विधानसभा चुनावों में दी जाने वाली जानकारी से यह पता चलता है कि गहनों का शौक केवल महिलाओं को ही नहीं है पुरुष नेता भी इसके शौकीन हैं और इनके पास उतने ही गहने हैं जितने कि सामान्य घर की महिला के पास भी नहीं होते हैं. यह गहने वह नहीं हैं जो नेता की पत्नी के पास हैं. नेता की पत्नी से अलग गहने नेता जी के पास हैं. वैसे तो यह शौक प्रदेश भर के नेताओं में कमोबेश एक जैसा पाया जाता है. युवा नेता भी इस शौक से अछूते नहीं हैं. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जब हमने इस मामले की पड़ताल की तो पता चला कि यह शौक हर पार्टी के नेताओं में बराबर का है.
राजधानी लखनऊ से चुनाव लड रहे पुरुष नेताओं के गहनों में सबसे अधिक अंगूठी और चेन पाई गई. कुछ नेताओं के पास सोने के ब्रेसलेट और रूद्राक्ष की माला भी देखने को मिली. बक्शी का तालाब से चुनाव लड़ रहे भाजपा प्रत्याशी अविनाश त्रिवेदी की पत्नी के पास 22 लाख के गहने हैं तो खुद उनके पास 3 लाख के गहने हैं. ब्रजेश पाठक के पास पति पत्नी के लाखों के गहने हैं. नकुल दुबे के पास 22 तोला गहने हैं. राजीव श्रीवास्तव के पास 26 लाख के गहने पति पत्नी को मिलाकर हैं. अनुराग सिह भदौरिया के पास 450 ग्राम सोने और हीरे के गहने हैं तो पत्नी के पास 1300 ग्राम सोना है. मारूफ के पास 20 ग्राम सोना है तो पत्नी के पास 700 ग्राम सोना है. अभिषेक मिश्रा के पास पति पत्नी को मिलाकर 1 किलो से उपर सोना है.
असल में अब नेताओं के रहन सहन और फैशन के तरीके बदल चुके हैं. सभी को अचछे ब्रांड के कपड़े, जूते, घडियों, जैकेट का शौक होता है. हाथ में अंगूठी और चेन सभी के पास होती है. कई बार तो गले में पहने जानी वाली चेन में रूद्राक्ष की माला भी पहनी जाती है. इसमें भी सोने का प्रयोग किया जाता है. युवा नेताओं के हाथ में ब्रेसलेट भी खूब दिखने लगा है. चुनाव में जो विवरण भरा जाता है वह बहुत नहीं होता है. ज्यादातर नेता मजबूरी में इसको भरते हैं. कोशिश यह होती है कि कम से कम भरा जाये. आज के दौर में केवल नेताओं के पास ही नहीं दूसरे शौकीन लोगों के पास गहने होते हैं. नेताओं से सादगी की उम्मीद की जाती है. इस कारण उनका फैशन सवालों के घेरे में आ जाता है.
जिस तरह से नेताओं का रहन सहन बदल रहा है उसमें गहनों का शौक कोई बजूबी बात नहीं है. आज चुनाव के समय की बात हो या किसी नेता की बड़ी रैली नेताओं की फैशनेबल पोशाके बिकने लगती हैं. यह मंहगी और सस्ती दोनों ही तरह की होती हैं. गहने के शौक पर एक नेता का कहना है कि जितना हम दिखाते हैं उससे कहीं अधिक तो समाज में दूसरे लोग पहने दिखते हैं.