सरकारी नीतियां, प्रशासकों के दांवपेंच और लालफीताशाही से दाएंबाएं का खेल खेला जाना कोई नई बात नहीं है. डाक्टर सारांश इसी के शिकार बने थे, लेकिन उन की उपलब्धियों और कुछ करगुजरने का जज्बा उन्हें हर हदों को तोड़ता हुआ कहां से कहां ले गया.