5 राज्यों के चुनाव में भाजपा को 2 और कांग्रेस को 1 राज्य में सरकार चलाने का बहुमत मिला. गोवा और मणिपुर में दोनों ही दलों को बहुमत नहीं मिला. कांग्रेस नंबर 1 की पार्टी होने के बाद भी सरकार बनाने की दौड़ में पीछे है. भाजपा कांग्रेस के पुराने दांव से ही कांग्रेस को मात देकर 5 राज्यों के चुनाव का फैसला 4-1 से अपने पक्ष में करने के लिये अपनी साख को दांव पर लगाने को तैयार है. भाजपा के लिये अपनी साख से अधिक कांग्रेस मुक्त भारत की चिंता है.
जिस तरह से केन्द्र के दखल से राज्यों में कभी कांग्रेस सरकार बनाती बिगाड़ती थी, अब भाजपा भी उसी का अनुसरण कर रही है. गोवा और मणिपुर में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में कांग्रेस जीत कर आई है. गोवा में कांग्रेस को 17 और मणिपुर में 28 सीटें मिली. इसके मुकाबले भाजपा को गोवा में 13 और मणिपुर में 21 सीटें ही मिल पाई. दोनों ही राज्यों में सरकार बनाने के लिये बहुमत किसी दल के पास नहीं है. ऐसे में अन्य विधायकों को अपनी ओर करके भाजपा गोवा और मणिपुर में अपनी सरकार बनाने के लिये आगे बढ़ चुकी है. गोवा में भाजपा ने अपने सबसे योग्य उम्मीदवार मनोहर पार्रिकर को केन्द्र के रक्षा मंत्री से हटाकर गोवा के मुख्यमंत्री के रूप मे सरकार बनाने के लिये गोवा भेज दिया है. मणिपुर में भी भाजपा अपना मुख्यमंत्री बनाना चाहती है.
कांग्रेस इसे केन्द्र सरकार की सत्ता का दुरुपयोग बता रही है. वह इस मुद्दे को लोकसभा और सुप्रीम कोर्ट में भी ले जा रही है. यही नहीं जिस तरह से मणिपुर और गोवा में सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी कांग्रेस को सरकार बनाने के लिये नहीं बुलाया गया, उसको लेकर दोनो ही राज्यों के राज्यपालों पर भी आरोप लग रहे हैं. गोवा और मणिपुर में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं हो सका है. ऐसे में राज्यपाल की भूमिका अहम हो जाती है. आमतौर पर राज्यपाल जिस पार्टी के सबसे अधिक विधायक होते हैं उसे ही सरकार बनाने का न्यौता देते हैं. कई बार राज्यपाल अपने विवके से भी फैसला करते हैं.
पहले भी देश में ऐसे फैसले हुये हैं, जिनपर अदालत को दखल देना पड़ा है. अगर भाजपा के प्रयास पर अदालत का दखल होता है और फैसला उसके खिलाफ जाता है तो पार्टी की बड़ी किरकिरी होगी. उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार को लेकर इस तरह की किरकिरी पहले भी हो चुकी है. इसके बाद भी भाजपा के कुछ नेता गोवा और मणिपुर में पार्टी के सरकार बनाने के पक्ष में हैं. इनका तर्क है कि कांग्रेस पहले इस तरह के काम कर चुकी है. उसे किसी को नैतिकता का पाठ पढ़ाने की जरूरत नहीं है.
गोवा में ‘आयाराम गयाराम‘ की तर्ज पर पहले भी दलबदल खूब हुआ है. वहां के लिये यह कोई नया नहीं है. मणिपुर में पिछली बार भाजपा को केवल 1 सीट मिली थी, इस चुनाव में उसे 21 सीटें मिली हैं. भाजपा इसे अपने पक्ष में मान रही है. ऐसे में उसका मानना है कि प्रदेश के लोग भाजपा की सरकार चाहते हैं. प्रदेश के लोगों की इच्छा से ही पार्टी वहां सरकार बनाने का प्रयास कर रही है. 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा को पूरा बहुमत हासिल हुआ, इस कारण उसे यहां सरकार बनाने की जल्दी नहीं है. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के चुनाव से अहम भाजपा के लिये मणिपुर और गोवा के मुख्यमंत्री का चुनाव हो गया है. गोवा में मनोहर पार्रिकर को मुख्यमंत्री घोषित कर दिया है.