भारत का शुमार विश्व के सब से तेजी से विकसित होने वाले देशों में है. ऊंची इमारतें, सड़कें और सड़क पर दौड़ती महंगी गाडि़यां ही विकास की निशानी नहीं हैं, विकास का सही अर्थ है समाज के हर तबके का विकास हो, उस का सम्मान हो और हर तबके की पूरी सुरक्षा हो.

देश के एक सूबे उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के कटरा सआदतगंज में घटी घटना देश के चेहरे से विकास के मुखौटे को नोच कर अलग फेंक देती है. इस गांव में रहने वाली 2 नाबालिग लड़कियों के साथ गैंगरेप कर के उन का गला दबा कर पेड़ पर टांग दिया जाता है. पूरे मसले पर जिस तरह से जातीयता खुल कर सामने आई उस से साफ पता चलता है कि रूढि़यों और धार्मिक आडंबरों में फंसा यह देश आज भी अनपढ़ ही है.

पुराने धार्मिक ग्रंथों में बलात्कार या धोखे से संबंध बनाने की घटनाओं को देखें तो दोष औरत को ही दिया जाता था. अहल्या और गौतम ऋषि की कहानी कुछ ऐसी ही है. इंद्र ने अहल्या के पति गौतम ऋषि का छद्म रूप धर अहल्या कोधोखे में रख कर उस के साथ अनैतिक संबंध बनाए. यह बात जब अहल्या के पति गौतम ऋषि को पता चली तो उन्होंने सारा दोष अहल्या के मत्थे ही मढ़ दिया. उस को श्राप दे कर पत्थर की मूर्ति बना दिया. आज भी बलात्कार की शिकार महिला को ही दोषी माना जाता है. जबकि बलात्कार करने में पूरा दोष पुरुष का होता है. लिहाजा, दोष औरत के सिर मढ़ने की प्रवृत्ति के चलते बहुत सारी औरतें सचाई नहीं बतातीं. औरतों के खिलाफ अपराध करने वालों के हौसले बढ़ते हैं.

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