हमारे देश में जितनी मुश्किलों और तकलीफों का सामना महिलाओं को करना पड़ता है, उतना शायद ही किसी और को करना पड़ता होगा. हर कदम पर कठिनाईयों और हर मोड़ पे चुनौतियां तैयार रहती हैं इनका इम्तिहान लेने के लिए. हमारे समाज में जहाँ लड़कियों के लिए समस्याओं का अम्बार लगा है, उन्ही समस्याओं में से एक है ईव टीजिंग यानि छेड़खानी.

ये वो समस्या या यूं कहे कि लड़कियों के लिए वो अभिशाप है, जिससे लड़कियों को तकरीबन रोज़ ही दो-चार होना पड़ता है. शायद ही कोई ऐसी लड़की या महिला होगी जिसे इस शर्मिंदगी से न गुजरना पड़ा हो. हमारे देश और समाज में ऐसे मनचलों की कोई कमी नहीं है जो लड़कियों को अपनी निजी संपत्ति समझते हैं. स्कूल-कालेज या सिनेमा के जब छूटने का समय होता है, तब देखिये कि शोहदों का कैसा जमावड़ा लगता है बाहर. लड़कियों को तो ऐसे घूरते हैं कि जैसे वो इनके बाप की जागीर हैं, अश्लील कमेन्ट पास करना, सीटी मारना, आंख मारना, लड़कियों का पीछा करना, उनका रास्ता रोकना जैसे दुष्कर्मों का तो जैसे इन शोहदों को लाइसेन्स मिला हुआ है और वो भी माँ-बाप ने दे रखा है कि जाओ....छेड़ो लड़कियों को.....कोई तुम्हे रोकने-टोकने वाला नहीं है.

जितनी बेखौफी से ये लोग लड़कियों को छेड़ते हैं उसे देखकर तो यही लगता है कि घरवालों ने नहीं बल्कि सरकार ने ही इन्हें इजाज़त दे रखी है. महिलाओं के साथ पुरुषों द्वारा किया जाने वाला यह शर्मनाक बर्ताव कभी-कभी इतना भयानक होता है कि इससे तंग आकर लड़कियां खुदखुशी तक कर लेती हैं. उन्हें इस कठोर निर्णय तक पहुँचाने के लिए कौन जिम्मेदार है?

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