ईंधन की दुनिया में नया कदम
बायोगैस से खाना पकाएंगे 1 लाख परिवार

नई दिल्ली : खाना पकाने के लिए ईंधन हमेशा एक मुद्दा रहा है. तमाम तरह की लकडि़यों व गोबर के कंडों का ईंधन के तौर पर सदियों से इस्तेमाल होता आ रहा?है, मगर अब फिजा बदल चुकी?है.

पर्यावरण और प्रदूषण जैसे मसले हर बात में पाबंदी लगाते हैं. वैसे भी अब लकडि़यां काटना व जलाना गुनाह माना जाता?है और कच्चा कोयला व पक्का कोयला भी बहुत महंगे होते?हैं. बात घूमफिर कर प्रचलित एलपीजी गैस पर आती है, तो उस की ज्यादातर कमी बनी रहती है. ऐसे आलम में बायोगैस राहत देने वाली साबित हो सकती है. मौजूदा वित्त साल 2016-17 में 1 लाख हिंदुस्तानी परिवारों को खाना पकाने के लिए बायोगैस मुहैया कराने की सरकार की योजना है. इस कदम से 21,90,000 एलपीजी सिलेंडरों की बचत होगी. खाना पकाने के लिए 1 लाख परिवारों को बायोगैस मुहैया कराने का टारगेट ‘नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय’ (एमएनआरई) ने बनाया है. इस टारगेट को मुकम्मल करने का जिम्मा अलगअलग सूबों की सरकारों का होगा. बायोगैस बनाने की कवायद में करीब 22 लाख एलपीजी सिलेंडरों की बचत तो होगी ही, इस के साथ ही खेती के लिए प्रोसेस्ड खाद भी हासिल होगी और प्रोसेस्ड खाद का इस्तेमाल किए जाने की हालत में रासायनिक खाद के इस्तेमाल में कमी आएगी, जो खेती के लिहाज से बेहतर होगा.

मंत्रालय के अंदाजे के मुताबिक 1 लाख घरों में बायोगैस के इस्तेमाल होने से करीब 10,000 टन यूरिया खाद की बचत होगी यानी इस से यूरिया की किल्लत में भी कमी आएगी. एमएनआरई का मानना?है कि 1 लाख घरों में खाना पकाने के लिए बायोगैस का इस्तेमाल होने से पर्यावरण को 4.5 लाख टन कार्बनडाईआक्साइड और 2.5 लाख टन मीथेन की मिलावट से बचाया जा सकेगा. खाना बनाने के लिए बायोगैस के इस्तेमाल हेतु एमएनआरई नेशनल बायोगैस एंड मैन्योर मैनेजमेंट प्रोग्राम (एनबीएमएमपी) चला रहा?है. इस प्रोग्राम का मकसद तमाम घरों में खाना बनाने के लिए साफ ईंधन मुहैया कराने के साथसाथ बायोगैस के बाइप्रोडक्ट के तौर पर खेतों के लिए आर्गेनिक खाद मुहैया कराना?है. इस किस्म की आर्गेनिक खादों में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम की अच्छीखासी मात्रा मौजूद होती है. यानी बायोगैस के साथ तैयार होने वाली आर्गेनिक खाद बहुत उम्दा होगी.

भारतीय गांवों के तमाम घरों में खाना पकाने के लिए बायोगैस मिलने से गांव की औरतों का तो कल्याण हो जाएगा. वहां की औरतों का अच्छाखासा वक्त चूल्हे के लिए लकडि़यां बीनते हुए बीतता है और सुबहशाम गोबर के कंडे यानी उपले बनाने में भी उन का काफी वक्त खर्च होता?है. बायोगैस की सुविधा हो जाने से औरतों को लकड़ीकंडे के झमेले से नजात मिल जाएगी. बायोगैस के सिलसिले में नीति आयोग की ओर से एकीकृत एनर्जी पालिसी के तहत लाहफलाइन एनर्जी की जरूरतों को पूरा करने की खातिर कई एप्लीकेशंस भी तैयार किए गए?हैं. माहिरों का कहना?है कि बायोगैस खासतौर पर खाना बनाने के काम तो आएगी ही, पर साथ ही साथ अन्य तमाम काम भी अंजाम देगी. बायोगैस को आने वाले वक्त में बिजली पैदा करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता?है, जो कि एक खास कामयाबी होगी.

इस के अलावा इसे गरमी मुहैया कराने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकेगा. खासतौर पर मोटरगाडि़यों को चलाने में इसे इस्तेमाल किए जाने की योजना एक नई क्रांति ला सकती है.                          

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दूसरी हरित क्रांति बिहार से शुरू होगी

पटना : केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा है कि देश की दूसरी हरित क्रांति का केंद्र बिहार बनेगा. उन्होंने किसानों से अपील की है कि खेती में विज्ञान और तकनीक को अपनाए बगैर न खेती की तरक्की हो सकती है और न ही किसानों की आमदनी में इजाफा हो सकता है. बदलते समय में किसान अपने खेत के एक तिहाई हिस्से में खेती करें, एक तिहाई हिस्से में बागबानी करें और एक तिहाई हिस्से में अन्य अनाजों की खेती करें. इस से संकट की स्थिति में किसानों को?ज्यादा नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की पटना शाखा के कैंपस में किसान उन्नति मंच के द्वारा आयोजित परिचर्चा में कृषि मंत्री ने कहा कि आज की तारीख में देश के विकास में कृषि की हिस्सेदारी केवल 18 फीसदी ही?है. इस की सब से बड़ी वजह यही है कि 60 फीसदी खेती लायक जमीनों तक सिंचाई के लिए पानी नहीं पहुंच पा रहा?है.

इसी के मद्देनजर प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना बनाई गई है. इस योजना के तहत ड्रिप इरीगेशन और स्प्रिंकलर सिस्टम से खेती करने को बढ़ावा दिया जा रहा?है.    

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योजना

प्रदेश सरकार की नई शीरा नीति

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सूबे की सरकार ने साल 2015-16 के लिए अपनी नई शीरा नीति जारी कर दी?है. इस नई नीति के तहत अब सभी चीनी मिलों को कुल शीरे का 25 फीसदी शीरा रिजर्व रखना होगा.

प्रमुख सचिव आबकारी किशन सिंह आटोरिया ने इस के आदेश जारी कर दिए. नई नीति में शीरे के बीच निकासी का अनुपात 1:3 का होगा. इस की गणना हर निकासी के बजाय पूरे महीने में की गई कुल निकासी पर की जाएगी. नई नीति में शीरे पर प्रशासनिक शुल्क की दर सूबे  के अंदर खपत के लिए 11 रुपए प्रति क्विंटल और सूबे के बाहर निर्यात  के लिए 15 रुपए प्रति क्विंटल तय की गई है.                  

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अजूबा
खेत से निकले चांदी के सिक्के

मथुरा : मुन्नी का नगला गांव में पिछले दिनों एक प्लाट में डाली गई मिट्टी में चांदी के सिक्के मिलने से पूरे इलाके में अफरातफरी मच गई. लोग ताबड़तोड़ तरीके से मिट्टी में सिक्के तलाशने में जुटे रहे. जिस के हाथ जितने सिक्के लगे, वह उन्हें ले भागा. उन सिक्कों में ज्यादा तादाद 1 रुपए के सिक्कों की थी. सिक्के निकलने की सूचना पा कर वहां पहुंचने वाली पुलिस ने फौरन खेत की खुदाई बंद करा दी. आगरा मंडल के सहायक क्षेत्रीय पुरातत्त्व अधिकारी राजीव द्विवेदी के मुताबिक फरह के गांव थिरावली में मिले सिक्के ब्रिटिशकाल के?हैं और चांदी से बनाए गए हैं. इन सिक्कों को राज्य पुरातत्त्व विभाग अपने कब्जे में लेगा.

फरह के गांव मुन्नी का नगला में उस वक्त बवाल सा मच गया, जब एक प्लाट में पड़ी मिट्टी में वहां खेल रहे बच्चों ने चांदी के सिक्के देखे. बच्चे मिट्टी में सिक्के खोजने में जुट गए और आननफानन में खबर गांव भर में फैल गई. प्लाट के मालिक ने बताया कि वहां मिट्टी भराने के लिए उस ने थिरावली गांव के किसी खेत से मिट्टी मंगाई?थी. यानी ये सिक्के उसी खेत की मिट्टी में गड़े थे.                    

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सहूलियत

सीएसए दूर करेगा बीजों की किल्लत

कानपुर : दलहनी फसलों की खेती करने के लिए किसान बीज के लिए खासे परेशान रहते?हैं. लेकिन अब दलहनी फसलों की नई वैरायटी के बीजों की किल्लत किसानों को नहीं होगी. चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) में 1000 क्विंटल की कूवत का सीड हब बनाया जा रहा?है. बीजों की खरीदारी के लिए भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान यानी आईआईपीआर 1 करोड़ रुपए का अनुदान देगा. बीज हब तैयार करने के लिए 50 लाख रुपए मंजूर किए गए?हैं.सीएसए के अलावा बांदा व फैजाबाद में बने कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के और चित्रकूट के कृषि विज्ञान केंद्र में भी सीड हब बनाए जाएंगे.

इन सभी सीड हबों में अरहर, मूंग, उड़द, चना व मटर समेत अन्य दलहनी फसलों को संरक्षित रखा जाएगा. देश भर में केंद्र सरकार की 150 सीड हब बनाए जाने की योजना?है. वर्तमान समय में दलहनी फसलों के लिए 57 सीड हब संचालित?हैं.

आईआईपीआर के निदेशक डा. एनपी सिंह ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम का मिजाज लगातार बदलता जा रहा?है. अब उन बीजों से उत्पादन बहुत कम होता है. जिन की प्रजातियां पुरानी हैं. इसी के चलते सीड हब में ऐसी वैराइटीयों को जगह नहीं दी जाएगी. 10 साल से कम की वैरायटी ही सीड हब में रखी जाएगी. मौजूदा समय में हर साल 20 लाख क्विंटल बीज की जरूरत होती?है. पुरानी वैरायटी के बीज तो मिल जाते हैं, लेकिन जरूरत के हिसाब से नई वैरायटी के बीज किसानों को नहीं मिल पाते.                                   

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खोज

तैयार होगी हाईब्रिड एलोवेरा

लखनऊ : दवाओं व सौंदर्य प्रसाधनों में इस्तेमाल होने वाले एलोवेरा पर मंदसौर में राष्ट्रीय स्तर की रिसर्च शुरू हुई है. यहां इस की हाईब्रिड किस्म तैयार की जाएगी. उद्यानिकी महाविद्यालय में शुरू इस अनुसंधान के लिए गुजरात व महाराष्ट्र से जनन द्रव्य आए हैं. इन पर रिसर्च कर के एलोवेरा की ऐसी वैरायटी विकसित की जाएगी, जिस का उत्पादन हर किसान हर किस्म की जलवायु में किसान खेतों में कर सकेंगे. यह रिसर्च देश में पहली बार शुरू हुई है. रिसर्च के लिए मंदसौर उद्यानिकी कालेज में 1 जनन द्रव्य मौजूद है, जबकि अकोला (महाराष्ट्र) से 1 और आनंद (गुजरात) में 4 जनन द्रव्य आ गए हैं. एलोवेरा में पाए जाने वाले कैमिकल बैलेंस की भी जांच की जाएगी. एलोवेरा में जल्दी खराब होने वाले गुण के चलते रिसर्च की जरूरत महसूस की गई. इस के चलते उपयोगी होने के बाद भी एलोवेरा के उत्पादन को ले कर किसान उत्साहित नहीं रहते. रिसर्च के दौरान एलोवेरा के कास्मेटिक व हर्बल फूड तत्त्वों पर छानबीन की जाएगी.

उद्यानिकी महाविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. जीएन पांडे का कहना?है अखिल भारतीय स्तर पर एलोवेरा पर रिसर्च पहली बार ही की जा रही?है. शुरुआती तौर पर एलोवेरा में मौजूद कंटेंट पर रिसर्च शुरू की गई है.                

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बचत

मौजूदा दौर की खास जरूरत छत पर सोलर बिजली लगाने से होगी बचत

नई दिल्ली : बिजली की गड़बड़ाई हुई हालत से सभी वाकिफ हैं. मुल्क के कुछ खास इलाकों या शहरों की बात छोड़ दें, तो हर जगह बिजली की किल्लत का रोना रहता?है. राजधनी दिल्ली तक के तमाम इलाके बिजली की कमी का शिकार हैं और उत्तर प्रदेश जैसे सूबों का हाल तो बहुत ही खराब है. हाट सिटी कहे जाने वाले गाजियाबाद जिले का भी अच्छाखासा हिस्सा बिजली की कमी से दुखी रहता?है. इस पर सितम यह?कि बिजली के बिल बड़ेबड़े यानी हजारों के आते?हैं.

ऐसे आलम में अपने घरों की छतों पर सोलर बिजली लगवा कर लोग काफी राहत पा सकते हैं. इस से न सिर्फ भरपूर बिजली मौजूद रहेगी, बल्कि मुख्य बिजली के बिल में भी काफी कमी आएगी. राजधानी दिल्ली में तो घरों की छतों पर सोलर प्लांट लगवाने पर 3 साल के लिए जेनरेशन आधारित इंसेंटिव भी दिए जा रहे?हैं. इस से सोलर प्लांट के दाम काफी घट जाते हैं. केंद्र सरकार के नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से रूफटाप सोलर प्लांट लगवाने के लिए सब्सिडी भी दी जाती है.

सोलर प्लांट के जानकारों का कहना?है कि मकानों की छतों पर सोलर प्लांट लगवाने की लगात करीब 5 सालों में ही निकल आती?है, जबकि यह करीब 25 सालों तक काम करता रहता?है.

रूफटाप सोलर प्लांट लगाने का काम करने वाली नामी कंपनी जोल्ट एनर्जी लिमिटेड के सहसंस्थापक और सीईओ अभिषेक डबास के मुताबिक 3 किलोवाट का सोलर प्लांट लगवाने की लागत बगैर सब्सिडी के ढाई लाख रुपए आती है. इस प्लांट से हर दिन 12.15 यूनिट बिजली पैदा होती है यानी 1 साल में करीब 4500 यूनिट बिजली पैदा होती?है.

दिल्ली व हरियाणा सहित कई सूबों में हर महीने 800 यूनिट से ज्यादा बिजली खर्च करने वालों को करीब 9 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली के बिल का भुगतान करना पड़ता?है.

इस हिसाब से 1 साल में 4,500 यूनिट बिजली का मूल्य 40,500 रुपए होता?है. इस के अलावा दिल्ली में छतों पर सोलर प्लांट लगाने पर सरकार की ओर से 3 सालों के लिए 2 रुपए प्रति यूनिट की दर से इंसेंटिव दिए जाते हैं यानी 4500 यूनिट के लिए सरकार की ओर से 9000 रुपए के इंसेंटिव मिलेंगे. इस तरह 3 किलोवाट के सोलर प्लांट से साल भर में करीब 50000 रुपए की बचत होगी और आसानी से 5 सालों में सोलर प्लांट की ढाई लाख रुपए की लागत निकल आएगी.

इस प्रकार मकानों की छतों और खेतों पर सोलर प्लांट लगवा कर भरपूर बचत की जा सकती?है. खेतों पर सोलर पंप सहित तमाम मशीनें सौर्य ऊर्जा से चला कर बिजली का बिल घटाया जा सकता?है. वाकई सौर्य ऊर्जा ने हालात बेहतर बना दिए हैं. 

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तरक्की

20 कृषि विज्ञान केंद्र खुलेंगे

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में 20 नए कृषि विज्ञान केंद्र खोलने की सरकार की योजना?है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक ने मुख्य सचिव से मुलाकात कर के प्रदेश सरकार को जमीन देने का आग्रह किया?है. साथ ही देश के पहले इंटरनेशनल राइस इंस्टीट्यूट और संडीला में दलहन इंस्टीट्यूट के लिए भी जमीन की मांग की गई?है.               

तोहफा

किसानो को प्रोत्साहन पुरस्कार

लखनऊ : प्रदेश सरकार ने किसानों को उपज का अधिकतम मूल्य दिलाने के लिए कृषि निर्यात प्रोत्साहन पुरस्कार योजना लागू की है. चावल दलहन, सब्जियों व फलों को देश से बाहर बेच कर विदेशी मुद्रा अर्जित करने को प्रोत्साहित किया जा रहा?है. पुरस्कार तय करने के लिए कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया?है. साथ ही पुरस्कार से संबंधित संस्तुति भेजने हेतु निदेशक मंडी परिषद की अध्यक्षता में एक विशेष समिति बनाई गई?है. इस के तहत हर श्रेणी के निर्यातकों को पहला पुरस्कार 51 हजार रुपए, दूसरा पुरस्कार 31 हजार रुपए और तीसरा पुरस्कार 21 हजार रुपए के अलावा शाल एवं प्रशस्ति पत्र दिया जाता है.

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मुहिम

नीरा से बनेगा लाजवाब गुड़शहद

पटना : बिहार में ताड़  के पेड़ से निकलने वाले नीरा से गुड़, शहद, कैंडी और कई तरह के उत्पाद बनाए जाएंगे. तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की मदद से इस काम को अंजाम दिया जाएगा. विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने 26 मई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर नीरा से कई तरह के उत्पाद बनाने का प्रजेंटेशन दिया.

नीरा से गुड़ और शहद जैसे उत्पाद बनाने के लिए तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (टीएनएयू) और बिहार के?भागलपुर के सबौर कृषि विश्वविद्यालय के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर होंगे. टीएनएयू के पूर्व डीन (हौर्टिकल्चर) डा. वी पून्नूस्वामी ने मुख्यमंत्री को नीरा और ताड़ के कई उत्पादों और उस के बाजार के बारे में बताया.

मुख्यमंत्री ने नीरा के उद्योग से जुड़ी समूची प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने और इस से जुड़े हर पहलू पर सर्वे करने का निर्देश दिया है. राज्य में ताड़ के पेड़ों की गिनती और उन से मिलने वाले नीरा के आंकड़े तैयार किए जा रहे हैं. उस के बाद ही ताड़ के पेड़ों और नीरा से बनने वाले उत्पादों से संबंधित उद्योगों को विकसित करने की योजना बनेगी. 

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कामयाबी

हरियाणा में लागू फसलबीमा योजना

हरियाणा : हरियाणा सरकार ने राज्य में फसलबीमा योजना लागू करने की घोषणा कर दी है. प्रदेश के कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ द्वारा की गई घोषणा के बाद हरियाणा फसलबीमा योजना लागू होने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. प्रदेश के सभी किसान 31 जुलाई तक अपनी फसल का बीमा करा सकेंगे और उन्हें बीमा राशि का अधिकतम 2 फीसदी प्रीमियम बीमा कंपनी को अदा करना होगा. धनखड़ ने यहां सेक्टर 16 स्थित सर्किट हाउस में पत्रकारों से रूबरू होते हुए कहा कि चुनाव से पहले सरकार ने हरियाणा प्रदेश के तमाम किसानों से बीमा योजना लागू करने का वादा किया था. सरकार ने वादे के अनुसार किसानों की भलाई के लिए बीमा योजना शुरू कर दी है. कृषि मंत्री ने बताया कि कृषि बीमा योजना के तहत प्रदेश को 3 हिस्सों में बांटा गया है. पहले हिस्से में हिसार, भिवानी, फरीदाबाद, कुरुक्षेत्र, पंचकूला व रेवाड़ आदि जिलों को रखा गया?है.

इन जिलों में फसल का बीमा मशहूर रिलायंस जनरल कंपनी द्वारा किया जाएगा. दूसरे हिस्से में हिसार, सोनीपत, जींद और गुड़गांव आदि जिलों को रखा गया है. इन जिलों में बीमा कार्य बजाज एलायंस कंपनी द्वारा किया जाएगा. इस प्रकार फसल बीमा योजना सब से पहले लागू कर के हरियाणा ने बाजी मार ली है. इस बात को ले कर किसानों में काफी जोश है.                       

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मुकाबला

महज 3 मिनट में 3 किलोग्राम आम खाए

नई दिल्ली : खानेपीने की प्रतियोगिताओं में अकसर इनसानों को जानवरों की तरह ताबड़तोड़ तरीके से खाना पड़ता?है. ऐसा ही एक नजारा पिछले दिनों देखने को मिला.

दिल्ली हाट जनकपुरी में आयोजित 3 दिवसीय दिल्ली ग्रीष्मोत्सव के दूसरे दिन फलों के सम्राट आम को खूब सुर्खियां हासिल हुईं. वहां आयोजित तमाम प्रतियोगिताओं में महिला वर्ग में हुई ‘आम खाओ प्रतियोगिता’ खास चर्चा का विषय रही. महिलाओं ने इस में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया. प्रतियोगिता के तहत पूरे 3 किलोग्राम आम महज 3 मिनट मे चट करने यानी खाने थे. कई महिलाएं इस मुहिम में शिरकत कर के चर्चा का विषय बन गईं. नजाकत पसंद हसीनाओं को दरिंदे के अंदाज में ताबड़तोड़ तरीके से आम पर आम खाते देखना वाकई मजेदार नजारा था. आमतौर पर 1 आम को कोई भी हसीना बहुत नाजोअंदाज से सलीके से काफी देर में खा पाती?है, मगर वहां हालात चुनौती के जोश वाले थे.

कई महिलाओं ने कामयाबी हासिल की और तोहफे भी हासिल किए. इस बार आम और शर्बत उत्सव को मिला कर एक नए रूप में मेले में पेश किया गया था. आम की तमाम किस्मों को एक ही छत के नीचे देखना मजेदार था. आम व आम से बने उत्पादों की खरीदारी में लोगों ने खासी दिलचस्पी दिखाई और साबित कर दिया कि क्यों आम को फलों का राजा कहते?हैं. पीले हरे नारंगी रंगों के हसीन आमों से सजा यह मुकाबला वाकई लाजवाब था. 

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फायदा

किसानों को मिलेगा बड़ा तोहफा

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों और उन के परिवारों के लिए सर्वहितबीमा योजना लागू करने का निर्णय लिया है. 75 हजार रुपए से कम आय पर ही इस योजना का लाभ मिल सकेगा. योजना से ज्यादा से ज्यादा किसानों को लाभान्वित करने की जिम्मेदारी एडीएम (प्रशासन) को दी गई?है. इस के साथ ही दूसरे विभागों के अधिकारी भी योजना का लाभ दूसरे व्यवसाय में लगे लाभार्थियों तक पहुंचाने के लिए काम करेंगे.

एडीएम (प्रशासन) राजेश पांडेय ने बताया, ‘योजना के तहत परिवार के मुखिया को दुर्घटना पर बीमा का लाभ और उस के परिवार के सभी सदस्यों को दुर्घटना के बाद इलाज की सुविधा मिलेगी. इस योजना का लाभ उठाने वाले को बीमा प्रीमियम का भुगतान नहीं करना होगा.’ उन्होंने बताया कि योजना के संचालन के लिए राज्य स्तर पर संस्थागत वित्त विभाग, संस्थागत वित्त बीमा एवं बाह्य सहायतित परियोजना महानिदेशक नोडल एजेंसी होंगे, जो योजना को बाकायदा लागू करेंगे.

वहीं जिलाधिकारी योजना के संचालन के लिए उत्तरदायी और मिशन अधिकारी होंगे. अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व इस योजना के नोडल अधिकारी होंगे. मुख्य विकास अधिकारी विकास संबंधित विभागों के मुखिया होंगे.

पांडेय ने बताया कि बीमा कंपनियों के चयन के बाद बीमा प्रीमियम का?भुगतान जिस तारीख को उन्हें किया जाएगा, उस तारीख से पौलिसी 1 साल के लिए मान्य होगी. इस के बाद इसे हर साल बढ़ाया जाएगा. यह योजना 3 सालों से अधिक की नहीं होगी. योजना के तहत 10 क्लस्टर बनाए गए?हैं, जिन्हें बीमा कंपनियों के बीच बांटा किया जाएगा. दावों को गलत आधारों पर नकारने और चिकित्सकों को बीमा कंपनी द्वारा समय पर भुगतान न करने पर संबंधित जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति का निर्णय बीमा कंपनी पर लागू होगा. यदि परिवार का मुखिया बीमा दावा संबंधित बीमा कंपनी को पेश करने में 3 महीने से अधिक समय लगता है, तो बीमा की अवधि की समाप्ति के 1 महीने बाद तक विलंब होने की स्थिति में 1 महीने तक विलंब को क्षमा करने का अधिकार जिलाधिकारी के पास होगा. पांडेय ने बातया कि कंपनी दावे का निबटारा अधिकतम 15 दिनों के अंदर परिवार के मुखिया के पक्ष में करेगी.  

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रफ्तार

कछुआ चाल से बनते नक्शे

पटना : बिहार में जमीन के नक्शों को डिजिटल बनाने का काम कछुआ की चाल से चल रहा?है. सभी गांवों के सेटेलाइट से राजस्व नक्शे तैयार करने की योजना के कार्यकाल को 2 साल आगे खिसका दिया गया?है. साल 2017-18 तक हवाई सर्वे के जरीए इस योजना को पूरा किया जाएगा. साल 2012 में शुरू की गई इस योजना को 2015-16 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था.

भूमि एवं राजस्व विभाग के सूत्रों के मुताबिक विभागीय सुस्ती की वजह से कई जिलों में सेटेलाइट और जमीन सत्यापन के जरीए री सर्वे नक्शे तैयार नहीं हो सके हैं. बेगूसराय, लखीसराय, खगडि़या, वैशाली, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, शिवहर, कटिहार, पूर्णियां, अररिया, किशनगंज और पूर्वी चंपारण के कुल 6443 गांवों की फोटोग्राफी कर ली गई?है, पर 4855 गांवों के ही मानचित्र मुहैया कराए गए हैं. जहानाबाद, गया, अरवल और औरंगाबाद जिलों में कुल 5750 गांवों में से 4557 की फोटोग्राफी हुई है, लेकिन एक का भी नक्शा विभाग को नहीं मिला है. पश्चिम चंपारण, बांका, नवादा, जमुई, पटना, नालंदा, बक्सर, सिवान, रोहतास, कैमूर, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, गोपालगंज, छपरा, भागलपुर, शेखपुरा और मुंगेर जिलों में कुछ भी काम नहीं हुआ?है.

इस काम में केंद्र की 3 एजेंसियां बिहार सरकार की मदद कर रही?हैं. विभागीय मंत्री मदन मोहन झा ने बताया कि कुछ तकनीकी वजहों से डिजिटल नक्शे बनाने के काम में देरी हुई है, पर अगले 2 सालों में इसे हर हाल में पूरा कर लिया जाएगा. इस योजना की रफ्तार देख कर तो यही लगता है कि सरकार की नजर में भी इस का खास मकसद नहीं?है, वरना अपनी बनाई योजना में ढिलाई बरतना कहां की अक्लमंदी है.                  

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मुहिम

युवकयुवतियों ने किया पौधरोपण

मुरादनगर (गाजियाबाद) : मौजूदा दौर के युवकयुवती भी पर्यावरण व पौधरोपण के प्रति खासे जागरूक रहते?हैं. यह बात काफी अच्छी कही जा सकती है. पेड़ लगाओ पेड़ बचाओ मुहिम के तहत मोरटा गांव के युवाओं ने कई गांवों में पौधरोपण किया. इस के साथ ही युवाओं ने तमाम लोगों को पर्यावरण के मामले में जागरूक भी किया ‘आप की आवाज’ संस्था के मनु त्यागी ने बताया कि मोरटा गांव के युवाओं ने नुक्कड़ नाटक के जरीए भी पेड़पौधों की अहमियत के बारे में लोगों को जानकारी दी. युवाओं ने गांववालों से पालीथीन का इस्तेमाल न करने की अपील की. युवाओं द्वारा गढ़ी, मोरटा, शाहपुर व गुलधर में सैकड़ों पौधे लगाए गए. पौधों की देखभाल की जिम्मेदारी गांव के ही जागरूक युवाओं को दी जाएगी. पौधों के बारे में नई पीढ़ी की जागरूकता वाकई आने वाले वक्त के लिए अच्छे संकेत हैं. अगर हर युवा पेड़ लगाने की ठान ले तो फिजा ही बदल जाए.      

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कामयाबी

अब पेड़ पर उगेंगे टमाटर

देहरादून : उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिक परिषद पेरू, ब्राजील, कोलंबिया, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में पाए जाने वाले टमरेलो यानी सोलेनियम वेक्टम प्रजाति के?टमाटर की खेती करने जा रहा है. उत्तराखंड में जल्द ही ऐसा टमाटर पैदा होगा जो पोषण तत्त्वों से तो भरपूर होगा ही साथ ही यह पेड़ पर उगेगा. इस टमाटर के पेड़ से 15 सालों तक पैदावार ली जाएगी. ऊधमसिंहनगर के पंतनगर स्थित जैव प्रौद्योगिक परिषद में टमाटर की पौध तैयार की जा रही?है.

निदेशक एमके नौटियाल के अनुसार पूरी मात्रा में विटामिन और फायबर के साथ ही इस टमाटर की कई दूसरी विशेषताएं भी सब्जी उत्पादकों के भरपूर मुनाफे का कारण बनेंगी. यह टमाटर इनसान की इम्युनिटी भी बढ़ाएगा. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इन की कीमत 1400 रुपए प्रति किलोग्राम?है. टमरेलो एक कारगर दवा भी है. इस के फल से कब्ज दूर होता है, वहीं यह शुगर और कोलेस्स्ट्राल को कंट्रोल करने के भी काम आता है.

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फायदा

ज्यादा मुनाफा देते हैं औषधीय पौधे

पटना : बिहार में देशी इलाज को बढ़ावा देने के लिए औषधीय पौधों की खेती से हर किसान को जोड़ने की मुहिम शुरू की गई?है. इस के तहत जड़ीबूटियों की खेती के फायदों के बारे में किसानों को जागरूक किया जा रहा है. कम जोत में भी औषधीय पौधों की खेती काफी मुनाफा देती है. अलगअलग औषधीय पौधों की खेती के लिए हर जिले में बाकायदा मिट्टी की जांच की जाएगी. इस जांच से यह पता चलेगा कि किस इलाके में किसकिस औषधीय पौधों की खेती की जा सकती है.

पायलट प्रोजेक्ट के तहत सब से पहले पटना से इस योजना की शुरुआत की जाएगी. पटना और आसपास के इलाकों में यह योजना कामयाब हुई तो बाकी जिलों में भी इसे शुरू किया जाएगा. गौरतलब है कि औषधीय पौधों से होम्योपैथी, आयुर्वेदिक और यूनानी इलाज की तमाम तरह की कारगर और खास दवाएं बनाई जाती हैं. औषधीय पौधों से करीब 6500 तरह की दवाएं बन चुकी हैं. औषधीय पौधों को बाहर से मंगाना बहुत ज्यादा महंगा पड़ता है. विदेशों में भी इन की बहुत ज्यादा मांग है.

स्वास्थ्य विभाग के अफसर हिमांशु राय ने बताया कि औषधीय पौधों से देशी इलाज की सैकड़ों कारगर दवाएं बनाई जाती?हैं. इन की खेती को बढ़ावा देने से जहां किसानों का मुनाफा बढ़ेगा, वहीं राज्य में औषधीय पौधों का उत्पादन भी बढ़ेगा.                    

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खोज

मंगल ग्रह की सब्जियां मुफीद

एम्सटर्डम : आबोहवा और रहनसहन के लिहाज से वैज्ञानिकों द्वारा अकसर सौरमंडल के तमाम ग्रहों की पड़ताल की जाती?है और जबतब नई सचाई का पता चलता रहता?है. इसी कड़ी में मशहूर ग्रह मंगल पर उगने वाली वनस्पतियों पर भी गौर किया गया. इसी खोज में पता चला कि वहां उगाई जाने वाली सब्जियां इनसान की सेहत के लिहाज से मुफीद हैं. हालैंड की वेजेनिजेन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह की मिट्टी में 10 किस्मों की सब्जियां उगाईं. इन सब्जियों में मूली व टमाटर जैसी सब्जियां शामिल थीं. हालांकि मंगल ग्रह की धरती पर शीशा, आर्सेनिक और पारा सरीखे नुकसानदायक तत्त्व मौजूद रहते हैं. यानी अगर कभी लोगों ने मंगल पर आशियाना बनाया, तो कम से कम तरकारियों की किल्लत नहीं होगी. ठ्ठ

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मुकाबला

बाहर का काटन घरेलू से सस्ता

नई दिल्ली : जब घर में चीज महंगी मिले और बाहर सस्ते में मौजूद हो तो बाजार की हालत पर फर्क पड़ेगा ही. आजकल घरेलू बाजार में काटन की कीमत में हो रहे इजाफे से परेशान यार्न बनाने वाली मिलें अब विदेश से सस्ता काटन मंगा रही?हैं. बाहरी यानी आयातित काटन के दाम घरेलू काटन के मुकाबले 2000 रुपए प्रति कैंडी (एक कैंडी =355 किलोग्राम)  कम हैं. बाहरी काटन के दाम घरेलू बाजार में 41000 रुपए प्रति कैंडी हैं, जबकि हिंदुस्तानी काटन के दाम 43000 रुपए प्रति कैंडी हैं. कनफेडरेशन आफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के मुताबिक इस साल अंदाजे से ज्यादा काटन आयात हो सकता?है. पहले के अंदाजे के मुताबिक इस साल भारत में 352 लाख बेल्स काटन उत्पादन की उम्मीद थी, मगर ताजा हालात के मुताबिक अब यह उत्पादन घट कर 340 से 345 लाख बेल्स रह सकता?है. पिछले दिनों काटन के दाम में करीब 7000 रुपए प्रति कैंडी का इजाफा हुआ, नतीजतन बाहरी काटन की कीमत घरेलू से कम हो गई.  ठ्ठ

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सुविधा

गन्ना किसानों को मिलेगी ड्रिप सिंचाई सुविधा

लखीमपुर: प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में अब गन्ना किसानों को भी अनुदान पर ड्रिप सिंचाई की सुविधा मिल सकेगी. पहली बार इस योजना में गन्ना किसानों को भी शामिल किया गया?है. अभी तक बागबानी एवं कृषि फसलों के लिए ही ड्रिप योजना का लाभ किसान पा रहे थे. प्रदेश में भी अन्य प्रांतों की तरह गन्ना फसल में ड्रिप सिंचाई पद्धति को अपना कर पानी की बचत की जानी है. इस के तहत यह सुविधा अब गन्ना किसानों को ही दिए जाने पर खास ध्यान दिया जा रहा?है.

निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण ने जारी शासनादेश की प्रति कृषि निदेशक उत्तर प्रदेश व गन्ना आयुक्त को भेजी है. मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित प्रदेश स्तरीय सैक्शन कमेटी साल 2016-17 की कार्य योजना पेश की गई थी, जिस में 4828.94 लाख रुपए का अनुमोदन प्रदान कर दिया गया. ड्रिप सिंचाई कार्यक्रम के तहत कम दूरी वाली फसलों में गन्ना फसल को भी शामिल किया गया है. ड्रिप सिंचाई के लिए इच्छुक गन्ना किसान कृषि विभाग के वेब पोर्टल पर अपना पंजीकरण करा लें.

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में गन्ना फसल में ड्रिप सिंचाई की सुविधा विकसित करने के लिए निर्धारित इकाई की लागत 1 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर आएगी. डीपीएपी क्षेत्र के लघु सीमांत किसानों को 76 फीसदी एवं गैर लघु सीमांत किसानों को 62 फीसदी अनुदान मिलेगा. अनुदान की यह सुविधा गैर डीपीएपी क्षेत्र के लघु सीमांत किसानों को 67 फीसदी एवं गैर लघु सीमांत किसानों को 56 फीसदी मिलेगी.

किसानों को बिना आनलाइन पंजीकरण के अनुदान की सुविधा मिल पाना संभव नहीं है. इच्छुक किसान शीघ्र पंजीकरण करा कर न सिर्फ जल संरक्षण पाएंगे, बल्कि फसल का बेहतर उत्पादन भी कर सकेंगे. ड्रिप सिंचाई से पौधों को उन की जरूरत के मुताबिक पानी आसानी से मिल सकेगा है.                    

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आरोप

मआवजा हड़पने का इलजाम

 गाजियाबाद : मेरठ और दिल्ली के दर्मियान बनने वाले एक्सप्रेसवे के लिए जमीन मुहैया कराने के बाद भी किसानों को जमीन का पैसा अभी तक नहीं मिलना है. प्रशासन की तरफ से किसानों को मुआवजा जारी किया गया, मगर बिचौलियों ने छलफरेब कर के ज्वाइंट खाते खुलवा कर उन के करोड़ों रुपए हथिया लिए. इस फरेब से प्रभावित किसानों ने एडीएम एलए दफ्तर में तैनात एक कर्मचारी पर मिलीभगत का आरोप लगा कर मुख्यमंत्री से मामले की छानबीन कराने की गुजारिश की है.पिछले दिनों आरडीसी के एक रेस्तरां में प्रेसवार्ता के दौरान रसूलपुर, सिकरोऔर कुशलिया गांवों के कई किसानों ने रुपए हड़पे जाने की बात कही. सभी किसानों ने गाजियाबाद और हापुड़ जिलों में ऐसे तमाम मामलों की जांच करने की जोरदार तरीके से मांग की.  

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खुराक

40 रुपए में खाना

गुड़गांव : तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की ‘अम्मां कैंटीन’ से नसीहत ले कर गुड़गांव नगर निगम भी गुड़गांव के लोगों को 40 रुपए में खाना/नाश्ता मुहैया कराने जा रहा है. 3 श्रेणियों में 450 कैलोरी से ले कर 1000 कैलोरी तक का खाना मुहैया कराने के लिए ई टेंडर जारी किए गए?हैं. नार्थ इंडिया मील लांच होने के 1 साल के भीतर 1 लाख लोगों के लिए नगर निगम खाना मुहैया कराएगा. नगर निगम सेहतमंद खाना लोगों को मुहैया कराना चाहता?है. इस के लिए कोई भी ऐसी कंपनी, जिसे 2 साल का लोगों को खाना मुहैया कराने का तजरबा हो, टेंडर डाल सकती?है. नगर निगम बेगमपुर खटौला में डेढ़ एकड़ जमीन रसोई बनाने के लिए मुहैया कराएगा.

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दिक्कत

नए नियमों से किसान परेशान

पटना : फसलबीमा योजना के नए नियमों से किसानों की परेशानियां बढ़ सकती हैं. अब इस योजना में प्राइवेट बीमा कंपनियों की ही चलेगी. अब तक सरकारी कृषि बीमा कंपनी एआईसी ही पूरी तरह से कृषि बीमा का काम करती थी. अब सरकार ने कई नई प्राइवेट कंपनियों के लिए भी फसलबीमा  करने के लिए दरवाजे खोल दिए हैं.

गौरतलब?है कि अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने के बाद शुरू की गई फसलबीमा योजना को बंद कर के नए सिरे से योजना को लागू किया गया है. बिहार में नई प्रधानमंत्री फसलबीमा योजना के साथ यूनिफायड पैकेज बीमा भी लागू किया गयाहै. इस के तहत किसानों को फसलबीमा के साथसाथ व्यक्तिगत बीमा भी कराना पड़ेगा. कुल 7 तरह के बीमा के पैकेज में किसानों को 2 तरह के बीमा को चुनना होगा. इस में फसलबीमा सभी किसानों को कराना जरूरी है और उस के साथ व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा, कृषि पंप सेट बीमा, छात्र सुरक्षा बीमा, कृषि ट्रैक्टर बीमा, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा, आग एवं संबंद्ध बीमा में से कोई बीमा कराना पड़ेगा.                                             

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मदद

कमेटी करेगी किसानों की मदद

मोदीनगर (गाजियाबाद) : गन्ने का बकाया भुगतान न मिलने से परेशान गन्ना किसानों के लिए जल्दी ही एक कमेटी का गठन किया जाएगा.

यह कमेटी किसानों के बच्चों की तालीम, उन की बेटियों की शादियों और बीमारियों के इलाज वगैरह के लिए किसानों को जरूरी रकम मुहैया कराएगी.

ये बातें क्षेत्रीय रालोद विधायक सुदेश शर्मा ने एक पत्रकार वार्ता के दौरान कहीं. उन्होंने कहा कि इस कमेटी के बनने से किसानों के बच्चों की तालीम अधूरी नहीं रहेगी और उन की बेटियों की शादियां भी नहीं रुकेंगी. इस के अलावा कोई गंभीर रोग होने पर किसानों और उन के परिवार वालों के लिए माकूल इलाज का बंदोबस्त किया जाएगा. किसानों के लिए सूबे की सरकार ने हाल ही में 2000 करोड़ रुपए जारी किए हैं. यह रकम सूबे की सरकार चीनी मिलों से वसूलेगी. सुदेश शर्मा ने यह?भी कहा कि नगर की कई कालोनियों के लोग पिछले कई सालों से मकानों के?ऊपर से गुजर रही एचटी लाइन को हटाने हटाने की मांग करते आ रहे थे. अब विद्युत विभाग ने फफराना बस्ती, गुरुनानकपुरा, ब्रह्मपुरी, किदवईनगर आदि महल्लों से गुजर रही विद्युत लाइन को उतारने का काम चालू कर दिया है. कुल मिला कर यह कमेटी किसानों के लिए कारगर साबित हो रही है. गन्ना किसानों की तर्ज पर अन्य किसानों के लिए भी ऐसी ही कमेटियां बनाए जाने की जरूरत?है. क्योंकि आमतौर पर मासूम किसानों का कोई सच्चा हितैषी नहीं होता?है. नेता लोग तो चुनाव के दौरान ही बरसाती मेढ़कों की तर्ज पर नजर आते हैं और चुनाव खत्म होते ही गायब हो जाते?हैं. उन के वादे पटाखों की तरह बुझ जाते हैं.

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तनाव

हाईटेंशन लाइन से किसानों को टेंशन

मुरादनगर (गाजियाबाद) : बिजली की हाईटेंशन लाइन से प्रभावित 17 गांवों के किसानों ने भदौली गांव में पंचायत कर के आंदोलन की शुरुआत कर दी है. पंचायत में जल्द ही जमीन का वाजिब मुआवजा तय न होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी गई है. परेशान किसानों का कहना है कि मुआवजा तय होने के बाद ही लाइन का काम शुरू होने दिया जाएगा.

पंचायत विकास संघर्ष समिति के सहयोग से की गई. समिति के सचिव सलेक ने जानकारी दी कि भदौली गांव में हाईटेंशन लाइन और बिजली के टावर लगाने में 17 गांवों की खेती की जमीन प्रभावित हो रही है. किसानों ने इसी सिलसिले में मुआवजे की मांग की है. सलेक ने बताया कि इस से पहले किसानों का 10 लोगों का प्रतिनिधिमंडल मेरठ के मंडलायुक्त आलोक सिन्हा और प्रदेश के ऊर्जा मंत्री से मिल कर उन्हें अपनी दिक्कतों के बारे में जानकारी दे चुका है. रालोद के जिलाध्यक्ष और पूर्व ब्लाक प्रमुख अजयपाल चौधरी का कहना है कि किसानों को बगैर किसी पूर्व सूचना के किसी बात के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.उन्होंने कहा कि मुआवजा तय किए बिना विद्युत विभाग खेती की जमीन पर हाईटेंशन लाइन और बिजली के टावर किसी हालत में नहीं लगा सकता है. हाईटेंशन लाइन का मसला वाकई इलाके के किसानों के लिए टेंशन का मुद्दा बन गया है.

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मुहिम

विकसित होंगी मधुमक्खी कालोनियां

सतना : किसानों की आमदनी बढ़ाने की जुगत में लगी सरकार अब प्रदेश में मधुमक्खीपालन को बढ़ावा देने की कवायद में जुट गई है. प्रदेश में पहली बार बागबानी मिशन के तहत किसानों को मधुमक्खीपालन के लिए सब्सिडी दी जाएगी. इस नई योजना के तहत उद्यानिकी विभाग जिले में 100 मधुमक्खी कालोनियां बनाएगा. पहले चरण में प्रशिक्षित किसानों को मौका दिया जाएगा. मधुमक्खी की 1 कालोनी तैयार करने के लिए 8 बक्से दिए जाएंगे. मधुमक्खी कालोनी विकसित करने, लकड़ी के बक्से और शहद निकालने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण किट पर सरकार किसानों को 40 फीसदी सब्सिडी देगी. मधुमक्खीपालन की योजना जिले में पहली बार शुरू की जा रही है. उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मधुमक्खीपालन किसानों के लिए अतिरिक्त आय का साधन साबित होगा. किसान खेत की मेंड़ों पर भी मधुमक्खीपालन कर सकते हैं. इस योजना से बेरोजगार नौजवानों को रोजगार मिलेगा और खेतों से आय भी बढ़ेगी.

मधुप सहाय, भानु प्रकाश व बीरेंद्र बरियार

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सवाल किसानों के

सवाल : गोभी की खेती की जानकारी दें. गोभी के हाइब्रिड बीजों की जानकारी भी दें?

-कुशल शर्मा, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश

जवाब : फूलगोभी की खेती की नर्सरी जून से ले कर दिसंबर तक लगाई जा सकती?है. इस की कुछ हाईब्रिड प्रजातियां निम्न?हैं:

अगेती : समर किंग, पावस, समर स्पेशल, हाईब्रिड 212. मध्यम : पूसा हाइब्रिड 2, ईएस 67, विंटर किंग. पछेती?: एनएस 90, बसंती, लैटमैन, सनग्रोलेट, स्नोवाल.

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सवाल : सूरजमुखी की खेती के बारे में बताएं. सोयाबीन की तुलना में क्या सूरजमुखी की फसल जल्दी होती है?

-एसएमएस द्वारा

जवाब : सूरजमुखी एक उदासीन फसल है. साल में 2-3 बार इस की खेती की जा सकती?है. यह सोयाबीन के मुकाबले ज्यादा लाभ देती है. वैसे दोनों फसलें समान समय पर तैयार होती हैं.

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सवाल : मैं 24 फुट × 12 फुट × 15 फुट साइज का फार्म पौंड बनवाना चाह रहा हूं, जिस में बौरवेल का पानी जमा होगा. क्या इस में मछलीपालन हो सकता है?

-प्रह्लाद, एसएमएस द्वारा

जवाब : फार्म पौंड में आप मछलीपालन कर सकते?हैं. मछलीपालन के साथ बतखपालन, मुरगीपालन, सुअरपालन या बकरीपालन कर के ज्यादा लाभ कमाया जा सकता?है.

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सवाल : अरहर के साथ मक्का की इंटरक्रापिंग में कोई दिक्कत तो नहीं होती?

-एसएमएस द्वारा

जवाब : अरहर के साथ मक्का की अंतर फसल का कोई तालमेल नहीं होता?है. मक्का को सिंचाई की काफी जरूरत होती?है, जबकि अरहर को कम सिंचाई की जरूरत होती?है.

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सवाल : कड़कनाथ मुरगी के बारे में जानकारी दें?

-मुकेश, एसएमएस द्वारा

जवाब : कड़कनाथ मुरगी देशी नस्ल की होती?है. प्रजाति के लिहाज से इस की वृद्धिदर कम होती?है. इस का अंडा उत्पादन भी कम होता है. इन मुरगियों का रंग काला होता?है. इन का सालाना अंडा उत्पादन करीब 60-80 अंडे का?है.

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सवाल : खीरे की खेती के बारे में विस्तार से जानकारी दें. क्या इस की खेती सारे साल की जाती है? इस की खासखास प्रजातियां कौनकौन सी हैं?

-विंधवासिनी, बस्ती, उत्तर प्रदेश

जवाब : खीरे की खेती साल भर की जा सकती है. आमतौर पर फरवरीमार्च और जूनजुलाई में खीरे की बोआई की जाती?है. इस के अलावा नदियों के किनारे नवंबर में और पहाड़ों पर अप्रैलमई में खीरे की बोआई की जाती है और पोलीहाउस में पूरे साल खीरे की खेती की जाती है. जापानीज लांगग्रीन, पूसा संयोग, हिमाणनी, शीतल, मालिनी व पूसा उदय खीरे की उन्नतशील प्रजातियां हैं. पोली हाउस के लिए क्यान व हिलटन प्रजातियां अच्छी रहती?हैं.

डा. अनंत कुमार, डा. प्रमोद मडके, डा. हंसराज सिंह

कृषि विज्ञान केंद्र, मुरादनगर, गाजियाबाद

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