पर भी आप को बातचीत आगे बढ़ाने के लिए कुछ मुलाकातें करनी पड़ती हैं. जो डिटेल्स आप को साइट पर मिली थीं उन की पूरी जांचपड़ताल करनी पड़ती है. प्रौपर्टी आदि की जांचपड़ताल के लिए कभी छिप कर तो कभी व्यक्ति के साथ उस के औफिस या घर आदि के कुछ चक्कर लगाने पड़ते हैं, पढ़ाईलिखाई संबंधित मामलों में तो वैरिफिकेशन तक करानी पड़ती है. कोरोना के चलते यह सब हो पाना संभव नहीं है. कई मामलों में खुद को अमीर दिखाने वाले लोग असल में तंगी से गुजर रहे होते हैं. जिस घर में वे रहते हैं वह किराए का होता है या जो कुछ आप को दिखाया जाता है, सब दिखावा होता है. और इन सब से ऊपर खुद वह इंसान है जिस से शादी होने वाली है, उस की सोच, अच्छीबुरी आदतें, बुद्धिमत्ता आदि का लेखाजोखा तो उस की शक्ल से नहीं पता चलेगा. कई मुलाकातों के बाद ही इंसान की थोड़ीबहुत पहचान हो पाती है. जिस के साथ शादी होने वाली है उसे असल में जाने बिना शादी करना बेवकूफी से ज्यादा कुछ नहीं.

इन मैट्रिमोनियल साइट्स पर चाहे आप फ्री में रजिस्टर कर लें लेकिन नई प्रौफाइल्स देखने के लिए आप को पैकेज खरीदना पड़ता है जिन की कीमत हजारों में होती है. इन पैकेज को खरीदने व बारबार रिन्यू करने पर भी इस की कोई गारंटी नहीं होती कि आप को अपनी पसंद का रिश्ता मिल ही जाएगा. जहां लोग अपनी नौकरियां खो रहे हैं वहां इन साइट्स को देने के लिए पैसा शायद ही कोई खर्च करना चाहेगा.

सो, शादी करना अब उतना आसान नहीं होगा जितना पहले हुआ करता था, और नए रिश्ते किस तरह जुड़ेंगे इस पर भी प्रश्नचिह्न बराबर लगा हुआ है.

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