2008 की सफलतम फिल्म ‘‘रॉक ऑन’ के सिक्वअल ‘‘रॉक ऑन 2’’ से काफी उम्मीदे थी. फरहान अख्तर ने इस फिल्म के निर्देशन की जिम्मेदारी एक प्रतिभाशाली निर्देशक शुजात सौदागर को सौंपी. उन्होंने 2005 में साठ मिनट की एक लघु फिल्म “बाली’’ का निर्देशन कर सर्वश्रेष्ठ फिल्म का ‘आईटीए’ अवार्ड भी जीता था. मगर कमजोर कहानी व पटकथा के चलते फिल्म का बंटाधार हो गया.

फिल्म ‘‘रॉक ऑन 2’’ की कहानी पिछली आठ वर्ष पहले आयी फिल्म ‘रॉक ऑन’ से आगे बढ़ती है. इस बीच पांच वर्ष पहले मशहूर संगीतज्ञ पं.विभूति (कुमुद मिश्रा) के बेटे राहुल शर्मा की आत्महत्या का बोझ लेकर आदित्य श्राफ (फरहान अख्तर) मुंबई छोड़कर शिलांग के एक गांव में जाकर बस गया है. उसकी पत्नी साक्षी (प्राची देसाई) व बेटा मुंबई में ही रह रहे हैं. शिलांग के गांव में आदित्य गांव के किसानों के साथ मिलकर कोआपारेटिव मूममेंट के अलावा पंचायत स्कूल से जुड़ चुका है. पर उसे हर दिन यह बात सताती रहती है कि उसकी वजह से गायक राहुल शर्मा ने आत्महत्या की थी. वास्तव में आदित्य का बैंड मैजिक लोकप्रिय था, तो राहुल ने आदित्य को अपने गानों की सीडी दी थी. कई बार याद दिलाने के बावजूद आदित्य ने वह सीडी नहीं देखी. और जब एक म्यूजिकल कंसर्ट में आदित्य ने ‘जागो’ गीत गाया, तो इस गीत के संगीत की आलोचना करने के साथ साथ आदित्य से राहुल ने बहस की थी. अंत में राहुल यह कह कर चला गया था कि कल से वह उसकी आवाज नहीं सुनेंगे और फिर उसी रात राहुल ने आत्महत्या कर ली थी.

मैजिक बैंड से जुड़े जोसेफ उर्फ जो मास्र्कंहस (अर्जुन रामपाल) अब टीवी के रियालिटी शो के जज के अलावा अपना एक पब चला रहे हैं. जबकि केदार झावेरी उर्फ के डी (पूरब कोहली) अभी भी संगीत से जुड़ा हुआ है. यह तीनों अलग होते हुए भी दोस्त हैं. आदित्य के जन्मदिन पर सभी उससे मिलने शिलांग जाते हैं. तथा आदित्य के मन में संगीत को जगाने का प्रयास कर वापस आ जाते हैं.

उधर किसानों की वेलफेअर बोर्ड के अध्यक्ष महेंद्र से आदित्य की अनबन हो जाती है. एक दिन पूरे गांव में आग लग जाती है. सब कुछ खत्म हो जाता है. वह आत्महत्या करने जाता है, तो चेरापूंजी में उसकी मुलाकात उभरती म्यूजीशियन व गायिका जिया शर्मा (श्रद्धा कपूर) से होती है. जो कि पं.विभूति की बेटी और राहुल शर्मा की बहन है. अब केडी, आदित्य को लेकर मुंबई आ जाता है. उधर जिया के साथ एक सरोद वादक उदय (शशांक अरोड़ा) जुड़ चुका है. उदय के प्रयासों से ही के डी, जिया व उदय का गाना सुनने के लिए अपने स्टूडियो में बुलाता है. तभी जिया की पहचान सामने आती है. अपने पिता के नाराज हो जाने के डर से जिया स्टेज पर नही गाती है. पं.विभूति शर्मा ठहरे शास्त्रीय संगीतकार, तो उन्हे राक कल्चर समझ में नहीं आता. वह फ्यूजन संगीत के खिलाफ हैं.

पर इसी बीच आदित्य को पता चलता है कि शिलांग के गांव में जो आग लगी थी, उसकी वजह से वहां के लोग भूखे मर रहे हैं. तो वह उनकी मदद के लिए वहां जाता है. इससे नाराज होकर आदित्य की पत्नी साक्षी उससे अलग हो जाती है. फिर आदित्य, केडी, जो, उदय, जिया मिलकर उसी गांव में एक बड़ा म्यूजिकल कंसर्ट कर पैसा जमाकर गांव वालों की मदद करना चाहते हैं. सारी तैयारी हो जाती है. महेंद्र इस कंसर्ट को रोकने का असफल प्रयास करता है. फिर गांव वालों की जिंदगी पुरानी पटरी पर आ जाती है. अब अब आदित्य व जिया मिलकर संगीत तैयार करने लगे हैं. आदित्य का बेटा भी संगीत में रूचि लेने लगा है.

फरहान अख्तर और फिल्म के निर्देशक शुजात सौदागर ने हमसे बातचीत करते हुए दावा किया था कि यह पूरी तरह से संगीत प्रधान फिल्म है. पर फिल्म देखकर यह दावे खोखले साबित होते हैं. फरहान ने दावा किया था कि इस फिल्म में बदली हुई सामाजिक या राजनीतिक स्थितियों का जिक्र नहीं है. मगर किसानों का मसला, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को बहुत ही शुष्क तरीके से पिरोकर फिल्म का बंटाधार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

फिल्म देखते समय यदि दर्शकों को साक्षी व आदित्य के रिश्ते का टूटना देखकर फरहान अख्तर की निजी जिंदगी की कहानी याद आ जाए, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए. वैसे इस फिल्म में यदि प्राची देसाई का किरदार न होता, तो भी कोई फर्क न पड़ता. वैसे भी प्राची देसाई के हिस्से करने को कुछ है ही नहीं. पर प्राची ने इस फिल्म में अभिनय किया, यह भी कम आश्चर्य की बात नहीं है.

इंटरवल से पहले फिल्म बहुत धीमी गति से आगे बढ़ती है. और कहानी इस तरह से आगे बढ़ती है कि दर्शक बुरी तरह से बोरीयत के चलते झल्ला उठता है. इंटरवल के बाद कहानी का ऐसा घालमेल है, कि दर्शक पूछ बैठता है कि संगीत कहां गया? बाप-बेटी, भाई-बहन और दोस्ती इन सभी रिश्तों को कहानी के एक सूत्र में बांधने में कहानीकार व पटकथा लेखक पूरी तरह से असफल है. कथानक के स्तर पर जबरदस्त विरोधाभास है. रिश्तों व दोस्ती की बात करने वाली फिल्म ‘रॉक ऑन’ में आदित्य को अपने वैवाहिक रिश्ते, अपनी पत्नी साक्षी से रिश्ते की बजाय बल्कि जिया के करियर की चिंता ज्यादा सताती है. फिल्म के कुछ भावुक दृश्य अच्छे बन पड़े हैं, कुछ संवाद भी अच्छे हैं, मगर इससे फिल्म नहीं संभलती है. पुरानी फिल्म ‘‘रॉक ऑन’’ के मुकाबले कहानी के स्तर पर उसका सिक्वल ‘‘रॉक ऑन 2’’ कहीं नहीं ठहरता. संगीत का स्तर पहली फिल्म के मुकाबले काफी कमजोर है.

जहां तक अभिनय का सवाल है तो शशांक अरोड़ा ने काफी अच्छी परफॅामेंस दी है. अर्जुन रामपाल या पूरब कोहली बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं करते हैं. श्रद्धा कपूर का अभिनय देखकर लगता है कि अब वह अभिनय की बजाय सिर्फ संगीत व गायन में करियर बनाना चाहती हैं.

फिल्म में मेघालय व शिलांग की लोकेशन जरुर लोगों को पसंद आएगी. फरहान अख्तर व रितेशसिद्धवानी निर्मित दो घंटे बीस मिनट की अवधि वाली फिल्म के निर्देशक शुजात सौदागर, संगीतकारशंकर एहसान लाय हैं.

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