नए साल में सरकार आम लोगों के लिए सौगात लेकर आई है. अब होटल, कैफे, बार या रेस्त्रां में खाने के बिल पर सर्विस चार्ज देना अनिवार्य नहीं होगा. कई बड़े होटल और रेस्त्रां 5 से लेकर 20 फीसदी तक सर्विस चार्ज वसूलते हैं. सर्विस चार्ज वैसे तो ग्राहक की इच्छा पर निर्भर करता है लेकिन ज्यादातर होटल और रेस्त्रां संचालक कुल बिल का 10 से 20 फीसदी तक सर्विस चार्ज के तौर पर लेते हैं. इसे आप टिप भी मान सकते हैं.
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि कोई भी कंपनी, होटल या रेस्त्रां ग्राहकों से जबर्दस्ती सर्विस चार्ज नहीं वसूल सकती. कन्ज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री ने सभी राज्य सरकारों से कहा है कि वह कंपनियों, होटलों और रेस्त्रां को इस बारे में सचेत कर दें. गौरतलब है कि यह प्रावधान पहले से ही था. मंत्रालय को उपभोक्ता की मर्जी के बिना सर्विस टैक्स वसूले जाने की शिकायतें मिलीं तो उसने स्पष्टीकरण जारी किया.
क्या है वैट, सर्विस चार्ज?
वैट एक सेल्स टैक्स है, जिसे संबंधित राज्य सरकार लगाती है और यह सरकार के पास जमा होता है. चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा में खाने पर वैट की दर 12.5 फीसदी है. शराब पर वैट की दर अलग होती है. वैट खाने, शराब और सर्विस चार्ज मिलकार बनने वाले कुल बिल राशि पर वसूला जाता है.
सर्विस टैक्स क्या है?
केंद्र सरकार सर्विस टैक्स लगाती है. इसकी दर 15 फीसदी है. यह कुल अमाउंट के 40 फीसदी हिस्से पर लगाया जाता है. इसलिए सर्विस टैक्स की प्रभावी दर (40 फीसदी हिस्से पर 15 फीसदी) कुल अमाउंट पर 5.6 फीसदी होगी. फूड बिल और सर्विस चार्ज को मिलाकर कुल एमाउंट पर सर्विस टैक्स लगता है.
जीएसटी से क्या होगा बदलाव
जीएसटी लागू होने के बाद एक्साइज ड्यूटी के साथ ही सर्विस और वैल्यू एडेड टैक्स की व्यवस्था खत्म हो जाएगी. फिलहाल माना जा रहा है कि सरकार जीएसटी की दर 18 फीसदी के आसपास तय कर सकती है. मौजूदा समय में देखा जाए तो हम 15 फीसदी सर्विस टैक्स के अलावा राज्य सरकार को वैट का भी भुगतान करते हैं. जीएसटी लागू होने के बाद 18 फीसदी जीएसटी के भीतर ये दोनों समाहित हो जाएंगे. ऐसे में आपका होटल बिल भी कम हो सकता है.