हिमालयी राज्य उत्तराखंड इन दिनों चर्चा में बना हुआ है. कारण है इस राज्य में हो रहा रिवर्स माइग्रेशन. पहले यह राज्य माइग्रेशन के चलते काफी संकट की स्थिति से गुजर रहा था. लाखों लोग इस खूबसूरत हिमालयी श्रंखला से मजबूरन टूट कर शहरों की तरफ भाग रहे थे. अब कोरोना के चलते काफी लोग वापस अपने गृहराज्य जाने की इच्छा सरकार द्वारा किये जा रहे पंजीकरण से जता चुके हैं.

उत्तराखंड सरकार की तरफ से 12 मई मंगलवार को प्रेस वार्ता में बताया गया कि भिन्न राज्यों से 1,98,584 प्रवासी लोग अपने गृहराज्य वापस आने के लिए पंजीकरण करवा चुके हैं. जिसमें से अब तक सबसे अधिक हरियाणा से 13,799, उत्तरप्रदेश से 11,957 इसी प्रकार दिल्ली से 9,452, चंडीगढ़ से 7,163, राजस्थान से 2,981, पंजाब से 2,438 और गुजरात से 1060 तथा अन्य राज्य से लगभग 1000 लोगों को लाया भी जा चुका है. हांलाकि यह संख्या अभी और भी बढ़ सकता है. वहीँ एक जिले से दूसरे जिले (यानि अंतर राज्यीय माइग्रेशन) जाने वाले लोगों की संख्या 52,621 है.

उत्तराखंड के परिवहन सचिव ने प्रेस वार्ता में वापस गृहराज्य आने वाले प्रवासियों को लेकर आकड़े सामने रखे. जिसमें उन्होंने बताया कि उत्तराखंड सरकार द्वारा अभी तक यानी सोमवार तक कुल 51,394 प्रवासी लोगों को वापस गृहराज्य लाए जा चुका हैं.

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इस बीच कई ट्रेनें अलग अलग राज्यों से प्रवासी लोगों को लेकर निकल चुकी है. तथा कई राज्यों से लाने की प्रक्रिया जारी है. जिसमें सभी की थर्मल स्क्रीनिंग करवा कर जांच की गई है. जिसके बाद उन्हें अपने गांव के लिए रवाना किया गया. इससे यह तो समझ आ रहा है कि कोरोना काल में प्रवासियों की बड़ी संख्या में रिवेर्स माइग्रेशन देखने को मिल रही है लेकिन क्या उत्तराखंड सरकार बढ़ते पलायन संकट के खिलाफ इस मोके का फायदा उठा पाएगी?

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