तमिलानाडु में जयराम जयललिता की सहायिका वी के शशिकला, जो बेईमानी के आरोपों में बेंगलुरु की जेल में 4 साल की सजा काट रही हैं, के समर्थन से मुख्यमंत्री बने इडापड्डी पलानीसामी को अन्नाद्रमुक पार्टी के नेता के रूप में विधानसभा में 122 सदस्यों के समर्थन के साथ जीत मिल ही गई. एक नाटक का अंत हो गया और जयललिता की विरासत पर मुहर लग गई. पर इस मुहर ने जो काले छींटे फेंके हैं, अच्छेभले लोगों के मुंह पर पड़ गए हैं. यह सिद्ध हो गया है कि इस देश में राजनीतिक भ्रष्टाचार की पूजा होती है. जयललिता ने भ्रष्टाचार किया था तो समझा जा सकता है क्योंकि वे कम से कम सफल अभिनेत्री, प्रभावी वक्ता, मंजी हुई नेता तो थीं पर महज उन के साथ रहने वाली शशिकला, सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपराधी घोषित किए जाने के बावजूद, अपने मनचाहे विधायक को मुख्यमंत्री बनवा सकीं, इस से बड़ी शर्म की बात नहीं हो सकती.
यह सवाल नैतिकता का है. इस घटना का अर्थ है इस देश में बेईमानों की पूजा आज भी होती है. हमारे सारे देवीदेवता, चाहे वेदों में उन का वर्णन हो, रामायण में हो या महाभारत व पुराणों में, तरहतरह के अनैतिक अपराधी वाले भी आराध्य बने रहे हैं और यही, हमारे नेता कर रहे हैं. कहने पर वे हर थोड़े दिनों में जनता के सामने खड़े होते हैं. लगता है इस देश की जनता को ईमानदारी व बेईमानी का फर्क ही मालूम नहीं. वह किसी भी काले रंग में पुते को वोट दे सकती है, सिर पर बिठा सकती है, उस के पैरों पर लोट सकती है.
पलानीसामी को अन्नाद्रमुक के 133 में से 122 विधायकों का समर्थन मिला और पहले 3 बार मुख्यमंत्री रह चुके पन्नीरसेल्वम केवल 11 सदस्य जुटा सके. करुणानिधि की द्रविड़ मुनेत्र कषगम व कांग्रेस भी अन्नाद्रमुक में हो रहे आपसी विवाद का लाभ न उठा पाईं क्योंकि उन्हें भी डर था कि अगर कहीं विधानसभा के नए चुनाव हुए तो जेल में बंद शशिकला के नाम पर पलानीसामी जीत न जाएं. अनजाने में, बिना नेतृत्व के गुण वाले पन्नीरसेल्वम और पलानीसामी जैसों के हाथों में तमिलनाडु जैसे समृद्ध राज्य की बागडोर दी जा सकती है, यह अपनेआप में एक आश्चर्य है. इसी कारण तो यह देश गरीब है, बिखरा है, भूखा है, गंदा है और 2,000 साल गुलामी झेलता रहा है.
यहां के शासक निकम्मे रहे हैं. पंडों, चाटुकारों की गलत सलाह के कारण वे ऐसे फैसले लेते रहे हैं कि उन्हें युद्धभूमि में तो हारना ही पड़ता था, और जब तक वे राज कर पाते थे, जनता अराजकता को झेलने को मजबूर रहती थी. तमिलनाडु में जो हो रहा है वह भारतभर में होता है. यह विश्वास रखें. बस, कुछ जगहें दिखती नहीं हैं.