उद्यानिकी यानी बागबानी की एक शाखा है फूलों की खेती. इस में परफ्यूम इंडस्ट्री के अलावा फार्मास्यूटिकल आदि शामिल हैं. इस व्यवसाय को शुरू करने वालों को फ्लोरिस्ट कहते हैं. युवकयुवतियां इस व्यवसाय को शुरू कर के खासी कमाई कर सकते हैं.
योग्यता : जो युवा इस क्षेत्र में कैरियर बनाना चाहते हैं उन के लिए इस बाबत जानकारी होनी जरूरी है. सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिगरी जैसे कोर्स के लिए 10+2 में बायोलौजी, फिजिक्स, कैमिस्ट्री के साथ पास होना जरूरी है, लेकिन फ्लोरीकल्चर में मास्टर्स डिगरी हासिल करने के लिए एग्रीकल्चर में बैचलर डिगरी होनी जरूरी है. तकरीबन हर यूनिवर्सिटी में फ्लोरीकल्चर पढ़ाया जाता है.
जगह : इस काम के लिए सवा बीघा जमीन काफी है, लेकिन जमीन 5 बीघा हो तो वारेन्यारे हैं. इसे एक नर्सरी के तौर पर खोला जाए. यहां कम से कम 2 नलकूप जरूर हों.
विविधता : नर्सरी में रैनन क्लाउज, स्वीट, विलियम, डेहलिया, लुपिन, वेरबना, कासमांस आदि के फूल लगा सकते हैं. इस के अलावा गुलाब की प्रजातियों में चाइना मैन, मेट्रोकोनिया फर्स्ट प्राइज, आइसबर्ग और ओक्लाहोमा जैसी नई विविधताएं हैं, जो शर्तिया कमाई देती हैं. इस के साथसाथ मोगरा, रात की रानी, मोतिया, जूही आदि झाडि़यों के अलावा साइप्रस चाइना जैसे छोटेछोटे पेड़ लगा कर अच्छी कमाई की जा सकती है.
कब शुरू करें : फूलों की पैदावार के लिए सब से उपयुक्त समय सितंबर से मार्च तक है, लेकिन अक्तूबर से फरवरी का समय इस व्यवसाय के लिए सब से बढि़या है. वैसे तो फूलों का कारोबार और पैदावार सालभर चलती है, पर जाड़ों में यह बढ़ जाता है.
बचाव : कीटभक्षी पक्षी और छोटेछोटे कीड़ेमकोड़े फूलों के दुश्मन होते हैं. इन से बचाव के पूरे इंतजाम होने चाहिए. समयसमय पर दवाओं का छिड़काव भी जरूरी है. सर्दी के दिनों में फूलों की पैदावार को बचाने के लिए क्यारियों पर हरे रंग की जाली का प्रयोग करना चाहिए.
कहां बेचें : फूलों की सब से बड़ी मंडी दिल्ली में है. इस मंडी में देशविदेश के फूल व्यापारी खरीदफरोख्त करते हैं. लगभग सौ कंपनियां फूल उत्पादन व उन के व्यापार में 2,500 करोड़ रुपए की पूंजी निवेश कर चुकी हैं. इन कंपनियों के एजेंट हर जगह उपलब्ध हैं. आप अपने खेतों में उत्पन्न फूलों को बेचने के लिए इन से संपर्क कर सकते हैं. फूल सजावट के काम आते हैं. इन से माला, गजरा, सुगंधित तेल, गुलाबजल, गुलदस्ता, परफ्यूम आदि बनाए जाते हैं. इस के अलावा, सामाजिक कार्यक्रमों, केशसज्जा, गृहसज्जा और विवाहअभिनंदन आदि अवसरों पर भी ये उपयोग किए जाते हैं. उपरोक्त कार्य के अलावा पुष्पउत्पादक किसानों से आप थोकभाव में फूल खरीद कर मंडी में पहुंचा सकते हैं. विदेशों में निर्यात कर सकते हैं, मंडियों से खरीद कर कसबों में वितरण कर सकते हैं. अधिक लाभ के लिए फूल व्यवसाय उत्तम विकल्प है.
आमदनी : कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि जागरूक किसान यदि एक हेक्टेयर गेंदा के फूल लगाते हैं तो वे वार्षिक आमदनी 1 से 2 लाख रुपए तक बढ़ा सकते हैं. इतने ही क्षेत्र में गुलाब की खेती करते हैं तो दोगुनी तथा गुलदाउदी की फसल से तकरीबन 7 लाख रुपए तक कमा सकते हैं. भारत में गेंदा, गुलाब, गुलदाउदी आदि फूलों के उत्पादन के लिए जलवायु काफी अनुकूल है. फिर भी मिट्टी, खाद व खरपतवार की सफाई व समय पर बुआई का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
गुलदाउदी की सफल बागबानी के लिए बलूई दोमट मिट्टी सर्वश्रेष्ठ है. खेत की ग्रीष्मकाल में अच्छी जुताई करनी चाहिए. फूलों की लगभग सभी प्रजातियों की बुआई सितंबर-अक्तूबर में की जाती है. गुलाब और गेंदा हर प्रकार की मिट्टी में लगाए जा सकते हैं, परंतु दोमट, बलुआर या मटियार भूमि ज्यादा उपयोगी है. गुलाब की खेती कलम लगा कर की जाती है. रोपाई सायंकाल में होती है. उन्नत किस्म के बीज दिल्ली स्थित पूसा इंस्टिट्यूट या देश के किसी भी बड़े अनुसंधान केंद्र से प्राप्त किए जा सकते हैं. कौन सा फूल किस मौसम में लगाया जाता है, इन सभी बातों की जानकारी अनुसंधान केंद्र से मिल जाती है.
कैरियर की संभावनाएं : नर्सरी खोल कर स्वरोजगार करें तो अच्छी कमाई हो सकती है. इस के अलावा, फ्लोरल डिजाइनर, लैंडस्केप डिजाइनर, फ्लोरीकल्चर थेरैपिस्ट, ग्राउंडकीपर्स प्लांटेशन ऐक्सपर्ट के अलावा पीएचडी कर के देश की किसी भी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में बतौर लेक्चरर नियुक्त हो सकते हैं.
सरकार से ऋण व्यवस्था : इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए सरकारी बैंक 5 लाख रुपए तक का ऋण उपलब्ध करवाते हैं. फूलों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने वाली कई संस्थाएं भी प्लानिंग तथा ऋण उपलब्ध कराती हैं. ये संस्थाएं यह भी सुनिश्चित करती हैं कि आप को निश्चित आमदनी होती रहे.
फ्लोरीकल्चर में चुनौतियां : भारतीय फूल उद्योग उत्साहित नहीं करता. फसल उगाने के तौरतरीके बहुत पुराने हैं, उन में कुछ नयापन नजर नहीं आता. इस के अलावा फ्लोरीकल्चर के बीज महंगे दामों पर किसानों को मिलते हैं. किसानों को सिंचाई के साधनों व तौरतरीकों की जानकारी का अभाव है. कुशल प्रशिक्षकों की कमी है. पौध लगाने के लिए आवश्यक सुविधाएं नहीं मिलतीं. पुरानी पौध देर तक खेत में रहने के कारण वह फसल पर बुरा असर डालती है. दूसरी अहम बात यह है कि सुपर मार्केट द्वारा फूलों के व्यापार करने से किसानों को यह व्यापार महंगा पड़ता है.
बीज : भारतीय फूल उद्योग में कंपनियां फूलों के बीज उपलब्ध करवाती हैं. अधिकतर किसान अपनी जमीन की उपजाऊ स्थिति को देखते हुए फूलों की प्रजातियों का चयन करते हैं.
फूलों की खेती : फूलों की अधिकतर खेती देश के विभिन्न राज्यों, जैसे महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, तमिलनाडु, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में की जाती है.
व्यापार को बढ़ावा कैसे : बीजों का भंडारण, उन की सफाई व कुशल कारीगरों की व्यवस्था करने के लिए सरकार द्वारा कम ब्याज दर पर कर्ज मुहैया करवाया जाए, सिंचाईर् के नएनए तरीके अपनाए जाएं और कुशल प्रशिक्षण दिया जाए ताकि फूलों की खेती पर खराब असर न पड़े. व्यापार के लिए देश के सभी राज्यों में फलों के साथसाथ फूलों की मंडी भी बनाई जाएं. हर राज्य की सरकार फूलों के व्यवसाय पर ध्यान दे. साथ ही, 2 हफ्तों का प्रशिक्षण भी दिया जाए ताकि नईनईर् तकनीकों द्वारा किसान फूलों की बेहतर खेती कर सकें और अपनी आमदनी के स्रोत को बढ़ा सकें.
खाद का इस्तेमाल : फूलों की खेती में प्रयोग की जाने वाली प्रमुख खादों में ब्रैड फील्ड और्गेनिक, डेनिल्स, अर्थवर्क, एस्पोमा गोल्डन टौन, और्गेनिका प्लांट बूस्टर, पियरल वैली आदि शामिल हैं. अधिकतर किसान इन्हीं रासायनिक खादों का प्रयोग करते हैं. इन खादों को किसान तरल बना कर फूलों की पौध पर छिड़काव करते हैं.