चीन की सरकार को यूं तो अपनी सफलता पर गर्व करना चाहिए पर जिस तरह से वह व्यवहार कर रही है, लगता है कि उसे भविष्य की गहरी ङ्क्षचता है कि पिछले 20-25 सालों की प्रगति की दर बनी रह सकेगी या नहीं. इन 20-25 सालों में कम्युनिस्ट आवरण ओढ़े हुए भी चीन ने बेहद कैपिटलिस्ट छूटें दी हैं और वहां न केवल कुछ द्वारा अथाह संपत्ति जमा की गई, सरकार के शिकंजों के बावजूद रिश्वतखोरी जम कर पनती है. अमीर बेहद अमीर हुए हैं और उन्होंने एक छत्र राज करने वाली पार्टी की आलोकचंकित सरकार की नाक के नीचे बड़ी मनमानी करने में सफलता पाई है.

पिछले महिनों में चीन की बीङ्क्षजग सरकार ने अपने फौलादी हाथ बहुत सी गरदनों पर डालने शुरू किए है. अलीबाबा जैसी ईकामर्स कंपनियों के मुखियाओं को बंद किया गया है या गहरी जांच पड़ताल की जा रही है. सोशल मीडिया कंपनियां जैसे टिकटौक और वी चैट की कार्य पद्धति को जांचा जा रहा है.

टैक्नोलौजी के जरिए पैसे को इधर से उधर भेजने और निवेश करने की कंपनियां सरकार की निगाहों में हैं. नरेंद्र मोदी क्लबों की तरह वहां सोशल मीडिया से पैदा हुए सैलिब्रिटियों के बनाए गए फैन क्लबों को बंद करा जा रहा है क्योंकि वे एक तरह से कम्युनिस्ट पार्टी का पर्याय बन रहे हैं.

वहां चीन में भी ऐसे उद्योगपतियों की कमी नहीं है जो नाममात्र का टैक्स देकर मोटा मुनाफा बना रहे हैं. यह बिमारी अमेरिका से आई है और टैक्स ले कर देशों में पैसा जमा करने की हिम्मत चीनी कंपनियों में भी पनप गर्ई है. इन पर अंकुश लगाया गया है.

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