फसलों के साथ लगाए हुए पेड़ बहुत फायदेमंद होते हैं, क्योंकि पेड़ों के बड़े हो जाने पर उन से मोटी रकम मिलती है. इसलिए बहुत से किसान खेती से ज्यादा कमाई करने के लिए अकसर अपने खेतों की मेंड़ों पर शीशम, साल, सागौन या पापुलर आदि के पेड़ लगाते हैं. बदलते दौर में किसान खेती के साथ औषधीय पौधे लगा कर अच्छी कमाई कर सकते हैं. यह बात अलग है कि ज्यादातर किसान इन के बारे में नहीं जानते. औषधीय पौधों के बीज, पौध, रोपण सामग्री व तकनीकी जानकारी भी हर किसी को आसानी से नहीं मिलती. इसलिए ज्यादातर किसान औषधीय पौधे नहीं लगाते.

माहिरों की खोजबीन के मुताबिक पहचाने गए औषधीय पौधों का कुनबा बहुत बड़ा है. इस पर 3 नई किताबें भारत सरकार की चिकित्सा अनुंसधान परिषद ने पिछले दिनों छापी हैं. इन में शामिल औषधीय पौधों व किस्मों की गिनती 1100 से ऊपर है, लेकिन फिलहाल इन में से सिर्फ 35 औषधीय पौधों की क्वालिटी के लिए ही मानक तयशुदा हैं.

ऐसा करें किसान

अशोक, अश्वगंधा, अर्जुन, अतीस, बायबिड़ंग, बेल, ब्राह्मी, चंदन, चिरायता, गिलोय, गूगल, इसबगोल, जटा मांसी, कालमेघ, कुटकी, शतावर, शंखपुष्पी, सफेदमूसली, दालचीनी, हरड़, बहेड़ा, आंवला, सौंफ व सनाय वगैरह की मांग आमतौर पर ज्यादा रहती है. औषधीय पौधों से मिली कई चीजें हमारे देश से दूसरे मुल्कों को भेजी जाती हैं, लेकिन इस में ज्यादातर  हिस्सा रसायनों के बगैर उगाए गए औषधीय पौधों से मिली आरगैनिक सामग्री का रहता है.

मेरठ के किसान महेंद्र सिंह ने बताया कि ज्यादातर किसान अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए पैसा आने के इंताजर में रहते हैं, जबकि औषधीय पौधों से पैसा काफी देर से मिलता है, लेकिन तुलसी की फसल सब से जल्दी सिर्फ 3 महीने में पक कर तैयार हो जाती है. लिहाजा किसान हिचक छोड़ कर इस काम की शुरुआत कर सकते हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...