सोनाली को घूमनेफिरने का शौक बचपन से ही था. अपने दोस्तों के साथ वह शहर के आसपास के सभी पर्यटन स्थल घूम चुकी थी. मगर जब उस को एडवैंचर टूरिज्म का चस्का लगा तो वह अकेले ही ऋ षिकेश निकल गई. सुना था वहां रिवर राफ्ंटिंग में बड़ा रोमांच है. घूमने फिरने की शौकीन सोनाली ने गूगल पर रिवर राफ्टिंग की सारी जानकारी ली और कानपुर से बस पकड़ कर अकेले ही ऋषिकेश पहुंच गई. उस की बस रात 9 बजे ऋषिकेश बसअड्डे पर पहुंची.

सोनाली ने रिवर राफ्ंिटग के बारे में तो जानकारी जरूर हासिल कर ली थी, मगर शहर के बारे में उस के पास कोई जानकारी नहीं थी. बस से उतर कर उस ने औटोरिकशा किया और औटो वाले से शहर के किसी ठीकठाक सस्ते होटल में पहुंचाने के लिए कहा. औटो वाला एक नजर में ताड़ गया कि मैडम शहर में बिलकुल नई हैं. उस की बातचीत के लहजे से वह यह भी समझ गया कि सोनाली यूपी के किसी शहर से है.

दरअसल, लखनऊ कानपुर के लोग बातचीत में बेहद सरल और सभ्य होते हैं. सोनाली के पास कपड़ों का एक बड़ा बैग था और एक हैंडबैग. हाथ में महंगा मोबाइल फोन, कान में सोने के टौप्स और गले में पतली सोने की चेन. ये सारी चीजें औटो वाले ने एक नजर में ताड़ ली थीं.

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सोनाली उस के औटो में बैठ गई और रिवर राफ्ंिटग के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने की उत्सुकता में औटो वाले से ही बातें करने लगी. उस ने सोचा कि यह यहीं का बाश्ंिदा है, लिहाजा यहां के बारे में इस से ज्यादा जानकारी और किसे होगी? मगर यहीं पर सोनाली ने गलती कर दी. उस की पहली गलती तो यह थी कि वह जिस बस में बैठ कर आई थी, उस की टाइमिंग के बारे में उसे अंदाजा नहीं था. वह इतनी रात में ऋषिकेश पहुंचती है, उस ने सोचा ही नहीं था. रात में एक अनजान शहर में एक जवान लड़की का अकेले बस से उतरना कई लोगों की नजरों में चढ़ जाता है. उस ने दूसरी गलती यह की कि एक अनजान शहर में आने से पहले उस शहर के होटलों के बारे में कोई जानकारी गूगल पर सर्च नहीं की. वह औटो वाले के भरोसे थी कि वह तो रोजाना सैकड़ों सवारियां लाता व ले जाता है, तो उसे सारे होटलों के बारे में पता होगा. तीसरी गलती सोनाली ने यह की कि औटो में बैठने से पहले उस ने औटो का नंबर नोट नहीं किया और न ही अपने किसी रिश्तेदार या दोस्त को फोन कर के यह बताया कि वह ऋ षिकेश पहुंच गई है और अब औटो से होटल की ओर जा रही है.

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