अपने देश में ही निर्मित कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी से पहली बार नौसेना ने मिसाइल का सफल परीक्षण किया. भारतीय नौसेना ने जल की सतह के एकदम नीचे उसकी युद्ध क्षमता को बढ़ाने की दिशा में इस प्रक्षेपण को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया है.

भारत की सुरक्षा से जुड़े प्रोजेक्ट 75 के तहत बनाई जा रहीं भारत की 6 स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों में से पहली पनडुब्बी से प्रक्षेपास्त्र का प्रक्षेपण 2 मार्च को किया गया. इस परीक्षण के दौरान अरब सागर की सतह पर एक लक्ष्य बनाकर उस पर सफलतापूर्वक निशाना साधा गया.

रक्षा मंत्रालय की ओर से यह बात कही गई कि “सभी छह डीजल-इलेक्ट्रिक संचालित पनडुब्बियों पर युद्धपोत रोधी मिसाइल लगाई जाएंगी, जिनका एक प्रामाणिक रिकॉर्ड भी है. ये मिसाइल्स पनडुब्बियों को सतहों के एक विस्तृत क्षेत्र तक मौजूद खतरों को नेस्तनाबूद कर देने की क्षमता प्रदान करेंगी. इस परीक्षण में प्रक्षेपण के दौरान मिसाइल ने एक विस्तृत रेंज तक सतह पर स्थित अपने लक्ष्य पर सफलतापूर्वक निशाना साधा ऐसा केवल केवल कलवरी द्वारा ही मुमकिन हो सका है. यकीनन ये सफलता सतह के नीचे भारत की युद्ध क्षमता बढ़ाने में महल्वपूर्ण है”.

इन पनडुब्बियों का निर्माण भारत में ही मुंबई स्थित माझगांव डॉक लिमिटेड में किया जा रहा है और फ्रांसीसी नौसेना रक्षा और ऊर्जा कंपनी डीसीएनएस द्वारा इसे डिजाइन किया गया है.

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