घर में केवल पप्पू ही शादी के लिए बचा था. बाद में उस की शादी उत्तर प्रदेश के शहर रामपुर के रहने वाले मुरलीलाल की बेटी शशि से हो गई. यह करीब 18 साल पहले की बात है.
शशि बन गई पप्पू की चहेती
शशि अपने पति से काफी खुश थी. शशि हंसमुख थी. उस की चंचलता चेहरे से ही झलकती थी. कुछ ही समय में उस ने अपनी ससुराल वालों के साथसाथ पड़ोसियों का भी दिल जीत लिया था. शादी से पहले शशि के कदम बहक गए थे. मोहल्ले के कई लड़कों के साथ उस के अवैध संबंध थे. लेकिन शादी होने के बाद उस की इस तरह की कहानियां दफन हो गई थीं.
शादी के करीब साल भर बाद वह एक बच्चे की मां बनी. उस ने बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम राज रखा गया. बच्चे के जन्म के बाद पप्पू की जिम्मेदारी और भी बढ़ गई थी. खर्च पूरे करने के लिए वह दिनरात मेहनत करने लगा. उस ने गांव के नजदीक ही एक सरदार के फार्म में काम करना शुरू कर दिया.
पप्पू का ज्यादातर समय वहीं गुजरता था. वह रहता भी वहीं पर था. वहां रहने से उसे यह फायदा हो गया कि हर रोज काम तलाशने के बजाए उसे हर महीने बंधीबंधाई तनख्वाह मिलने लगी. फार्म पर रहते हुए ही वह ट्रैक्टर चलाना सीख गया था.
पप्पू को अच्छी आमदनी होने लगी तो शशि के रहनसहन में भी काफी बदलाव आ गया. वह अब बनठन कर रहने लगी थी. पप्पू सीधासादा युवक था. वह महीने में जो भी कमाता, अपनी बीवी के हाथ पर ला कर रख देता था. घर का सारा खर्च शशि ही अपने हिसाब से करती थी. इस बीच वह दूसरे बच्चे की मां भी बन गई थी. लड़की हुई थी राजो उर्फ रज्जी.
2 बच्चों के बाद शशि का शरीर पहले से कहीं ज्यादा खिल उठा था. पप्पू को तो केवल कमाई की धुन थी. वह सारे दिन काम में लगा रहता और शाम को खापी कर जल्दी सो जाता. वह पत्नी की तरफ ध्यान नहीं दे पा रहा था, जिस से उस के दिल में पप्पू के प्रति लगाव कम होने लगा.
शादी के 6 साल बीत जाने के बाद पप्पू उस के शरीर को पढ़ने में कमजोर पड़ने लगा तो शशि ने पिंजरे में बंद रहने के बजाए उड़ने की ठान ली. वह खूबसूरत तो थी ही, उस ने मोहल्ले के युवकों पर जाल फेंका तो कई युवक उस की गलियों के चक्कर लगाने लगे.
जब शशि के पैर बहके
उस ने मोहल्ले के एक युवक के साथ गहरी दोस्त कर ली और उस के साथ मौजमस्ती का खेल खेलने लगी. बुरा काम चाहे कोई भी हो, कितना भी छिपा कर क्यों न किया जाए, भेद खुल ही जाता है. शशि के प्रेमी के बारबार शशि के पास आने पर मोहल्ले वालों को शक हो गया. इस के बाद मोहल्ले के कई युवकों का शशि के यहां आनाजाना हो गया. वे उस के साथ मौजमस्ती करने के साथ ही उस के खर्चे भी उठाने लगे.
शशि जंगल से लकड़ी लाने के बहाने घर से निकलती और जंगल में वह प्रेमियों से मिलती. लेकिन एक दिन एक अनजान युवक ने उस के साथ छेड़छाड़ कर दी. यह हरकत शशि के पड़ोसी ने देख ली. शशि जानती थी कि उसे दुनिया की नजरों में पाकसाफ बन कर रहना है तो उसे जरूर कुछ करना होगा.
यही सोच कर उस ने गांव में आते ही उस युवक द्वारा की गई हरकत को ले कर शोर मचा दिया. इतना ही नहीं वह उस युवक को सबक सिखाने के लिए कुंडा स्थित पुलिस चौकी में शिकायत करने जा पहुंची.
चौकी में उस की मुलाकात एक कांस्टेबल से हुई जो उसी के हलके का था. कांस्टेबल पहली ही नजर में उस के हुस्न पर मर मिटा. उस ने शशि के साथ हमदर्दी दिखाते हुए उस का मोबाइल नंबर ले लिया और अपना मोबाइल नंबर उसे देते हुए कहा कि तुम चिंता मत करो, कल आ कर मैं उस हरामखोर को देखता हूं.
अगले दिन वह पुलिस वाला गश्त पर निकला तो घूमतेघामते शशि के घर जा पहुंचा. शशि के घर पुलिस वाले को आया देख मोहल्ले के लोग इधरउधर हो गए. इस के बाद सिपाही शशि को छेड़ने वाले युवक का पता लगाते हुए उस के घर गया.
कांस्टेबल ने उस युवक को डराधमका कर कुछ रुपए ऐंठे और आगे कोई हरकत न करने की हिदायत दे कर छोड़ दिया. युवक से पैसे ऐंठने के बाद वह शशि से मिला और उस ने उन पैसों में से कुछ पैसे शशि को दे दिए.
शशि ने पुलिस में बना ली जानपहचान
पुलिस वाले से जानपहचान हो जाने से शशि बहुत खुश हुई. वह सिपाही भी उस की कुशलक्षेम पूछने के बहाने उस के घर के चक्कर लगाने लगा. इस के बाद शशि घर वालों के साथसाथ पड़ोसियों पर भी रौब जमाने लगी. उस के घर वाले उस के त्रियाचरित्र से तंग आ चुके थे.
उन्होंने उस की इस हरकत की शिकायत पप्पू से की, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. शशि के सामने पप्पू की एक नहीं चलती थी. शशि ने उसी पुलिस वाले के सहारे घर वालों से भी कई बार पंगा ले लिया था, जिस के बाद घर वालों ने उस से संबंध ही खत्म कर दिए थे. एक पुलिस वाले के सहारे वह कई पुलिस वालों के दिलों पर राज करने लगी थी.
पुलिस वालों से दोस्ती हो जाने के बाद शशि अपनी मनमानी करने लगी. जब उसे पैसों की जरूरत होती तो वह किसी न किसी मर्द को अपने मोहपाश में फंसा लेती और फिर उसे धौंस दिखा कर मनचाहे पैसे ऐंठती. पुलिस वालों के बल पर उस का धंधा फलनेफूलने लगा था.
पति के घर से निकलते ही शशि बच्चों को तैयार कर स्कूल भेज देती और फिर सजसंवर कर अपने धंधे के लिए निकल जाती. जब उस की हरकतें हद पार करने लगीं तो घर वालों की शिकायत पर पप्पू ने उसे कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन वह उलटे उसी पर राशन पानी ले कर चढ़ने लगी.
इस के बाद दोनों मियांबीवी में मनमुटाव रहने लगा. अब वह पति से पूरी तरह से खार खाने लगी थी. अपनी बीवी की बेवफाई से तंग आ कर पप्पू ने फार्म से काम छोड़ दिया और दारू के नशे में धुत रहने लगा.
उसी दौरान उस की मुलाकात जसपुर थाना कोतवाली के गांव टांडा निवासी भूपेंद्र सिंह से हुई. भूपेंद्र के पास अपने 2 ट्रैक्टर थे. वह गांव वालों से सस्ते में गन्ना खरीद कर सीधे शुगर फैक्ट्री में बेचता था, जिस से उसे अच्छी आमदनी हो जाती थी. भूपेंद्र को अपना दूसरा ट्रैक्टर चलाने के लिए एक ड्राइवर की जरूरत थी.
उस ने पप्पू से बात की तो वह उस का ट्रैक्टर चलाने को राजी हो गया. पप्पू ने फिर से शराब का सेवन बंद कर दिया और वह भूपेंद्र का ट्रैक्टर चलाने लगा, जिस के सहारे उस का पप्पू के घर आनाजाना शुरू हो गया.
भूपेंद्र की शशि से मुलाकात उस वक्त हुई जब वह किसी काम से काशीपुर गया हुआ था. उस दिन शशि के दोनों बच्चे भी स्कूल गए थे. उस दिन भूपेंद्र पप्पू को बुलाने उस के घर आया था. शशि जानती थी उस का पति उसी का ट्रैक्टर चलाता है. शशि ने भूपेंद्र की खूब खातिरदारी की. भूपेंद्र उस की सुंदरता पर मर मिटा. एक तरह से वह उस का दीवाना बन बैठा. भूपेंद्र ने शशि का मोबाइल नंबर ले लिया. बाद में उस की शशि से फोन पर बातें होने लगीं.
भूपेंद्र बन गया शशि का आशिक
फलस्वरूप कुछ ही दिन बाद दोनों के बीच अवैध संबंध बन गए. भूपेंद्र को अच्छी कमाई थी. वह शशि पर भी पैसा खर्च करने लगा. इस से शशि पूरी तरह से उस की प्रेम दीवानी हो गई. भूपेंद्र अकसर पप्पू को ट्रैक्टर ले कर बाहर भेज देता और फिर सीधा उस के घर पर आ जाता.
कई बार तो भूपेंद्र पप्पू की गैरमौजूदगी में सारीसारी रात उसी के घर पर पड़ा रहता. उस वक्त शशि अपने बच्चों को जल्दी खाना खिला कर सुला देती और फिर सारी रात भूपेंद्र के साथ मौजमसती में डूब जाती.
भूपेंद्र जब भी आता, शशि और उस के बच्चों के लिए फल और मिठाई ले कर आता था, इस के चलते शशि के बच्चे भी भूपेंद्र से हिलमिल गए थे. जिस दिन वह घर आता, इस की सूचना किसी तरह पप्पू तक पहुंच ही जाती थी.
पप्पू की बेटी उस के घर आने पर ताने मारते हुए कहती, ‘‘आप से बढि़या तो भूपेंद्र अंकल हैं, वह जब भी आते हैं, अपने साथ बहुत सारी चीजें लाते हैं. बच्चों की बात सुनते ही पप्पू का पारा हाई हो जाता था. पप्पू को विश्वास हो गया था कि उस की गैरमौजूदगी में भूपेंद्र उस के घर आता है. इसी बात को ले कर उस की पत्नी से लड़ाई होती. लेकिन वह उलटे उस के ऊपर ही राशनपानी ले कर चढ़ जाती थी.’’