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रात सोते समय फिर वही मासूम भीख मांगता चेहरा आंखों के आगे घूम गया, ‘‘कैसे रहते होंगे ये लोग? क्या खाते हैं? सामाजिक जीवन कैसा होता है इन परिवारों का?’’ यही सब सोचते हुए उस की आंख लग गई.सुबह देर से उठी, किसी ने उसे उठाया भी नहीं. आंगन में महरी बरतन धो रही थी. उस के उठने से पहले ही घर की सफाई भी हो चुकी थी. वह उबासी लेते हुए आंगन के कोने में रखे पीढ़े पर बैठ गई.

‘‘रूपा, तेरी चाय. सुबह से 3 बार की चाय बन गई है और तू अब उठी है. तेरी तबीयत तो ठीक है न?’’ मां के स्वर में चिंता भी थी और उत्सुकता भी. उस के विवाह को 3 साल हो चुके हैं और अब जा कर उस के दिन चढ़े थे, जिसे उस की मां की अनुभवी आंखें ताड़ चुकी थीं.

रूपा के चेहरे पर लाली दौड़ गई. वह चुपचाप चाय पीती रही.‘‘कल आई क्या बिटिया?’’ महरी ने पूछा.‘‘हां, सुमन की अम्मा, तुम सुनाओ क्या हाल है? सुना तुम ने सुमन की शादी तय कर दी है. अभी 13-14 साल की बच्ची ही तो है, क्यों शादी की गठरी गले में बांध रही हो? थोड़ा बड़ी हो जाने दो. कम से कम 18 साल की तो होने देती,’’ रूपा चाय सुड़कते हुए बोली.

‘‘अब क्या बताएं बिटिया, उस के बाबा की बुरी नजर है उस पर, कब तक बचा कर रख पाएंगे. इस से अच्छा है कि इस का कहीं ब्याह हो जाए, तो हम भी बाकी जिंदगी चैन से रहें.’’‘‘बाबा कौन?  तुम्हारा आदमी, सुमन का बाप?’’‘‘हां, वह सुमन का बाप नहीं है. सुमन का बाप तो मेरा पहला मरद था. यह दूसरा मरद है. नहीं, तीसरा… पहला छोड़ गवा रहे, दूसरा मर गवा, यों यह तीसर है रिक्शा चलात है. अब साथे में रहने लगा है. पहले 3-4 साल ठीक रहा, अब बहुत शराब पियत है और सुमन पे भी बुरी नियत रखत है. का करें बताओ बिटिया? सुमन को साथ में ले कर घूमत है. स्कूल छुड़ा कर, अपने साथ काम पर लगा लिया है. अभी बाहर  झाड़ू लगा रही है. अगले महीने ब्याह देंगे.’’

रूपा चुप हो गई. अब क्या कहे, जहां रक्षक ही भक्षक बन जाए वहां क्या गुंजाइश रह जाती है कुछ कहनेसुनने की.‘‘दीदी, आप ने बुलाया क्या?’’ सुमन उस के सामने थी. गोरीचिट्टी, दुबली, तीखे नैननक्श, भूरे बालों की बंधी चोटी और अपने से बड़े साइज के काले छींटदार सलवारकुरते में भी गजब ढा रही थी. उस की अम्मा तो एकदम काली, मोटे नैननक्श और छोटे कद की है. इन दोनों को मांबेटी कोई भी देख कर तो नहीं ही कहेगा. उसे हमेशा से शक था कि यह पहले गणेश गंज के जिस अस्पताल में सफाई का काम करती थी, जरूर वहीं से चुरा कर लाई है. तभी से पुराना महल्ला छोड़ कर यहां बस गई है. हर साल कितने ही बच्चे अपहरण कर लिए जाते हैं. अस्पतालों से भी चोरी हो जाते हैं. कुछ रिकौर्ड ही नहीं रहता कि कितने बच्चे अपने अभिभावकों के पास वापस लौट पाए हैं.

‘‘अब नाच नहीं दिखाती क्या सुमन? बचपन में तो एक रुपए के लिए 10 गानों में नाचने को तैयार रहती थी,’’ रूपा ने छेड़ा.‘‘नाच के दिखाएं दीदी, लेकिन 10 रुपया लेंगे,’’ सुमन अपने दुपट्टे का फेंटा बांध कर खड़ी हो गई.‘‘चल पगली, वह तो मैं ने यों ही कहा. आज दिनभर यहीं रुक जा. शाम को बाजार से तेरे लिए कपड़े दिला दूंगी. तेरी शादी है न अगले महीने? कुछ मतलब भी पता है शादी का?’’

‘‘हां, नया गहना, कपड़ा मिलेगा,’’ सुमन अपनी आंखों को फैला कर बोली. एक मासूम मुसकराहट उस के होंठों पर खिल गई.‘‘वहां ससुराल में काम भी तो करना पड़ेगा,’’ रूपा ने डराना चाहा.‘‘यहां 10 घर में करते हैं वहां तो एक घर का ही काम होगा,’’ सुमन निश्ंिचत हो कर बोली.

‘‘तेरा आदमी क्या काम करता है?’’‘‘ट्रक ड्राइवर है. 2 बच्चे भी हैं उस के. पहली बीवी मर गई है, घर में बुढि़या भी है,’’ एक सांस में सब हाल बता दिया ससुराल का.‘‘कितने साल का है वह, कुछ पता है तु झ को?’’‘‘40 साल का है शायद. अम्मा कह रही थी कि शादी का पूरा खर्चा वही भरेगा.’’

‘‘तू शादी को मना क्यों नहीं कर देती? दोचार साल बाद कर लेना,’’ रूपा जो कहना चाह रही थी वह उसे स्पष्ट नहीं कर पा रही थी.‘‘बाबा परेशान करता है. अम्मा घर में न हो, तो कपड़े फाड़ने लगता है,’’ सुमन की आंखों में आंसू भर गए.

यही सब शादी के नाम पर हो, तो क्या उचित है? न जाने क्या है समाज की नैतिकता और अनैतिकता? बाबा 50 साल का है और पति 40 साल का, दोनों उस से एक ही अपेक्षा रखते हैं मगर वह तो अभी मासूम किशोरी ही है. क्या वह जानती है कि विवाह करने के बाद उस का जीवन और दुरूह होने वाला है? रूपा सोचने लगी कि यह आज दिन में यहीं रुक जाए तो वह उसे विवाह की ऊंचनीच सम झाने की कोशिश करेगी.

‘‘दीदी, मैं शाम को आऊंगी, अभी बगल की कोठी में बहुत काम है. उन के घर शादी है. बोली है कि पूरे महीने मन लगा कर काम करोगी, तो चांदी की पायल दूंगी इनाम में,’’ यह कह कर सुमन चली गई.रूपा सवालों में उल झ कर रह गई, ‘क्या महीनाभर दिनरात काम ले कर पायल पकड़ा देना शोषण नहीं है? 8 घंटे के हिसाब से 150 रुपए लगाओ तो 30 दिन के 4,500 रुपए हुए. 1,000-1,500 की पायल पकड़ा कर उस पर एहसान करेगी.’

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