कटक वनडे मैच में इंग्लैंड को 15 रनों से हराकर अपनी कप्तानी में पहली ही सीरीज जीतने वाले नए कप्तान विराट कोहली ने जीत पर खुशी तो जताई, लेकिन सलामी बल्लेबाजी और गेंदबाजी में कमी की ओर भी इशारा किया. साथ ही वह शीर्ष क्रम के प्रदर्शन से नाखुश दिखे.
भारत ने दूसरे वनडे में इंग्लैंड के सामने जीत के लिए 382 रनों का विशाल लक्ष्य रखा था, लेकिन इंग्लैंड ने दमदार प्रदर्शन करते हुए लक्ष्य के काफी करीब तक पहुंचे लेकिन मैच गवां बैठा.
बतौर कोहली, 'दो खिलाड़ी अश्विन और जडेजा ने इससे पहले टेस्ट श्रृंखला में दमदार प्रदर्शन किया था, आज भी उन्होंने आगे आकर मोर्चा संभाला और अगर सही समय पर वे हमें विकेट न दिलाते तो मुझे नहीं पता कि मैच का क्या हश्र होता. मैं सिर्फ यही कहना चाहूंगा कि हमने अपनी क्षमता का 75 फीसदी ही दिया.'
दरअसल टॉस हारकर बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम 25 के स्कोर तक तीन अहम विकेट गंवा चुकी थी. लेकिन इसके बाद युवराज सिंह (150) और पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (134) ने तूफानी साझेदारी करते हुए टीम को बड़े स्कोर तक पहुंचाया.
कोहली ने युवराज सिंह और महेंद्र सिंह धोनी की शतकीय पारियों की तारीफ की. लेकिन वह शीर्ष क्रम के प्रदर्शन से नाखुश दिखे और उन्होंने कहा कि चैंपियन्स ट्रॉफी से पहले बेहतर संयोजन तैयार करने के लिए इंग्लैंड के खिलाफ तीसरा वनडे महत्वपूर्ण होगा.
कोहली ने कहा कि, 'हम यह सोच रहे थे कि अगर हम अच्छी शुरुआत करते तो हमारा स्कोर और क्या होता? भारत के दो शानदार बल्लेबाज खड़े थे और उन्होंने बेहतरीन पारी खेली. 25 रन पर तीन विकेट से 381 तक का स्कोर अद्भुत है. हमें पता था कि किसी न किसी समय हम विकेट हासिल कर लेंगे, लेकिन यहां गेंदबाजी करना बेहद कठिन काम था.
इस मैच में यूं तो महेंद्र सिंह धोनी की खूब चर्चा हो रही है, लेकिन युवराज सिंह की इस दमदार पारी के मायने ही कुछ अलग हैं. यह ऐसे क्रिकेटर की कहानी है जिन्होंने 2011 वर्ल्ड कप में अपने 'भगवान' (सचिन तेंदुलकर) का सपना पूरा करने में जी-जान लगा दिया और 'मैन ऑफ द टूर्नामेंट' भी बनें.
खुद को किया साबित
टीम इंडिया से बाहुर हुए तो पांच रणजी मैचों में 672 रन ठोक डाले. इस बीच हेजल कीच से सात फेरे लिए तो टीम इंडिया में आने का दरवाजा भी खुल गया.
वापसी के बाद दूसरे ही मैच में जब टीम इंडिया 25 रन पर तीन विकेट खोकर संघर्ष कर रही थी तो धमाकेदार पारी खेल एक बार खुद को साबित कर दिया. युवराज ने 150 रनों की पारी में 127 गेंदों का सामना किया. इस पारी में युवराज ने 21 चौके और तीन छक्के जड़े.
युवी की इस पारी की बदौलत भारत ने 50 ओवर में छह विकेट खोकर 381 रन बनाए. साथ ही युवराज ने साबित कर दिया कि जून में होने वाली आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में टीम इंडिया की तैयारी पूरे शबाब पर है.
युवी पर कोहली का भरोसा
वैसे टी-20 टीम में वापसी के बाद युवराज को खास मौके नहीं मिले. एशिया कप और टी-20 वर्ल्ड कप में मिले मौके वैसे नहीं थे, जिसमें युवराज खुद को साबित कर सके.
इसी बीच विराट कोहली को जब वनडे और टी-20 टीम की कप्तानी मिली तो उन्होंने चयनकर्ताओं से साफ-साफ कहा, 'हमलोग मिडिल ऑर्डर में अकेले महेंद्र सिंह धोनी पर बोझ नहीं डाल सकते हैं.' मतलब साफ था कि हमें युवराज सिंह चाहिए.
यही वजह रही कि एक बार टीम इंडिया में युवराज सिंह ने कमबैक किया और फिर आगे की कहानी सबको पता है. पिछले छह साल में युवराज का यह पहला शतक है. 2011 के वर्ल्ड कप में युवराज ने वेस्ट इंडीज के खिलाफ 113 रनों की पारी खेली थी.
ये रिकॉर्ड भी युवी के नाम
इसी मैच में महेंद्र सिंह धोनी एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 200 छक्के जड़ने वाले दुनिया के पांचवें बल्लेबाज बने, जबकि युवराज सिंह ने इंग्लैंड के खिलाफ सर्वाधिक रन बनाने का सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड अपने नाम किया.
धोनी ने 134 रन की पारी खेली और इस दौरान छह छक्के लगाए. अपना 285वां मैच खेल रहे धोनी के नाम पर अब 203 छक्के दर्ज हो गए हैं. वह यह उपलब्धि हासिल करने वाले पहले भारतीय और दुनिया के पांचवें बल्लेबाज हैं.
करियर का सर्वोच्च स्कोर
युवराज ने 150 रन बनाए जो उनके करियर का सर्वोच्च स्कोर है. वह इंग्लैंड के खिलाफ 150 रन की संख्या तक पहुंचने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज हैं. अपनी इस पारी के दौरान युवराज ने इंग्लैंड के खिलाफ वनडे में अपने कुल रनों की संख्या 1478 रन पर पहुंचाई, जो नया रिकॉर्ड है.
युवराज ने तेंदुलकर (1455 रन) के रिकॉर्ड को तोड़ा. इनके बाद धोनी (1400 रन) का नंबर आता है. युवराज ने इंग्लैंड के खिलाफ चौथा शतक लगाकर विराट कोहली के तीन शतकों के रिकॉर्ड को भी तोड़ा.