गुर्णवी को अपने प्रेम में पागल देख पृषघ्र भी उस का दीवाना हो गया. उस ने उस को शूद्रता से मुक्त कर गुणमाला बना दिया. हालांकि वह स्वयं अपनी क्षत्रियता की रक्षा न कर सका और उसे शूद्र होना पड़ा.