अगर आप भी बच्चों पर पढ़ाई का प्रेशर डालते हैं तो हो जाइए सावधान क्योंकि बच्चों पर पढ़ाई का प्रेशर डालना मतलब बच्चों की जिंदगी को खतरे में डालना और उसकी जिंदगी बर्बाद करना है. एक बच्चा जब प्रेशर में आकर पढ़ाई करता है तो ना ही उसका पढ़ाई में मन लगता है और ना ही उसे वो अच्छे से कर पाता है.
आप सभी ने थ्री इडियड मूवी तो देखी ही होगी उस फिल्म का भी यही संदेश था कि मशीन बनकर या प्रेशर में आकर हम कभी भी पढ़ाई नहीं कर सकते हैं. हम सिर्फ एक मशीन ही बनकर रह जाते हैं.और फिर ऐसी पढ़ाई का कोई फायदा नहीं जो हमसे हमारी जिंदगी के खुशी के पल को छीन ले या जिंदगी को..
आपने खबरें तो बहुत सी सुनी होंगी कि बच्चें ने फेल होने के डर से आत्महत्या कर ली या फिर कम नंबर आए बच्चा डीप्रेशन में चला जाता है. 2018 में एक रिर्पोट आई जिसके अनुसार हर 24 घंटे में करीब 26 बच्चों ने आत्महत्या की…इसका कारण था पढ़ाई का प्रेशर,सफल न हो पाने का डर…. पैरेंट्स अक्सर बच्चों को वो करने के लिए मजबूर करते हैं जो बच्चा नहीं करना चाहता जैसे कि अगर बच्चा मैथ्स नहीं पढ़ना चाहता या उसकी दिलचस्पी सिंगिंग या डासिंग में होती है तो भी उसे मजबूरी में मैथ्स लेना पड़ता है या उसे इंजिनियरिंग करने को कहा जाता है. ज्यादातर मां-बाप यही सोचते हैं कि उनका बेटा डौक्टर, ल़ौयर या इंजिनियर बने लेकिन अगर बच्चा वो नहीं करना चाहता तो बेमन से वो पढ़ाई करता है और फिर कई बच्चे फेल होने के डर से आत्महत्या कर लेते हैं तो कई इस डर से की वो अपनी जिंदगी में कुछ नहीं कर पाए.
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बच्चों को वो करने दें जिसमें उनकी रूची हो जरा सोचिए अगर आप उनको उनकी मर्जी की पढ़ाई करने देंगे उनपर प्रेशर नहीं डालेंगे तो बच्चा अपनी लाइफ के उन चीजों में आगे जा सकता है जो वो करना चाहता. आप खुद सोचिए क्या आज संगीत में करियर नहीं है, क्या आज फोटोग्राफी में करियर नहीं है,या फिर डासिंग में करियर नहीं है? कोई अच्छा पत्रकार बन रहा है तो कोई अच्छा पेंटर….
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बच्चों पर पढ़ाई का प्रेशर कम होने से वो बिमार भी कम पड़ते हैं और साथ ही जब वो अपनी रुची का कार्य करते हैं तो उस कार्य में वो जरूर सफल होते हैं.आजकल प्रतिस्पर्धा इतनी बढ़ गई कि अगर पढ़ाई के प्रेशर की वजह से बच्चे को लगता है कि वो सफल नहीं हो पा रहा है ऐसे में वो कुछ गलत भी कर बैठता है.आगे निकलने की होड़ में वो नकल तक का सहारा लेता है जो कहीं से भी सही नहीं है.एग्जाम की टेंशन, लाइफ की टेंशन की वजह से नींद भी पूरी नहीं हो पाती है और बच्चा मानसिक तनाव से गुजरता है.
पढ़ाई के प्रेशर पड़ने से बच्चा दिमाग पर ज्यादा जोर देता है क्योंकि वो खुद उसे करना नहीं चाहता उसका मन नहीं होता.और ये बच्चे की सेहत के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होता.और पढ़ाई के नाम पर बच्चों को मशीन बना देना बिल्कुल भी सही नहीं है.एक रिर्पोट के मुताबिक जब बच्चों से ज्यादा उम्मीदें या आशाएं होती हैं जो कि बच्चा पूरा नहीं कर सकता है फिर भी अभिभावकों के कारण वो कोशिश करता है तो ऐसे में बच्चा सबसे ज्यादा तनाव में रहता है. माना कि हर अभिभावक चाहता है कि उसके बच्चे कुछ अच्छा करें लेकिन अच्छे के चक्कर में वो अपने बच्चों को मानसिक तनाव देते हैं साथ ही जब दूसरों से तुलना करते हैं तो बच्चे का आत्मविश्वास घटता है ऐसे में जो बच्चा करना चाहता है वो भी नहीं कर पाता है.इसलिए कभी भी अपने बच्चे की किसी दूसरे बच्चे से तुलना न करें.बच्चा जो करना चाहता है उसेक लिए उसे प्रेरित करें,अगर वो पढ़ाई में कमजोर है तो उसका उत्साह बढ़ाएं कि वो कर सकता है और उसे डांटे नहीं बल्कि प्यार से समझाएं और उसका साथ दें.
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आजकल तो बच्चे खेल कूद में इतना आगे जा रहें हैं कि नेशनल गेम्स खेल कर गोल्ड मेडल जीत कर देश का मां-बाप का नाम रौशन कर रहे हैं…हो सकता है आपके भी बच्चें में कुछ ऐसी ही प्रतिभा हो.अगर आपके बच्चे को पढ़ाई करना बोरिंग लगता है तो उसके साथ खेल-खेल में पढ़ाई को मनोरंजनात्मक तरीके से पढ़ा सकते हैं जो आपके बच्चे को अच्छा लगेगा.बच्चों को कुछ समझाने के लिए उनके ही अंदाज में उनकी किसी मनपसंद चीज का उदाहर दें.इस तरह से आप उसके पढ़ाई को रोचक बना सकते हैं.