पुराने कथानक पर नेत्रहीन किरदारों को फिट कर बनायी गयी फिल्म ‘‘काबिल’’. रितिक रोशन व यामी गौतम की बेहतरीन परफार्मेंस के चलते लोग इस रोमांचक फिल्म को पसंद कर सकते हैं. फिल्म‘‘काबिल’’ की कहानी दो नेत्रहीनों रोहन भटनागर (रितिक रोशन)और सुप्रिया शर्मा(यामी गौतम) से शुरु होती है. रोहन एक अच्छे वायस डबिंग आर्टिस्ट और सुप्रिया बेहतरीन पियानो वादक हैं. नेत्रहीन होने के बावजूद जिंदगी के प्रति दोनों का रवैया सकारात्मक है. दोनों पहली मुलाकात में एक दूसरे से कहते हैं कि उन्हें शादी नहीं करनी है. पर धीरे धीरे दोनों में प्यार हो जाता है और दोनों शादी कर एक दूसरे के सहारा बन जाते हैं.

लेकिन एक दिन शहर का एक गुंडा अमित शेलार (रोहित राय) और उसका साथी शकील (सहीदुर रहमान) ,सुप्रिया का बलात्कार कर देते हैं. वसीम एक कसाई (अखिलेंद्र मिश्रा) का बेटा है. जिसे वसीम व अमित की दोस्ती पसंद नहीं. पर बेटा अपने पिता की नहीं सुनता है. सुप्रिया के साथ हुई दुर्घटना के बाद रोहन की जिंदगी में अंधेरा छा जाता है. पर वह हार नहीं मानता. वह अपनी पत्नी सुप्रिया के साथ हुए अपराध के लिए बदला लेने की ठान लेता है.

उधर अमित शेलार को चिंता नहीं है. उसका भाई माधवराव शेलार (रोनित राय) नगर सेवक है. भ्रष्ट पुलिस अफसर बलात्कार के केस की सही जांच नही होने देते. इस बीच सुप्रिया फांसी लगाकर आत्महत्या कर लेती है. जब रोहन को एहसास होता है कि पुलिस के भरोसे उसे न्याय नहीं मिल पाएगा, तो वह खुद बदला लेने की ठान लेता है.

रोहन पुलिस से कहता है कि वह बदला लेगा, पर पुलिस उसे देख नहीं पाएगी, सबूत नही मिलेंगे. उसके बाद फिल्म में कुछ रोमांचक घटनाएं घटित होती हैं. अपनी डबिंग की खूबी का उपयोग कर रोहन लोगों को फोन कर आपस में लड़वाता है. फिर एक एक को मारने की योजना बनाकर पहले शकील, फिर अमित शेलार की हत्या कर देता है. बाद में माधव शेलार भी मारा जाता है.

फिल्म देखकर निर्देशक संजय गुप्ता को बदला लेने की कहानियों से ज्यादा ही लगाव नजर आता है. वह अतीत में ‘जज्बा’ जैसी कई बदले की भावना पर आधारित फिल्में निर्देशित कर चुके हैं, जो कि बॉक्स ऑफिस पर असफल रही हैं. ‘‘काबिल’’ में कहानी के स्तर पर कुछ नयापन नहीं है. यह फिल्म संदेश देती है कि बदला अंधा होता है.

सवाल यह है कि आखिर फिल्म निर्माता राकेश रोशन ओर निर्देशक संजय गुप्ता दर्शकों को समझाना क्या चाहते हैं? क्या वे ये बताना चाहते हैं कि दर्शकों को अपने साथ हुए हर अन्याय के लिए बदला लेना चाहिए? यानी कि खून के बदले खून…? इस तरह के संदेश को परोसकर आखिर फिल्मकार किस तरह का समाज व देश रचना चाहते हैं? इस तरह के कथानक पर कई फिल्में हौलीवुड में और बौलीवुड में भी कई फिल्में बन चुकी हैं. फिल्म ‘‘काबिल’’ देखते समय कई पुरानी फिल्में याद आती रहती हैं.

डॉर्क और अति हिंसात्मक दृष्यों से भरपूर फिल्म ‘‘काबिल’’ इंटरवल से पहले काफी धीमी गति से आगे बढ़ती है. फिल्म की कमजोर कड़ी इसका वीएफएक्स और रोहित राय व रोनित राय का अभिनय है. इंटरवल के बाद के तमाम संवाद प्रभावित करने की बजाय जबरन थोपे हुए लगते हैं. फिल्म में ह्यूमर की कमी है. एक्शन सामान्य दर्जे का है. रोमांस व इमोशन की भी कमी है. रितिक रोशन व यामी गौतम ने बेहतरीन अभिनय किया है. रितिक रोशन के प्रशंसकों को यह फिल्म जरुर पसंद आएगी.

2 घंटे 19 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘काबिल’’ के निर्माता राकेश रोशन, निर्देशक संजय गुप्ता, संगीतकार राजेश रोशन, लेखक संजय मासूम और विजय मिश्रा, कैमरामैन सुदीप चटर्जी व अयंका बोस तथा कलकार हैं रितिक रोशन, यामी गौतम, रोहित राय, रोनित राय, अखिलेंद्र मिश्रा व अन्य.

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