‘जी’ एक सम्मानजनक संबोधन है, जिसे अकसर किसी के नाम के पीछे लगा कर हम उस के प्रति अपना आदर व्यक्त करते हैं, पर यह जरूरी नहीं कि हम हमेशा अपने से बड़ों के नाम के साथ जी लगाएं. जी शब्द आदर के साथसाथ प्रेम व मैत्री को भी बढ़ावा देता है. जी में अपनत्व का भाव छिपा है. लेकिन अपनत्व भरा यह संबोधन आज के किशोरों की जबान पर आसानी से नहीं आता.
अकसर हम अपने सहकर्मियों, दोस्तों को हमउम्र होने के नाते नाम से पुकारते हैं और ऐसा करना गलत भी नहीं है, पर जरा फर्ज करें अगर हम उन के नाम के साथ जी लगा दें तो यह सुनने और बोलने वाले दोनों को और करीब ला देगा. उन के बीच दोस्ती की डोर और मजबूत हो जाएगी.
आजकल फर्स्ट नेम से पुकारने का चयन तेजी से बढ़ रहा है. आईटी या अनेक बड़ी कंपनियों के मालिक तक को कर्मचारी नाम से संबोधित करते हैं. मालिकों को इस से एतराज नहीं होता. उन का मानना है कि इस से आत्मीयता बढ़ती है, लेकिन समाज में इस ट्रैंड को अच्छा नहीं समझा जाता.
किसी के नाम के साथ जी लगाने की ताकत दो दुश्मनों को भी प्रेम व सम्मान के धागे में बांध देती है. एक बार इस शब्द का इस्तेमाल कर के देखिए, दोस्तों पर अपनेपन का जादू चल जाएगा.
दीपा और रोहित के बीच भी इसी जी ने मैजिक का काम किया. उन दोनों के बीच कई दिनों से किसी बात को ले कर नाराजगी चल रही थी जो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी फिर एक दिन दीपा ने रोहित को जी लगा मैसेज भेजा जिस से वह अपने गुस्से को खत्म करने पर मजबूर हो गया.
अब जमाना काफी ऐडवांस हो चुका है. रहने, खानेपीने के साथसाथ बोलचाल की भाषा में भी काफी बदलाव हुआ है. अब युवापीढ़ी शौर्टकट या एब्रीविएशंस पर ज्यादा डिपैंड हो गई है. मम्मी की जगह मौम या मम्मा आदि ने ले ली है, तो पापा को पौप या डैडू आदि मौडर्न संबोधनों से रिप्लेस कर दिया गया है. घर में बोले जाने वाले इन्हीं संबोधनों के साथ अगर जी जोड़ दिया जाए तो सामने वाले का सम्मान बढ़ जाता है, हो सकता है इस से सुनने वाला आप से कहीं बढ़ कर आप को सम्मान दे.
अपने यारदोस्तों के नाम के साथ भी जी लगाने में आप ही का फायदा है. इस से आप के रिश्ते मजबूत होंगे और लोग आप को मैच्योर और सुसंस्कृत समझेंगे.
जरूरी नहीं कि नाम के साथ ही जी जोड़ा जाए. घर में या बाहर किसी के बुलाए जाने पर भी आप जी हां या हां जी कह कर जवाब दें, इस से आप को खुद को भी अच्छा लगेगा.
दिल्ली के जीटीबी नगर में रहने वाली प्रेरणा चौहान जो 10वीं में पढ़ती है, जी फैक्टर के बारे में अपना अनुभव बताते हुए कहती है, ‘‘घर में मेरी इमेज एक पैंपर्ड और रूड चाइल्ड की थी. एक वक्त था जब मैं बड़ों को भी उन के नाम से ही बुलाती थी. चाचा, पापा या भाई को उन के नाम से बुलाती थी. धीरेधीरे मेरी इमेज बिगड़े हुए बच्चे वाली बन गई. किसी के पुकारे जाने पर भी मैं बहुत रूडली जवाब देती. दोस्तों के बीच मैं बदमिजाज और नकचढ़ी के नाम से जानी जाने लगी.
‘‘एक दिन मेरी एक दूर की दीदी ने मुझे समझाया. मुझे सलीके से बात करने को कहा व कुछ टिप्स दिए. उन की बातों का मुझ पर जादू सा असर हुआ. उस दिन के बाद मैं घर में सब को जी लगा कर संबोधित करने लगी.
’’मेरे भीतर आए इस बदलाव से सब हैरान थे और खुश भी. अब यह वक्त है कि सोसायटी या फैमिली गैदरिंग में मेरे बिहेवियर का उदाहरण दिया जाता है. ‘जी’ फैक्टर ने मेरी वैल्यू बढ़ा दी है. मैं सभी से यही कहूंगी कि एक बार इस फीलगुड फैक्टर को आजमा कर देखिए, मैजिकल इफैक्ट होगा. खूब प्रशंसा मिलेगी और दोस्तों में रौक भी करेंगे.’’
लिहाजा, जी लगाने से न तो आप छोटे हो जाएंगे और न सम्मानित व्यक्ति बड़ा बल्कि इस का आप को फायदा होगा. आप का भी सम्मान बढ़ेगा. लोग आप को भी जी लगा कर संबोधित करेंगे. तो कीजिए आज से ही एक नई पहल, शुरू कीजिए नया ट्रैंड और देखिए आजमा कर जी फैक्टर के जादू को.
‘जी’ लगाने के फायदे
– इस से आप की अच्छी इमेज बनेगी.
– आप अपने फ्रैंड सर्कल, सीनियर्स की गुड बुक में शामिल हो जाएंगे. इस से स्वत: ही लोगों में आप के प्रति एक अच्छी इमेज डैवलप होगी.
– ऐसे संबोधन से आप की टीचर्स और पेरैंट्स के बीच इमेज तो बनेगी ही साथ ही, सोशल गैदरिंग में भी आप का उदाहरण दिया जाएगा.
– आप के प्रति लोगों के व्यवहार और नजरिए में बड़ा फर्क