चीन में पर्यटन के बेहतरीन ठिकानों के बीच एक ठिकाना मे विंड भी है. इतिहास और अतीत को संजोए इस जगह की ऊंची अट्टालिकाएं और समुद्र का नजारा देखते ही बनता है. मे विंड के सफर पर आप भी चलिए.
पर्यटन पर आप निकले हैं तो चीन की दीवार ही नहीं मे विंड को देखना न भूलें. एक समय था जब चीन में बहुत से क्षेत्रों के विदेशी पर्यटकों के लिए ‘प्रतिबंधित क्षेत्र’ करार दिया गया था और लोग उन क्षेत्रों की सीमा के निकट भी नहीं जा सकते थे. लेकिन बदलते समय के साथ वही प्रतिबंधित क्षेत्र पर्यटन का केंद्र बन चुके हैं. हाल ही में मुझे चीन जाने का अवसर मिला और इसी दौरान क्विंगदाओ प्रांत की खूबसूरती को निहारने का अवसर भी.
अद्भुत संरचना
क्विंगदाओ प्रौविंस के सैंट्रल बिजनैस डिस्ट्रिक्ट क्षेत्र में निर्मित मे फोर्थ स्क्वायर में बनी एक अद्भुत संरचना मे विंड को देखने के लिए विश्वभर के पर्यटक जुटते हैं. यह संरचना स्तुशास्त्रियों और कलाप्रेमियों के लिए विशेष महत्त्व की कृति है.
इसे म्यूनिसिपल गवर्नमैंट बिल्डिंग्स और समुद्री तट फ्यूशान बे के बीच शिजिंगतिंग स्क्वायर में बनाया गया है. लाल रंग के मे विंड को चीनी भाषा में वूई फेंक कहा जाता है. इस संरचना के एक ओर ऊंचीऊंची अट्टालिकाएं हैं और दूसरी ओर है लहलहाता समुद्र. मेरे लिए एक अप्रत्याशित और सुखद अनुभव यह भी था कि मे फोर्थ स्क्वायर देखने आए पर्यटकों में कुछेक भारतीय मूल के भी थे. मे फोर्थ स्क्वायर में बने टूरिस्ट गाइड सैंटर के संचालक वांग चुआंग ली (जूनियर) ने मे विंड के इतिहास के बारे में काफी हिचकिचाहट के बाद बताया कि 1917 में अलाइड ट्रिपल एन्टेन्ते (संबद्ध त्रिपक्षीय संधि) के तहत चीन प्रथम विश्व युद्ध में हिस्सा लेने के लिए इस शर्त पर तैयार हुआ था कि जरमनी के अधिकार में आता शेंदोंग चीन को लौटा दिया जाएगा. इसी शर्त के तहत 1 लाख से अधिक चीनी मजदूरों को ब्रिटिश फौज के हिस्से के तौर पर फ्रांस भेजा गया लेकिन वैसा कुछ भी नहीं हुआ जैसा अपेक्षित था.
वर्सेलिस ट्रीटी-1919 के अनुसार, शेंदोंग प्रौविंस को अप्रत्याशित रूप से जापान के हवाले कर दिया गया जिस का चीन ने बहुत विरोध किया लेकिन सार्थक परिणाम न निकला. युद्ध के बाद पैरिस पीस कौन्फ्रैंस हुई लेकिन चीनी सरकार वहां भी कुछ हासिल न कर सकी. सरकार की इस नाकामी से विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र भड़क उठे और सरकार के विरुद्ध संघर्ष का बिगुल बजा दिया. दिन था 4 मई, 1919.यही दिन था जब थियानानमिन स्क्वायर में बीजिंग विश्वविद्यालय के 3 हजार से अधिक उग्र छात्र एकत्रित हुए और सरकार की नाकामी के विरुद्ध जम कर नारेबाजी की जिसे सरकार ने बर्बरता के साथ दबा दिया और कई प्रमुख छात्र नेता गिरफ्तार कर लिए गए. साथ ही, जापानी उत्पादों का चौतरफा बहिष्कार किया गया.
स्मृति चिह्न
अगले दिन यानी 5 मई को समूचे बीजिंग के शिक्षण संस्थान छात्रों ने बंद करवा दिए. देखते ही देखते ढेरों अन्य संस्थाएं भी इस संघर्ष से आ जुड़ीं. संघर्ष की आग बीजिंग से शंघाई तक जा पहुंची. सरकार की नाकामी का विरोध समूचे देश में फैल गया और शंघाई के सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद कर दिए गए.
उधर, पैरिस पीस ट्रीटी पर चीनी प्रतिनिधिमंडल ने हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया. यह 4 मई के आंदोलन की पहली जीत थी. इसी समूचे घटनाक्रम की स्मृति को ताजा रखने के लिए मे फोर्थ स्क्वायर में मे विंड नाम की इस अद्भुत संरचना का सृजन किया गया. इसे चौबीसों घंटे पर्यटकों के लिए खुला रखा जाता है.
लोग कईकई घंटे कौफी पीने, रात्रिभोज करने के साथ स्क्वायर में हर समय संगीत का आनंद देने वाले म्यूजिक बैंड का भी मजा लेते हैं. क्विंगदाओं में पर्यटकों को मे विंड तक लाने के लिए विशेष वातानुकूलित बसों व टैक्सियों की व्यवस्था रहती है. जो लोग टूरिस्ट पैकेज के तहत यहां लाए जाते हैं वे मुफ्त यात्रा कर के यहां पहुंचते हैं.
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