उत्तराखंड राज्य की राजधानी देहरादून में रहने वाले सागर चांदना ने परिवार के साथ गोवा घूमने का प्रोग्राम बनाया. इस के लिए उन्होंने इंटरनैट पर एक वैबसाइट के शानदार औफर देखे, तो रजिस्ट्रेशन कर दिया. जल्द ही कंपनी के लोगों ने उन से बात कर ली और स्पैशल पैकेज दे कर उन से पैसा भी वसूल लिया, लेकिन चंद रोज में ही उन के सारे सपने बिखर गए, क्योंकि जिस वैबसाइट के वे झांसे में आए, वह फर्जी निकली. साइबर ठगी के शिकार सागर चांदना ने पुलिस में शिकायत की. पुलिस ने जांचपड़ताल के बाद ठगों की पूरी मंडली को खोज कर गिरफ्तार कर लिया. पुलिस दंग रह गई, जब उसे पता चला कि ये ठग इसी तरह लोगों को अपना शिकार बना कर हर महीने लाखों रुपए कमाते थे.
साइबर क्राइम करने वाले गिरोह के सदस्य इतने शातिर थे कि वे ऐसे मनचाहे औफर देते थे कि उन के शिकार को अपने साथ हो रही ठगी का पता ही नहीं चलता था. इस गोरखधंधे में वे पहले कभी पकड़े भी नहीं गए थे. दरअसल, सागर चांदना नए साल पर गोवा घूमना चाहते थे. 29 नवंबर, 2016 को उन्होंने डील्स ए ट्रैवल डौट कौम नामक वैबसाइट पर 4 लोगों के गोवा जाने के लिए अच्छा पैकेज हासिल करने के लिए अपना मोबाइल नंबर व ईमेल आईडी दे कर औनलाइन रजिस्टे्रशन कराया. अगले दिन मैजिक यात्रा कंपनी की तरफ से एक आदमी ने खुद को सैल्स अधिकारी बता कर उन से मोबाइल फोन पर बात की. उस ने 22 जनवरी से
26 जनवरी तक के लिए 4 रात 5 दिन का टूर पैकेज बताया. इस पैकेज में होटल में रहना और हवाईजहाज से आनाजाना शामिल था. 36 हजार रुपए खर्चा बता कर कंपनी ने टूर की डिटेल उन की ईमेल पर भेज दी. सागर चांदना ने दूसरी ट्रैवल एजेंसियों के पैकेज देखे. वे महंगे थे. लिहाजा, मैजिक कंपनी का औफर उन्हें पसंद आ गया. वे लोग फोन कर के यात्रा में किसी भी तरह की परेशानी न होने का विश्वास भी दिला रहे थे. इस के बाद तथाकथित सेल्स अधिकारी ने 5 दिसंबर, 2016 को उन से टूर खर्च की आधी रकम अकाउंट में ट्रांसफर करने को कहा. उस ने यह भी बताया कि कंपनी के अकाउंट की लिमिट चूंकि ओवर हो चुकी है, इसलिए वे एक्सिस बैंक के उन के निजी खाते में रकम जमा करें.
सागर चांदना ने रकम जमा कर दी. इस के 3 दिन बाद कंपनी के लोगों ने बताया कि फ्लाइट उन की कन्फर्म हो चुकी है, इसलिए वे 21 हजार रुपए ट्रांसफर कर दें. तत्काल रकम जमा कराने पर 5 हजार रुपए की छूट देने की बात भी बताई, तो सागर चांदना ने 16 हजार रुपए जमा कर दिए और उन्हें विश्वास दिलाया कि बुकिंग शाम तक कन्फर्म कर दी जाएगी. जब बुकिंग कन्फर्म नहीं हुई, तो सागर चांदना ने बात की, लेकिन तरहतरह के बहाने बनाए जाते रहे व टालमटोल की जाती रही.
सागर चांदना को शक तो हुआ, जब उन लोगों ने पैकेज न बुक होने की बात कही, साथ ही रकम वापस देने पर आनाकानी करते रहे. कंपनी से रकम लेने का तरीका ही कुछ ऐसा था कि सागर समझ ही नहीं पाए कि वे किसी जाल में उलझ रहे हैं.
बाद में सागर चांदना को विश्वास हो गया कि उन्हें ठगी का शिकार बनाया गया है. इस के बाद उन्होंने पुलिस का रुख किया और थाने प्रेमनगर में मुकदमा दर्ज करा दिया. नए तरीके से की गई ठगी का यह मामला साइबर क्राइम से जुड़ा था. एसएसपी स्वीटी अग्रवाल व एसपी अजय सिंह ने थाना प्रभारी नरेश राठौर व क्राइम ब्रांच प्रभारी अशोक राठौर को इस मामले में कार्यवाही करने को कहा. प्राथमिक जांच में ही साफ हो गया कि कुछ लोग सस्ते टूर का लालच दे कर छोटीछोटी किस्तों में रकम ले कर लोगों को ठगने का काम कर रहे हैं. साइबर क्राइम करने वालों को पकड़ना आसान नहीं होता. पुलिस ने फर्जी वैबसाइट, मोबाइल नंबर, सागर चांदना के पास आई ईमेल आईडी को सर्विलांस के माध्यम से ट्रैक करना शुरू किया. इस के साथ ही बैंक अकाउंट की डिटेल हासिल कर ली गई. पुलिस ने बारीकी से काम किया और 4 जनवरी, 2017 को दिल्ली से लगे नोएडा के सैक्टर-62 से एक लड़की समेत 4 लोगों को गिरफ्तार कर लिया.
गिरफ्तार आरोपियों में लवप्रीत, अनिल कुमार, मनीष मिश्रा व सुनील कुमार शामिल थे. पूछताछ के दौरान जो सच सामने आया, उसे सुन कर पुलिस भी चौंक गई.
दरअसल, सस्ते टूर पैकेज देने के नाम पर लोगों को ठगने वालों का यह गोरखधंधा पूरे भारत में फैला हुआ था. इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड करनाल का रहने वाला गिरफ्तार आरोपी लवप्रीत था. वह जल्द ही अमीर बनने का सपना देखता था. उस के दिमाग में कई तरह के साइबर क्राइम करने के आइडिया आए, लेकिन वह बिलकुल नए तरीके से लोगों को ठगना चाहता था.
लवप्रीत ने टूर पैकेज के बहाने लोगों को ठगने की योजना बनाई और अपने दोस्तों के साथ मिल कर तकरीबन 6 महीने पहले ही मैजिक यात्रा वैबसाइट बनाई, उस ने किराए पर जगह ले कर दफ्तर भी खोला और स्टाफ भी रखा.
गिरोह के लोग ऐसे लोगों पर नजर रखते थे, जो टूर कराने वाली दूसरी वैबसाइटों पर टूर पैकेज की पूछताछ करते थे. यहीं से वे अपना शिकार ढूंढ़ते थे. इस के बाद वे मोबाइल नंबर और ईमेल के जरीए लोगों को सस्ते टूर का झांसा देते थे.
लोगों को बाकी कंपनियों के पैकेज महंगे लगते थे. इस के बाद वे पैसा जमा करा लेते थे. शिकार को उन पर किसी तरह का शक न हो, इसलिए एक लड़की को भी उन्होंने फोन करने के लिए नौकरी पर रखा था. वह कई तरह के औफर दे कर लोगों को लुभाती थी.
जिन लोगों से रकम ली जाती थी, लौटाई नहीं जाती थी और वे मोबाइल नंबर बदल देते थे. कोई उन तक इसलिए नहीं पहुंच पाता था, क्योंकि मोबाइल नंबर फर्जी पते पर हासिल किए जाते थे.
लवप्रीत और उस के साथी अपने ग्राहकों को मौजमस्ती कराने की बात भी करते थे. उन्हें औफर देते थे कि कंपनी किसी कमसिम हसीन लड़की को भी उन के साथ भेजेगी, जो हर तरह से उन की सेवा करेगी.
रंगीनमिजाज लोगों को वे इंटरनैट से चुराई गई लड़कियों की फोटो पसंद करने के लिए भेजते थे. इन में विदेशी लड़कियां भी होती थीं. जो लोग लड़कियों के साथ मस्ती की इच्छा जताते थे, उन से उसी हिसाब से रकम वसूली करते थे. कंपनी ऐयाशी की ख्वाहिश रखने वाले लोगों की पहचान गुप्त रखने का वादा भी करती थी. ऐसे लोग ठगे जाने पर शिकायत भी नहीं करते थे. जो लोग ज्यादा दबाव बनाते थे, उन्हें ईमेल और बातचीत उजागर करने की धमकी दी जाती थी. बदनामी के डर से वे लोग चुप हो जाते थे. दर्जनों लोगों को उन्होंने इसी तरह ठगा था. एक महीने में वे 10 से 12 लाख रुपए इसी तरह कमाते थे. पुलिस ने कंपनी के 22 कंप्यूटर, 5 मोबाइल फोन और तमाम दस्तावेज अपने कब्जे में ले लिए. ठगों का शिकार हुए सागर चांदना ने पुलिस में शिकायत न की होती, तो शायद ही मामला पकड़ में आता. देरसवेर सागर चांदना के रुपए भी वापस हो जाएंगे, लेकिन हर दिन कोई दूसरा सागर इस तरह के साइबर क्राइम के जाल में उलझ रहा होता है.
इंटरनैट के जरीए शातिर लोगों को ठगने के लिए तरहतरह के हथकंडे अपनाते हैं. ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है. इस तरह के औफर देने वाली कंपनी की अच्छी तरह से जांचपड़ताल कर लेनी चाहिए. लुभावने औफर के पीछे के राज को भी बारीकी से समझना चाहिए. पुलिस ने कंपनी के ईमेल चैक किए, तो सैकड़ों लोगों की शिकायतों का अलग फोल्डर बना हुआ था. ऐसे लोगों ने पुलिस से संपर्क शुरू कर दिया था. पुलिस ने उन खातों को सीज करा दिया, जिन में वे रकम डलवाते थे.
देहरादून के एसपी अजय सिंह कहते हैं कि साइबर अपराधियों से बचने का एकमात्र तरीका सावधानी बरतना ही है. लोगों को इस तरह के झांसे में आने से बचना चाहिए. अगर कोई गड़बड़ हो, तो तुरंत पुलिस में शिकायत करनी चाहिए.
नोटबंदी के बाद नरेंद्र मोदी सरकार कैशलैस इकोनोमी की तो वकालत ही नहीं कर रही, बल्कि इसे जबरन थोप रही है. पर नागरिकों को यह भरोसा नहीं दिला रही कि वह उन के पैसों की हिफाजत करेगी. यदि यह सब बुकिंग कैश दे कर की जाती, तो लुटे जाने का डर बहुत कम होता.