बौलीवुड और इससे जुड़े लोग निराले ही कहे जाएंगे. बौलीवुड के फिल्मकारों के आगे सारे व्यवसायी असफल ही कहे जाएंगे. जी हां! करण जोहर ने अपनी फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ को प्रदर्शित करने के एवज में ‘आर्मी वेलफेअर फंड’ में पांच करोड़ देने का वादा किया है, मगर करण जोहर अपनी जेब से यह धनराशि नहीं देने वाले हैं, बल्कि दर्शकों से पैसे वसूल करके ही देने वाले हैं.

यह एक कटु सत्य है. अब ऐश्वर्या राय बच्चन, रणबीर कपूर, अनुष्का शर्मा और पाकिस्तानी कलाकार फवाद खान के अभिनय से सजी करण जोहर की फिल्म ‘‘ऐ दिल है मुश्किल’’ को देखने के लिए एक दर्शक को 2200 रुपए देने पड़ सकते हैं. जी हां! करण जोहर ने अपनी फिल्म के लिए टिकट दर काफी बढ़ा दी है. हमें पता चला है कि मल्टीप्लैक्स में पीवीआर ने सबसे ज्यादा टिकट के दाम बढ़ाएं हैं. दिल्ली में पीवीआर प्लेटिनम सुपीरियर सीट के लिए एक दर्शक को 2200 रुपये देने पड़ रहे हैं. जबकि प्लेटिनम सीट के लिए 2000 रुपये देने पड़ रहे हैं.

इतना ही नहीं गुड़गांव का अम्बीएंस मल्टीप्लैक्स गोल्ड क्लास के लिए एक टिकट के सोलह सौ रुपये ले रहा है. मजेदार बात यह है कि मुंबई में 800 रुपये से ज्यादा की टिकट किसी भी मल्टीप्लैक्स में नहीं है. और वह भी मुंबई के कुर्ला इलाके के पीवीआर मल्टीप्लैक्स में ही 800 रुपये की टिकट है. अब इस तरह टिकट के दाम में बढ़ोतरी करके कितने दिन में कितने करोड़़ इकट्ठे होते हैं, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

पिछले एक दो वर्षो से यह रिवाज सा बन गया है कि जब भी कोई बड़ी फिल्म प्रदर्शित होती है, तो हर मल्टीप्लैक्स टिकट के दाम बढ़ा देता है, इसका हिस्सा निर्माता की झोली में भी जाता है. इसके बावजूद अतीत में कई बड़ी फिल्में अपनी लागत नहीं वसूल कर पायीं. जबकि सौ रूपए की टिकट के दाम के बावजूद मराठी भाषा की फिल्म ‘‘सैराट’’ ने सौ करोड़़ कमा लिए. इससे यह बात भी उभरकर आती है कि टिकट के दाम बढ़ाने से सिनेमाघर के अंदर जाने वाले दर्शकों की संख्या में कमी आती है और बढ़ी हुई टिकट दर के ही चलते दर्शक सिनेमाघर में फिल्म देखने की बजाय पायरेसी से मिली फिल्म या इंटरनेट पर या फिर डेढ़ माह का इंतजार कर टीवी पर फिल्म को देखना पसंद करता है. यदि इस पर बौलीवुड के फिल्मकार गौर करेंगे, तो पाएंगे कि उनके टिकट के दाम बढ़ाने का असली खामियाजा उन्हे ही भुगतना पड़ता है.

इस पर टिप्पणी करते हुए एक वेबसाइट से बात करते हुए फिल्म वितरक अक्षय राठी ने कहा है-‘‘इस तरह टिकट के दाम बढ़ाने के पीछे दर्शकों को दूध पिलाना मकसद नहीं होता. बल्कि फिल्म की पायरेसी हो, उससे पहले ज्यादा लाभ कमाने की मंशा होती है. पर कुछ दर्शकों के लिए एक टिकट के लिए नौ सौ रूपए के साथ ही पापकार्न और कोक का दाम चुकाना तथा घर से सिनेमा घर तक आने जाने का किराया खर्च करना बहुत महंगा सौदा होता है. पर कहते हैं कि जिन्हे फिल्म देखना है, वह तो देखेंगे ही.’’

अब इस तरह बड़ी फिल्म के नाम पर सिनेमा घरों में टिकट के दाम बढ़ाना कितना जायज है,इस पर बहस तो होनी ही चाहिए. ज्ञातब्य है कि कुछ दिन पहले तक ‘‘महाराष्ट् नवनिर्माण सेना’’, करण जोहर की फिल्म ‘‘ऐ दिल है मुश्किल’’ को प्रदर्शित होने न देने का ऐलान किया था. पर फिल्म के प्रदर्शन से एक सप्ताह पहले एक समझौते के तहत करण जोहर ने फिल्म के प्रदर्शन के एवज में ‘आर्मी वेलफेअर फंड’ में पांच करोड़ रूपए देने का वादा किया था.

उधर ‘एमएनएस’ ने जिस तरह फिल्म के निर्माता को ‘आर्मी वेलफेअर फंड’ में पांच करोड़ देने के लिए बाध्य किया है, उसका भारतीय सेना के पूर्व सैनिकों के साथ साथ रेणुका शहाणे, शबाना आजमी, अजय देवगन सहित कुछ कलाकारों ने जोरदार तरीके से विरोध किया है.

उधर सीमा पार से भी भारतीय सेना के निर्णय की तारीफ की जा रही है. जी हां! एक अखबार के मुताबिक पाकिस्तानी सिनेमाघर मालिकों ने भारतीय सेना के इस निर्णय की तारीफ की है, किसी से भी जबरन ‘आर्मी वेलफेअर फंड’ में पैसे देने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए.’’ 

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