अब बिहार सरकार खुद भी मछली बेचने के लिए कमर कस चुकी है. राज्य में सरकारी थोक मछली बाजार बनाए जा रहे हैं, जहां सरकार अपने लेवल पर ताजा मछलियां बेचेगी.बिहार में मछली की सालाना खपत 5 लाख, 80 हजार टन है, जबकि उत्पादन 4 लाख, 30 हजार टन ही हो पाता है. 1 लाख, 50 हजार टन की कमी को पूरा करने के चक्कर में बिहार के तकरीबन 350 करोड़ रुपए आंध्र प्रदेश की झोली मेचल ते जाते हैं. राज्य में मछली की पैदावार बढ़ाने और खुद बाजार में उतरने के लिए राज्य सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है. मछली के बड़े बाजार का पूरापूरा फायदा उठाने के मामले में सरकार कोई कोरकसर नहीं छोड़ना चाहती है.

पहले फेज में राज्य के मुजफ्फरपुर, दरभंगा, समस्तीपुर, मधुबनी, पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण में थोक मछली बाजार की शुरुआत की जानी है. इन बाजारों में नदियों, तालाबों और सरकारी जलकरों की ताजा मछलियां बिकेंगी. इन जिलों में थोक मछली बाजार को कामयाबी मिलने के बाद बाकी जिलों में भी इसे शुरू किया जाएगा. पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री अवधेश कुमार सिंह बताते हैं कि थोक मछली बाजारों में मछलियों को वैज्ञानिक तरीके से रखा जाएगा, ताकि वे ज्यादा समय तक जीवित रहें. मछली बाजार में शीत भंडार, मछली बेचने के लिए यार्ड और वैज्ञानिक रखरखाव वगैरह पर ढाई करोड़ रुपए खर्च होंगे. मछली बाजार को बनाने का काम बिहार सरकार और नेशनल फिश डेवलपमेंट बोर्ड मिल कर करेंगे. इस में 40 फीसदी रकम राज्य सरकार द्वारा और 60 फीसदी रकम बोर्ड द्वारा दी जाएगी. राज्य में फिलहाल सरकारी लेवल पर मछली बेचने का कोई इंतजाम नहीं है.

इस के साथ ही बिहार के मछली उत्पादकों को ज्यादा फायदा दिलाने के लिए हर जिले में मछली के होलसेल बाजार बनाने की कवायद शुरू की गई है. नेशनल फिश डेवलपमेंट बोर्ड ने पहले चरण में मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, मधुबनी, समस्तीपुर, खगडि़या, भोजपुर, नालंदा, गया, सारण और दरभंगा जिलों में थोक बाजार बनाने की मंजूरी दे दी है. कृषि विभाग की बाजार समिति की जमीनों पर इन बाजारों को बनाया जाएगा. 1 बाजार 3 एकड़ जमीन पर बनेगा और उसे बनाने में 2 करोड़, 50 लाख रुपए खर्च होंगे. इस में से 60 फीसदी रकम केंद्र सरकार और 40 फीसदी रकम राज्य सरकार खर्च करेगी. बाजार के अंदर सेंट्रलाइज नीलामी हाल भी बनाया जाएगा.

बिहार समेत दूसरे राज्यों के मछली व्यापारी बाजार में पहुंचेंगे. थोक बाजार के कैंपस में लोकल मछली व्यापारियों को भी कारोबार की सुविधा दी जाएगी. गौरतलब है कि फिलहाल बिहार में एक भी व्यवस्थित मछली का थोक बाजार नहीं है, जिस से मछली उत्पादकों को ताजा मछलियां औनेपौने दामों पर बेचनी पड़ती हैं. बिहार सरकार मछलियों को विदेशों में भी बेचेगी. राज्य में मछली का उत्पादन भले ही कम हो और उस कमी को पूरा करने के लिए बिहार दूसरे राज्यों से मछली खरीदने को मजबूर हो, पर बिहार की मछलियों की मांग विदेशों में काफी बढ़ रही है. पूर्वी और पश्चिमी चंपारण से कतला और रोहू मछलियां नेपाल भेजी जा रही हैं, जबकि दरभंगा में पैदा होने वाली बुआरी और टेंगरा मछलियां भूटान में खूब पसंद की जा रही हैं. वहीं भागलपुर और खगडि़या जिलों में पैदा की जाने वाली मोए और कतला मछलियां अपने ही देश में सिलीगुड़ी भेजी जा रही हैं. मुजफ्फरपुर और बख्तियारपुर से बड़ी तादाद में मछलियां चंडीगढ़ और पंजाब के व्यापारियों द्वारा मंगवाई जा रही हैं. बिहार की मछलियों के लाजवाब स्वाद की वजह से दूसरे राज्यों और देशों के लोग इन के दीवाने बन रहे हैं. इस से जहां बिहार की मछलियों की दुनिया भर में डिमांड बढ़ रही है, वहीं उत्पादकों को दोगुना मुनाफा मिल रहा है. इसी वजह से मछली उत्पादक मछलियों को दूसरे देशों और राज्यों में भेजने में दिलचस्पी ले रहे हैं. 

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