केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत को यह देखने की जरूरत है कि विकसित देश बनने का लक्ष्य 2030 तक हासिल हो जाए. पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने वर्ष 2020 का जो लक्ष्य रखा था, देश उसे पाने में असफल रहा है. जेटली ने कलाम पर पहले स्मारक व्याख्यान के दौरान कहा, 'कलाम का भारत को वर्ष 2020 तक विकसित देश बनाने की जो परिकल्पना थी उसे पाने में हमलोग नाकाम रहे हैं. इस तारीख को और आगे बढ़ाने की जरूरत है.'
उन्होंने कहा, '2020 की जगह हम इसे आगे बढ़ाकर 2030 करते हैं. भारत को उस रास्ते का अनुसरण करना है. इसके लिए प्राइवेट सेक्टर से निवेश की जरूरत होगी और वैश्विक स्तर पर भी. बड़े संसाधन एवं बैंकिंग क्षेत्र की भी जरूरत पड़ेगी.' उन्होंने कहा कि सरकार हमेशा निवेश करेगी, लेकिन निजी क्षेत्र से निवेश तभी आएगा जब भारत निवेश के लिए सबसे अच्छा स्थान बनेगा. इसके लिए भारत को व्यापार के लिए आसान माहौल बनाना और भ्रष्टाचार पर काबू पाने की जरूरत होगी.
जेटली ने कहा कि हमने भले ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए दरवाजे खोल दिए हों लेकिन भूमि और निर्माण की जरूरतों में मामले में भारत 190 देशों में अब भी 183वें स्थान पर है. इस बदलाव को राज्य स्तर पर लाने की जरूरत है नहीं तो प्रतिकूल माहौल बना है जिससे राजस्व का नुकसान हुआ है. करों के बारे में उन्होंने कहा कि अप्रत्यक्ष करों को दुनिया की तुलना में सबसे अच्छा होना होगा. जल्द ही आने जा रहे वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) पर जोर देते हुए जेटली ने कहा, 'एक देश एक टैक्स' का पूरा विचार राहत और किसी भी तरह के भ्रष्टाचार से मुक्ति देता है.