हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने वालों में यह धारणा होती है कि एक बार पॉलिसी लेने के बाद वे अपनी सभी स्वास्थय से जुड़ी समस्याओं का सामना कर लेंगे. पर ऐसा नहीं होता. भविष्य में अगर परिवार के किसी सदस्य को गंभीर बिमारी(क्रिटिकल इलनेस) हो जाए, तो वहां आपकी हेल्थ पॉलिसी ज्यादा काम नहीं आएगी. आज के भागती-दौड़ती जिन्दगी और अजीबोगरीब जीवनशैली के फलस्वरूप कब, किसको क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता. ऐसे में एक सामान्य मेडिक्लेम पॉलिसी और क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी के बीच का अंतर समझना जरूरी है.

क्या है क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी?

क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी गंभीर बीमारियों के लिए बीमा सुरक्षा मुहैया कराता है. यह बीमा कवर सिर्फ गंभीर और जानलेवा बीमारियों के लिए ही होता है. इन्हें आम हेल्थ बीमाकर्ताओं पर ध्यान दिए बिना अतिरिक्त/स्टैंडअलोन कवर के रूप में खरीदा जा सकता है. यह अस्पताल में भर्ती होने से पूर्व और पश्चात, बीमारी में स्वास्थ्य लाभ उपलब्ध कराते हैं और इसमें बीमा कंपनी के आधार पर अंग प्रत्यारोपण(ऑर्गन ट्रांसप्लैंट) के दौरान होने वाले खर्च भी शामिल होते हैं.

बीमा कंपनी का चयन

अलग-अलग बीमा कंपनियां अलग-अलग बीमा कवर करती हैं. इसलिए आप ऐसी बीमा कंपनी का चयन करें जो अधिक से अधिक बीमारियां कवर करती हो. डॉक्युमेंट ध्यान से पढ़ें और उसके बाद ही बीमा कंपनी का चयन करें.

फ्लोटर पॉलिसी है बेहतर विकल्प

यह पॉलिसी पूरे परिवार के लिए होती है. इसलिए ध्यान से इसी पॉलिसी का चयन करें. इसके तहत पॉलिसी लेने वाला व्यक्ति अपनी, अपने जीवनसाथी और दो बच्चों की क्रिटिकल बीमारियों का कवर ले सकते हैं.

पॉलिसी की अवधि

जीवन बीमा कंपनियां व साधारण बीमा कंपनिया, दोनों के क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी बाजार में मौजूद हैं. जीवन बीमा कंपनियों की योजनाओं की अवधि 10-20 साल होती है और सामान्य बीमा कंपनियां 1-5 साल की अवधि के लिए क्रिटिकल इलनेस हेल्थ प्लान उपलब्ध कराती है.

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