बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिह यादव और बहुजन समाजवादी पार्टी की मुखिया मायावती को मुफ्त में सियासी सलाह दी है. इतना ही नहीं मुलायम को चेताया भी है कि अगर उनकी सलाह पर अमल नहीं किया तो उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी की फजीहत हो सकती है. लगे हाथ यही नसीहत उन्होंने मायावती ओर सोनिया गांधी को भी दे डाली है.

मुलायम पर निशाना साध कर नीतीश ने एक तीर से 2 शिकार कर डाले हैं. महागठबंधन को ठुकराने के बाद ऐन चुनाव के मौके पर अपने ही परिवार की लड़ाई में उलझे मुलायम को बता दिया कि उनसे हाथ नहीं मिला कर मुलायम ने कितनी बड़ी गलती की थी. इसके साथ ही बिहार में महागठबंधन के अपने साथी मुलायम के समधी लालू यादव को भी तिलमिला दिया है. लालू बार-बार कहते रहे हैं कि वह उत्तर प्रदेश के चुनाव में तटस्थ रहेंगे और अपने समधी के लिए किसी तरह की चुनौती और परेशानी खड़ी नहीं करेंगे. इसके बाद भी नीतीश बार-बार मुलायम को महागठबंधन बनाने की सलाह देते रहते हैं.

बिहार के राजगीर में जदयू की राष्ट्रीय परिषद की 2 दिनी बैठक में नीतीश और उनके सिपाहसलारों ने जदयू को मुख्यधरा की राष्ट्रीय पार्टी बनाने की पुरजोर वकालत की और भाजपा पर जम कर निशाना साधा. इसके साथ ही गैर भाजपाई दलों को आगाह किया कि अगर वे एक बैनर के तले नहीं आएंगे, तो भाजपा की जीत आसान होती रहेगी. उन्होंने मुलायम, मायावती और कांग्रेस को नसीहत दी कि उत्तर प्रदेश चुनाव में भी     महागठबंधन का बिहार मौडल अपनाएं, वरना गैर भाजपाई दलों की हालत खास्ता हो जाएगी.

पिछले साल हुए बिहार विधान सभा के चुनाव में लालू और नीतीश के गठजोड़ ने साबित कर दिया है कि उनके पास मजबूत वोट बैंक है. 243 सदस्यों वाले बिहार विधान सभा में 178 सीटों पर महागठबंधन का कब्जा है. इसमें जदयू की झोली में 71, राजद के खाते में 80 और कांग्रेस के हाथ में 27 सीटें हैं. नीतीश की पार्टी जदयू को 16.8, राजद को 18.4 और कांग्रेस को 6.7 फीसदी वोट मिले जो कुल 41.9 फीसदी हो जाता है. ऐसे में महागठबंधन को फिलहाल किसी दल या गठबंधन से चुनौती मिलना दूर की कौड़ी ही लग रही है. इस दमदार आंकड़ें एवं अपने दोनों बेटों को विधायक और मंत्री बना कर लालू ने एक बार फिर से बिहार की राजनीति में अपने पांव मजबूती से जमा लिए हैं.

नीतीश ने मुलायम सिह यादव पर कटाक्ष करते हुए कहा कि बिहार विधान सभा चुनाव से पहले जनता दल परिवार ने उन्हें अपने गठबंधन का नेता चुना था और उन्हें नई पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह रखने को कहा गया था, पर उन्होंने उसे ठुकरा दिया था. बिहार विधान सभा चुनाव में उन्होंने महागठबंधन के खिलाफ प्रचार किया. नीतीश ने इशारों-इशारों में जता दिया कि जनता दल परिवार का मुखिया बनना मुलायम को गंवारा नहीं हुआ और आज वह अपने परिवार के भीतर ही कलह झेल रहे हैं और कोई उनकी बात नहीं सुन रहा है. विधान सभा चुनाव सिर पर हैं और भाजपा से दो-दो हाथ करने के बजाए वह अपने ही परिवार में ही लड़ाई लड़ रहे हैं. अब भी समय है और वह चेत जाएं और महागठबंधन के बिहार मौडल को अपना लें.

बैठक में बार-बार इस बात पर जोर दिया गया कि उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में सपा, बसपा और कांग्रेस के हाथ मिलाए बगैर भाजपा को रोकना मुश्किल है. इसके साथ ही जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के कुल 171 सदस्यों ने अगले लोक सभा चुनाव में नीतीश को प्रधनमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करने के मामले में सुर में सुर मिलाया. जदयू सांसद केसी त्यागी ने कहा कि समूचे देश में प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सबसे दमदार और भरोसेमद चेहरा नीतीश कुमार का ही है.

दिल्ली, उत्तर प्रदेश, केरल और झारखंड समेत 20 राज्यों से पहुंचे मित्रा दलों के नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि नीतीश कुमार को अब दूसरे राज्यों में भी समय देना चाहिए, क्योंकि वही नरेंद्र मोदी के सबसे बेहतरीन विकल्प हैं.      

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