छोटेछोटे द्वीपों से बने लक्षद्वीप पहुंच कर सैलानी शांत, भीड़भाड़ से दूर, सुकून भरे वातावरण में पहुंच  जाते हैं. वे सागर से आती लहरें, हरेभरे ऊंचे वृक्ष और रोमांच से भर देने वाले दृश्य में डूब जाते हैं. यहां कुदरत के ऐसेऐसे अद्भुत नजारे मिलते हैं कि बस देखते ही रह जाते हैं.

जून के पहले सप्ताह में हमें लक्षद्वीप जाने का अवसर मिला. दिल्ली से हवाई मार्ग द्वारा रात को कोच्चि पहुंचने पर, कोच्चि में ही विश्राम करना पड़ा क्योंकि कोच्चि से लक्षद्वीप के लिए प्रतिदिन एअर इंडिया की एक ही घरेलू फ्लाइट है और फिर वही फ्लाइट दोपहर को वापस कोच्चि आ जाती है. इसलिए हम कोच्चि से एअर इंडिया की घरेलू फ्लाइट से लक्षद्वीप के लिए रवाना हुए. कोच्चि से लक्षद्वीप पहुंचने में लगभग 2 घंटे का समय लगा. हमारा विमान लक्षद्वीप के एक छोटे से द्वीप अगाती हवाई अड्डे पर जब उतरा तो विमान से बाहर आते ही बड़ा ही रोमांचकारी दृश्य देखने को मिला. हम ने अपनेआप को समुद्र के बीच एक द्वीप पर पाया. 3 ओर से समुद्र की लहरें हिलोरे मार रही थीं. हवाई पट्टी के एक ओर पवन हंस का एक हैलीकौप्टर भी आ कर खड़ा हो गया.

पूछने पर पता चला कि यह हैलीकौप्टर लोगों को लक्षद्वीप की राजधानी कावाराती से ले कर आ रहा है और अभीअभी जो यात्री विमान से उतरे हैं और कावाराती जाने वाले हैं, यह उन्हें ले कर भी जाएगा. यात्रियों को यहां से हैलीकौप्टर द्वारा सिर्फ कावाराती द्वीप पर ही ले जाया जाता है और यात्रियों को यह सुविधा दिन में एक ही बार मिलती है. शनिवार और रविवार को यह हैलीकौप्टर सेवा छुट्टियों के कारण बंद रहती है.

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