आंध्र प्रदेश के तटीय शहर विशाखापत्तनम में एक औद्योगिक इकाई से निकली जहरीली गैस ने जिस तरह तबाही मचाई है उसने एक बार फिर भोपाल गैस काण्ड की याद ताज़ा कर दी है. ये साबित हो गया है कि इंसान की जान की कोई कीमत नही है, इंडिया में यह सबसे सस्ती है. सुबह-सुबह जब लोग अभी नींद से पूरी तरह जाग भी नहीं पाए थे कि विशाखापत्तनम में एक फैक्ट्री से जहरीली गैस लीक होने से पूरे क्षेत्र में भगदड़ मच गई। लोग जान बचाने के लिए मुँह पर कपड़ा ढंके सुरक्षित जगहों की ओर भागने लगे. कई तो रास्ते में ही बेहोश हो-हो कर गिरने लगे तो कइयों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया. इस गैस हादसे में अब तक 9 लोगों की मौत की पुष्टि शासन ने की है जबकि 5000 से अधिक बीमार हैं जिन्हें सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन हो रही है. बीमार लोगों में बड़ी संख्या में बच्चे शामिल हैं. इन्हें प्राथमिकता के आधार पर अस्पताल में भर्ती कराया गया है. वहीं मरने वालों में भी एक 8 साल की बच्ची शामिल हैं.
गैस रिसाव के चलते प्लांट के 3 किमी के दायरे तक लोगों में दहशत फैली हुई है. कई लोग सड़क पर ही बेहोश पड़े हुए हैं जबकि कुछ लोग बेहोश हो कर पास स्थित नाले में गिर गए.

अचानक हुए इस हादसे से हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल है और पुलिस लोगों से घर से बाहर आने और सुरक्षित जगहों पर जाने की अपील कर रही है.विशाखापट्टनम जिला कलेक्टर वी विनय चंद का कहना है कि स्थिति काबू में है. प्रभावित लोगों ने आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ, जी मचलाना और शरीर पर लाल चकत्ते पड़ने की शिकायत की है. 200 से ज़्यादा गंभीर लोगों को अस्पतालों में भर्ती किया गया है. जिन्हें सांस लेने में तकलीफ है उन्हें ऑक्सिजन सपोर्ट दिया जा रहा है.

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गोपालपटनम सर्कल इंस्पेक्टर रमनया के मुताबिक़ घटना के बाद करीब 50 लोग सड़कों पर बेहोश पड़े मिले जिन्हे अस्पताल पहुंचाया गया है. गैस के कारण घटनास्थल पर तुरंत पहुंच पाना मुश्किल था, हममें से किसी के लिए भी वहां 5 मिनट या उससे कुछ मिनट ज्यादा समय तक टिकना संभव नहीं था. लेकिन पुलिस ने लोगों से घर से बाहर आने और सुरक्षित जगहों पर जाने की अपील की और लोगों को बाहर निकाला. इस दौरान गैस के प्रभाव में आने से कुछ बाइक सवार लोग भी नियंत्रण खो कर रास्ते में गिर पड़े जिसके चलते कुछ छोटे-मोट एक्सिडेंट भी हुए हैं.

मौके पर लोगों को बचाने के लिए नेशनल डिजास्टजर रेस्पॉन्स फोर्स यानी एनडीआरएफ की टीम लगी है. प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसको लेकर मीटिंग बुलाई है और वो खुद पूरे मामले पर नज़र रख रहे हैं.

एलजी पॉलिमर्स के प्लांट से लीक हुई गैस

यह गैस साउथ कोरियन कंपनी एलजी पॉलिमर्स के प्लांट से लीक हुई. इस प्लांट में पॉलिस्टीरीन बनाई जाती है यानी ऐसी प्लास्टिक जिसका खिलौनों और बाकी उपकरणों को बनाने में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है. प्लांट में स्टीरीन गैस का इस्तेमाल इसी प्लास्टिक को बनाने के लिए हो रहा था. यह प्लांट विशाखापत्तनम शहर के बाहरी हिस्से में स्थित है. जो केमिकल लीक हुआ है वह स्टीरीन है जिसे एथनीलबेन्जीन भी कहा जाता है.यह एक ऑर्गेनिक कंपाउंड है. यह एक सिन्थेटिक केमिकल है जो रंगहीन लिक्विड के रूप में दिखती है. हालांकि, काफी समय से इस गैस को रखा जाए तो यह हल्के पीले रंग की दिखती है.स्टीरीन बहुत ही ज्वलनशील होती है और जब यह जलती है तो बहुत ही जहरीली गैस रिलीज करती है.स्टीरीन का इस्तेमाल मुख्य तौर पर पॉलिस्टिरीन प्लास्टिक बनाने में किया जाता है.

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कितनी खतरनाक है यह गैस?

इस गैस की चपेट में आने से सेन्ट्रल नर्वस सिस्टम बुरी तरह खराब हो सकता है. सुनने की क्षमता भी खत्म हो सकती है और दिमागी संतुलन खत्म हो सकता है. बाहरी वातावरण में आने के बाद स्टीरीन ऑक्सिजन के साथ आसानी से मिक्स हो जाती है. नतीजतन हवा में कार्बन मोनो ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने लगती है. इसके संपर्क में आने के बाद लोगों के फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है और वे घुटन महसूस करने लगते हैं. यह गैस बाद में दिमाग और रीढ़ की हड्डी पर भी असर डालती है. इस वजह से गैस के संपर्क में आने वाले लोग सड़कों पर इधर-उधर गश खाकर गिर पड़े.स्टीरीन न्यूरो-टॉक्सिन गैस के संपर्क में आने के बाद सांस लेने में दिक्कत होती है. इससे 10 मिनट के भीतर प्रभावित व्यक्ति की मौत हो सकती है.

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