टमाटर एक खास सब्जी है. सब्जी के अलावा टमाटर से कई उत्पाद जैसे चटनी, सूप, कैचअप व सौस बनाए जाते हैं.

जमीन व जलवायु : टमाटर अधिक कार्बनिक पदार्थ वाली बलुई दोमट मिट्टी में आसानी से उगाया जा सकता?है. हलकी अम्लीय मिट्टी जिस का पीएच मान 6.0 से 7.0 तक हो, टमाटर के लिए अच्छी रहती है. टमाटर गरम मौसम की फसल है, इसलिए उन इलाकों में अच्छी पनपती है, जहां पाला नहीं पड़ता?है. ज्यादा गरमी (42 डिगरी से ज्यादा) में फूल व बिना पके फल झड़ जाते हैं.

उन्नत किस्में : पूसा रूबी, पूसा उपहार, पूसा संकर 1, पूसा संकर 2, पूसा संकर 4, पूसा रोहिणी, पूसा 120, पूसा शीतल, अविनाश 2, अर्का सौरभ, हाईब्रिड लाल, हाईब्रिड ब्रैवो व हाइब्रिड क्रिस आदि. बीज की मात्रा : उन्नत किस्मों के 350 से 400 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर. संकर किस्मों के 200 से 250 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर.

पौधशाला : टमाटर के पौधे तैयार करने के लिए 60 से 90 सेंटीमीटर चौड़ी व 16 सेंटीमीटर ऊंची उठी हुई क्यारियां बनानी चाहिए. भरपूर मात्रा में सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट मिला कर 5 सेंटीमीटर की दूरी पर लाइनें बना कर बीजों की बोआई करनी चाहिए. बीज आधा सेंटीमीटर से ज्यादा गहरे नहीं डालने चाहिए. जब पौधे 15 सेंटीमीटर ऊंचे हो जाएं (28 दिन) तो रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं.

रोपाई?: टमाटर की अच्छी उपज लेने के लिए 80 सेंटीमीटर चौड़ी उठी हुई क्यारी बना कर क्यारी के दोनों छोरों पर 45 से 60 सेंटीमीटर की दूरी पर पौधे लगाने

चाहिए. पानी देने के लिए 2 क्यारियों के बीच 45 से 60 सेंटीमीटर चौड़ी नाली बनानी चाहिए.

खाद व उर्वरक : गोबर की खाद 25 से 30 टन प्रति हेक्टेयर, अमोनियम सल्फेट 300 से 400 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, सुपर फास्फेट 360 से 400 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, पोटेशियम सल्फेट 60 से 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, सूक्ष्म तत्त्व मिश्रण 3 से 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर.

पूरी मात्रा में गोबर की खाद व आधी मात्रा में अमोनियम सल्फेट, सुपर फास्फेट व पोटेशियम सल्फेट को अच्छी तरह मिला कर के पौधों की रोपाई से पहले बनाई गई नालियों में बराबर मात्रा में डाल कर 10 से 15 सेंटीमीटर गहराई तक अच्छी तरह मिलाना चाहिए. उर्वरकों की बाकी मात्रा फूल निकलने से पहले नाली में डाल कर जड़ों पर मिट्टी चढ़ानी चाहिए.

सिंचाई : टमाटर में हलकी व नियमित सिंचाई की जरूरत होती है, इसलिए बूंददार सिंचाई के तरीके को अपनाने से उपज ज्यादा मिलती है व पानी की भी बचत होती है. खुली सिंचाई हमेशा नाली में ही करनी चाहिए.

निराईगुड़ाई : खरपतवारों को खत्म करने के लिए लगातार निराई व गुड़ाई करना जरूरी होता है. सहारा लगाना : लगातार बढ़ने वाली किस्मों से ज्यादा उत्पादन लेने के लिए पौधे को तार के सहारे ऊपर चढ़ाना जरूरी होता है.

सहारा लगाने से उत्पादन का खर्च बढ़ जाता है, लेकिन पौधे की बढ़वार अच्छी होती है. फल बड़े आकार के व ज्यादा लगते हैं. फलस्वरूप प्रति हेक्टेयर उपज ज्यादा मिलती है.

कीटों व रोगों की रोकथाम

फल छेदक : इस कीट के लार्वे अंदर से फलों को खाते रहते हैं, जिस से फल सड़ जाते हैं. रोकथाम के लिए कीट लगे फलों को

जमीन में गाड़ देना चाहिए व मेलाथियान (0.05 फीसदी) का छिड़काव 10 से 12 दिनों के अंतर पर 3 बार करना चाहिए.

जैसिड व सफेद मक्खी : ये पत्तियों का रस चूस कर नुकसान पहुंचाते हैं. रोकथाम के लिए मेटासिस्टाक्स या रोगोर (0.05 फीसदी) का छिड़काव करना चाहिए.

आर्द्र गलन : पौधों के तने जमीन की सतह से सड़ जाते हैं. रोकथाम के लिए बीजों को थीरम, केप्टान या बाविस्टीन की 2 ग्राम मात्रा से प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें, नालियों में ट्राईगोड्रमा गोबर की खाद के साथ मिला कर दें.

पत्तियों का विषाणु रोग : इस के असर से पत्तियां छोटी हो कर मुड़ जाती हैं, जिस से पौधों की बढ़वार रुक जाती है. रोकथाम के लिए पौधें एंटी वायरस जाली से ढक कर तैयार करने चाहिए.

समयसमय पर कीटनाशी दवा का छिड़काव करना चाहिए. कीट लगे पौधों को नष्ट कर के नीम कीटनाशी दवा का छिड़काव करना चाहिए.

फलों की तोड़ाई व उपज : फलों को बाहर भेजने के लिए पीले होने पर व आसपास के बाजार में भेजने के लिए लाल होने पर तोड़ना चाहिए. उन्नत किस्मों की उपज 300 से 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर व संकर किस्मों की 600 से 700 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है.   खूबसूरत, सख्त और चटक लाल रंग के टमाटर को आननफानन में खाना तो आसान है, मगर उस का उत्पादन उतना आसान नहीं है. टमाटर की खेती के लिए लगन व मेहनत जरूरी है.             

टमाटर उत्पादक शंकर

भाई को बनाना चाहता है सौफ्टवेयर इंजीनियर

शंकर सिरोही जिले के आदिवासी गांव मुंगथला का रहने वाला एक गरीब किसान है. शुरुआत में पानी की कमी व छोटी जोत के कारण शंकर के परिवार का गुजरबसर भी बहुत मुश्किल से हो रहा?था. उसी दौरान शंकर बड़े किसानों से जमीन भाड़े पर ले कर टमाटर की खेती करने लगा. इस के बाद उस ने कृषि विशेषज्ञों की सलाह व अच्छे टमाटर उत्पादकों की राय ले कर टमाटर की खेती शुरू की और कुछ ही समय में वह टमाटर उत्पादन का अग्रणी किसान बन गया.

आज शंकर टमाटर उत्पादन की उन्नत तकनीक के जरीए भरपूर मात्रा में टमाटरों का उत्पादन कर रहा है और आसपास की बड़ी मंडियों में टमाटर की सप्लाई कर के अच्छा मुनाफा कमा रहा?है. टमाटर की खेती से शंकर के परिवार के सभी सदस्यों को रोजगार मिला है और आसपास के किसानों को?भी?छोटा रोजगार प्राप्त हुआ?है. होने वाली आमदनी से शंकर अपने छोटे भाई को सौफ्टवेयर इंजीनियर की शिक्षा दिलवा रहा है. आज वह अपने परिवार का पूरा खर्च आसानी से उठा रहा है. उस के दोनों बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ रहे हैं. आज शंकर द्वारा अपनाए खेती के नए तरीकों के कारण वह और उस के घर वाले खुशहाल जीवन बिता रहे हैं.

फसल  बोआई का समय पौध रोपाई     फलन

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