लेखक-मुकेश तिवारी

रजनी उर्फ कुंजावती अपने भाईबहनों में सब से बड़ी ही नहीं बल्कि कदकाठी से भी ठीकठाक
थी. इसलिए अपनी उम्र से काफी बड़ी लगती थी. उस का परिवार उत्तर प्रदेश के शहर इटावा में रहता था. उस के पिता किसान थे. जैसे ही वह जवान हुई तो उस के मातापिता उस के लिए योग्य वर की तलाश में लग गए.

उन्हें इस बात का डर था कि कहीं रजनी के कदम बहक गए तो उन की इज्जत पर दाग लग जाएगा. उन्होंने रजनी की शादी के लिए ग्वालियर जिले के महाराजपुरा कस्बे के गांव गुठीना में रहने वाले सुलतान माहौर को पसंद कर लिया. फिर जल्द ही उन्होंने उस की शादी सुलतान के साथ कर दी. रजनी सुंदर तो थी ही, दुलहन बनने के बाद उस की सुंदरता में पहले से ज्यादा निखार आ गया. रजनी जैसी सुंदर पत्नी पा कर सुलतान बेहद खुश था. दोनों के दांपत्य की गाड़ी खुशहाली के साथ चलने लगी. समय का पहिया अपनी गति से घूमता रहा और रजनी 3 बच्चों की मां बन गई. लेकिन कुछ दिनों बाद आर्थिक परेशानियों ने परिवार की खुशी पर ग्रहण लगाना शुरू कर दिया.

शादी से पहले सुलतान छोटामोटा काम कर के गुजरबसर कर लेता था, लेकिन 3 बच्चों का बाप बन जाने से घर के खर्चे भी बढ़ गए थे. वहीं रजनी की बढ़ती ख्वाहिशों ने उस के खर्चों में काफी इजाफा कर दिया था.
आर्थिक परेशानी से उबरने के लिए वह एक शोरूम में रात के समय चौकीदारी भी करने लग गया था. इस दौरान उसे शराब पीने की भी लत लग गई, जिस की वजह से वह पैसे शराबखोरी में उड़ा देता था. इस के चलते घर की माली हालत डांवाडोल होने लगी थी. यहां तक कि उस ने कई लोगों से कर्ज ले लिया था.

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