किस्मत भी एक शोध का विषय हो सकता है,अब देखिए ! हमारे मुख्यमंत्री जी की धर्मपत्नी कितनी भाग्यशाली है. दरअसल धर्मपत्नी होती ही भाग्यशाली है. मंत्री जी की पत्नी, मंत्राणी जी, जिलाधीश की पत्नी, मैडम कलेक्टर, पुलिस कप्तान की धर्मपत्नी, मैडम एसपी!! हो जाती है. स्वयमेव. कुछ नहीं करना पड़ता.जहां पहुंच जाए सर आंखों पर बैठा लेते हैं. बड़ी पुरानी संस्कृत की उक्ति है पुरुष भाग्यम, स्त्री चरित्रंम… मुझे लगता है यह मसला बिल्कुल उलट होना चाहिए . इसे किसी धर्मपत्नी द्रोही में रचा होगा. मेरा वश चले तो इसे संसार में इस तरह प्रचालित कर दूं- धर्मपत्नी भाग्यम पुरुष चरित्रम…!

धर्मपत्नी की महिमा का गान अभी तक शास्त्रों में नहीं हुआ है. धर्मपत्नी होना बड़े ही गौरव का विषय है .पत्नी, स्त्री, मिसेज, नारी यह संज्ञाए धर्मपत्नी की महिमा और विराट स्वरूप के समक्ष तुच्छ है. वजन ही नहीं बनता. नारी जैसे ही धर्मपत्नी का अवतरण लेती है महाशक्तिशालिनी बन जाती है .उदाहरण, श्रीमती मुख्यमंत्री है . कल जब वो हमारे शहर आई तो मुख्यमंत्री के आभामंडल, सत्ता शासन के इंद्रजाल से माहौल खुशनुमा बन गया. शहर में एक ही चर्चा थी- मुख्यमंत्री जी की धर्मपत्नी आ रही है.

मैंने मित्र से कहा,- आज माहौल खुशगवार हो गया है.

जरूर आज शुभ दिन है .

उसने कहा- यार ! श्रीमती मुख्यमंत्री आ रही है, पता नहीं है क्या ?

मैंने कहा,- अच्छा ! तभी शहर की फिजा में क्रांतिकारी तब्दीली आई हुई है.

मित्र हंसने लगा, फिर बोला,- पता है, कितना खर्चा हो रहा है ?

मैं बोला, – मुख्यमंत्री जी की धर्मपत्नी है तो कार्यक्रम गरिमामय होगा . समारोह में एकाध लाख तो खर्च समर्थक कर ही डालेंगे. मित्र ने मेरी और कुछ इस तरह देखा जैसे मैं बीहड अंचल का तीर कमान और कोई लंगोटी धारी वनमानुष हूं. उसने व्यंग्यात्मक स्वर में कहा- ‘मैडम ! के स्वागत में पलके बिछ गई हैं. अखबारों में विज्ञापन छपे हैं.

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यही आठ-दस लाख रुपए के होंगे .मै चोंका, मुंह फटा का फटा रह गया – आठ-दस लाख रुपए के विज्ञापन ! भला कौन छपवायेगा ? मैडम का कोई ओहदा तो है नहीं जो कोई टेंडर पास हो जाएगा. यह तो निरा पागलपन है. मित्र ने उंगली से इशारा कर कहा- देखो ! अखबार सामने पड़े हैं .स्वयं देख लो . हर अखबार मैडम के श्रीमुख और अभिनंदन से भरा पड़ा है.

मैंने असहाय दृष्टि से अखबारों को दूर से ही देख कर कहा- मैं नहीं देखूंगा .

मित्र ने मुस्कुरा कर कहा – क्यों आज घर से ही नहीं निकले क्या. शहर में इतने कार्यक्रम है कहीं शिरकत नहीं की . मैं स्वयं बुदबुदा रहा था- इतने विज्ञापन ? देखूगा तो हार्ट अटैक ना आ जाए .

मित्र ने सुनी अनसुनी कर कहा, – कार्यक्रम गरिमामय रहा. शासकीय विमान से मैडम आई …. भली स्त्री है. अच्छा समय दिया,नेताओं की जगह अब उनकी पत्नियों को ही कार्यक्रमों में बुलाना चाहिए ,एक तो समय पूरा देती हैं,सीधी सरल भावना व्यक्त कर सभी को प्रसन्न अलग कर देती हैं .जबकि नेता और मंत्री इतने पक गए हैं कि कार्यक्रम में ऐसा व्यवहार करने लगते हैं मानो गले में जंजीर पड़ी हो और बैल तुड़ाकर मां की ओर भागता चाहता है.

मैंने कहा – शासकीय प्लेन ? क्या मुख्यमंत्री जी की धर्मपत्नी हो गई, तो कोई मंत्री हो गई , जो शासकीय प्लेन मिल गया ? वह तो मुद्दा बन जाएगा. स्कैंडल हो जाएगा. मित्र के मुख मंडल पर तरस स्पष्ट दिख रहा था- तुम्हारी यही नकारात्मक सोच खुद तुम्हारी ही दुश्मन बनी हुई है. सदैव सकारात्मक दृष्टि रखिए. तुम्हारे आसपास के लोग बड़े बड़े अखबार के मालिक बन गए कि नहीं .

मैंने कहा,- मगर यार ! मैडम सी.एम. भला कैसे शासकीय विमान में आ सकती है.

देखो ! उनके साथ मंत्री भी थे.राजधानी में आला दर्जे के लोग बैठे हैं । सब नियम कानून जानते हैं .मैं ने राहत की सांस ली-ओफ… मैं बेवजह परेशान था . अच्छा ! विमान से उतरी तो क्या नजारा था…

अद्भुत ! हम लोग बड़ी देर तक इंतजार करते रहे .डेढ़ दो घंटे बाद आकाश को चीरता विशालकाय विमान प्रकट हुआ. हवाई पट्टी में खुशी की लहर दौड़ गई. आखिर प्लेन ठहरा, द्वार खुला. मैडम सीएम बाहर आई सबसे पहले कलेक्टर साहब फिर पुलिस कप्तान और फिर हम लोगों ने उनका आत्मीय स्वागत फूल मालाओं से किया. दोस्त ! सच कल का दिन अविस्मरणीय हो गया . मंत्री मिनिस्टर अफसर सभी के कार्यक्रम फ्लाफ हो गए मेरी दृष्टि में.

यह सारा कुछ धर्मपत्नी की महिमा है . गरीब की बीवी मोहल्ले की भौजी हो जाती है . मुख्यमंत्री, कलेक्टर, और उच्चअधिकारियों की धर्मपत्नी दीदी बन जाती है .राखी बंधवा लो… घर तक पहुंच बन गई फिर मंत्री जी और अधिकारी भला अपने मुंह बोले साले का काम करने से इंकार करेंगे.

फिर हंसने लगे- यह हुई न समझदारी की बात .इसीलिए आजकल धर्मपत्नी परिक्रमा का चलन शुरू हुआ है,तुम भी कुछ सीखो. मैं दीर्घ नि :श्वास लेकर उठ खड़ा हुआ.

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